टी बी मुक्त भारत देश , टी बी मुक्त मध्यप्रदेश के लिए एकजुट हुए संसद सदस्य

भोपाल : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने 18 दिसंबर 2025 को मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ बैठक की। बैठक में शामिल मध्य प्रदेश के केंद्रीय मंत्रियों और संसद सदस्यों ने टीबी उन्मूलन के लिए अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में हर संभव सहयोग देने पर सहमति व्यक्त की। इसके तहत सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में जागरूकता अभियानों में भी सक्रिय सहयोग करेंगे।

उल्लेखनीय है कि यह बैठक टीबी मुक्त भारत अभियान को गति देने के उद्देश्य से राज्यवार आयोजित की जा रही सिलसिलेवार बैठकों का हिस्सा है। इसी क्रम में इस माह की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु के सांसदों के साथ भी इसी प्रकार की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।

नई दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन में “संसद सदस्य: टीबी मुक्त भारत के लिए प्रतिबद्ध” विषय पर आयोजित इस संवाद सत्र में टीबी उन्मूलन के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर ठोस कार्रवाई और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में निर्वाचित प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष जोर दिया गया।

इस सत्र में राज्य के सांसदों के साथ संचार एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल तथा जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके भी उपस्थित रहे।

सांसदों को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने तपेदिक के विरुद्ध भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2025 का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2015 से 2024 के बीच टीबी के मामलों में 21 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत गिरावट से लगभग दोगुनी है। इसी अवधि में टीबी से संबंधित मृत्यु दर में भी 25 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने बताया कि भारत ने उपचार में 90 प्रतिशत की सफलता दर हासिल की है, जो वैश्विक औसत 88 प्रतिशत से अधिक है।

श्री नड्डा ने इन उपलब्धियों का श्रेय निरंतर राजनीतिक नेतृत्व, सशक्त कार्यक्रम कार्यान्वयन और मजबूत जनभागीदारी को देते हुए कहा कि भारत टीबी उन्मूलन प्रयासों में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनकर उभरा है। उन्होंने दोहराया कि जन आंदोलन भारत की टीबी उन्मूलन रणनीति की आधारशिला है और सांसदों से आग्रह किया कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में समुदायों को संगठित करना, जागरूकता बढ़ाना तथा रोगियों और उनके परिवारों के लिए व्यापक मनोसामाजिक सहायता सुनिश्चित करना जारी रखें।

मध्य प्रदेश के सक्रिय दृष्टिकोण की सराहना करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि राज्य ने आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों सहित समुदाय-आधारित स्क्रीनिंग प्रयासों को प्रभावी रूप से तेज किया है। उन्होंने बताया कि टीबी मामलों में वृद्धि कार्यक्रम की बेहतर पहुंच और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ सुदृढ़ सहयोग को दर्शाती है।

उन्होंने एआई-सक्षम चेस्ट एक्स-रे, मोबाइल डायग्नोस्टिक वैन और एनएएटी मशीनों जैसे उन्नत निदान उपकरणों के विस्तार के साथ-साथ निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत टीबी रोगियों को दी जा रही ₹1,000 की मासिक पोषण सहायता का भी उल्लेख किया, जिससे उपचार परिणामों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती आराधना पटनायक ने भारत के नवोन्मेषी और रोगी-केंद्रित टीबी उन्मूलन ढांचे पर प्रकाश डालते हुए बताया कि देश के व्यापक निदान नेटवर्क में अब 9,300 से अधिक एनएएटी मशीनें शामिल हैं, जिससे सभी ब्लॉकों में कवरेज सुनिश्चित हुई है। उन्होंने टीबी के विरुद्ध भारत की निरंतर प्रगति को मिली वैश्विक मान्यता पर भी जोर दिया।

उन्होंने मध्य प्रदेश के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें संवेदनशील आबादी की स्क्रीनिंग, मामलों की रिपोर्टिंग, उपचार सफलता दर और पोषण सहायता कवरेज शामिल हैं। साथ ही, टीबी उन्मूलन को और तेज करने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय के महत्व पर बल दिया।

मध्य प्रदेश के सांसदों ने टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत प्रयासों को और तेज करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने प्रारंभिक पहचान के लिए निक्षय शिविरों को बढ़ावा देने, जिसमें लक्षणहीन व्यक्ति भी शामिल हों, का संकल्प लिया। साथ ही जिला स्तर पर टीबी सेवाओं के सुचारू संचालन और रोगियों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए निक्षय मित्रों, माय भारत स्वयंसेवकों और पंचायती राज संस्थाओं को सक्रिय रूप से शामिल करने का आश्वासन दिया।

सांसदों ने DISHA बैठकों में टीबी को प्राथमिकता देने, स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा करने तथा जमीनी चुनौतियों के समाधान के लिए सीधे रोगियों से संवाद स्थापित करने का भी संकल्प लिया।

उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2024 में शुरू किए गए और बाद में पूरे देश में विस्तारित टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत भारत मिशन मोड में कार्य कर रहा है, जिसमें शीघ्र निदान, समय पर उपचार की शुरुआत, उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए अनुकूलित देखभाल और व्यापक मनोसामाजिक सहायता सुनिश्चित की जा रही है।

जन आंदोलन के तहत अब तक 2 लाख से अधिक माय भारत स्वयंसेवक, 67 लाख से अधिक निक्षय मित्र और 30 हजार से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि टीबी मुक्त भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने में सक्रिय सहयोग दे रहे हैं।

-अमिताभ पाण्डे

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