
नई दिल्ली।
जेंडर बजट से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विचार विमर्श के लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज राष्ट्रीय परामर्श , सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान सभी क्षेत्रों में जेंडर बजटिंग प्रक्रियाओं को मजबूत करने के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस अवसर पर केन्द्रीय महिला, बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि जब हम महिलाओं में निवेश करते हैं, तो हम केवल संसाधन आवंटित नहीं कर रहे होते हैं – बल्कि हम अधिक न्यायसंगत, सशक्त और विकसित भारत का निर्माण कर रहे होते हैं।उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में, जेंडर बजट आवंटन में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है ।यह बजट वर्ष 2014-15 में 0.98 लाख करोड़ रुपये था जो कि वर्ष 2025-26 में 4.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने विकसित भारत@2047 की भावना में लैंगिक-संवेदनशील शासन को आगे बढ़ाने की अपनी निरंतर प्रतिबद्धता के तहत आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में लैंगिक बजट पर राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया। दिन भर चले इस परामर्श में 40 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और 19 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों, संयुक्त राष्ट्र महिला, एशियाई विकास बैंक के प्रतिनिधियों और राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
अपनी तरह के इस पहले परामर्श सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सभी क्षेत्रों में लैंगिक बजट प्रक्रिया को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श करना तथा केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्यों द्वारा अपनी विशिष्ट योजनाओं के तहत लैंगिक बजट पर की गई पहलों और अच्छे तरीकों को साझा करना था।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी भी मौजूद थीं, जिन्होंने मंत्रालय द्वारा विकसित जेंडर बजटिंग नॉलेज हब नामक वेब पोर्टल लॉन्च किया। यह हब जेंडर बजटिंग प्रक्रियाओं से संबंधित सभी सूचनाओं का एक डिजिटल संग्रह है, जिसका उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों/विभागों के साथ-साथ अन्य हितधारकों द्वारा उपयोग किया जाना है।
सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, लैंगिक बजटिंग एक वित्तीय अभ्यास से आगे बढ़कर समावेशी शासन के लिए एक रणनीतिक साधन बन गया है। हमारी सरकार का मानना है कि जब हम महिलाओं में निवेश करते हैं, तो हम केवल संसाधन आवंटित नहीं कर रहे होते हैं – हम एक अधिक न्यायपूर्ण, सशक्त और विकसित भारत का निर्माण कर रहे होते हैं। आज, महिलाओं को अब लाभार्थी के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माता, नवोन्मेषक और भारत की विकास गाथा को आगे बढ़ाने वाले नेता के रूप में देखा जाता है। लैंगिक बजटिंग केवल एक नीतिगत उपकरण नहीं है – यह यह सुनिश्चित करने की हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता है कि खर्च किया गया प्रत्येक रुपया सभी के लिए समानता, सम्मान और अवसर का वादा करता है।
अपने मुख्य भाषण में केन्द्रीय मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 2005-06 से ही जेंडर बजटिंग भारत की विकास रणनीति का एक मुख्य तत्व रहा है। शुरू में इसे राजकोषीय रिपोर्टिंग तंत्र के रूप में पेश किया गया था, लेकिन अब यह लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए एक प्रमुख शासन साधन के रूप में विकसित हुआ है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए, 4.49 लाख करोड़ रुपये का जेंडर बजट आवंटन – पिछले वर्ष के आवंटन से 37% की वृद्धि – नीति और सार्वजनिक वित्त दोनों के माध्यम से लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
केन्द्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में, जेंडर बजट आवंटन में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है – 2014-15 में 0.98 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 4.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
राष्ट्रीय परामर्श के दौरान ‘भारत में जेंडर बजटिंग के बीस वर्ष: उपलब्धियां और चुनौतियां’ की यात्रा पर चर्चा की गई। जेंडर बजटिंग पर एक मसौदा प्रशिक्षण मैनुअल पर भी विचार-विमर्श किया गया, जिसे मंत्रालय ने भारत में जेंडर बजटिंग के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता निर्माण उपकरण और व्यावहारिक मार्गदर्शिका के रूप में विकसित किया है।