
भोपाल।
बाबा रामदेव दरबार मंदिर रुणिचा धाम सेवा समिति की ओर से कोलार क्षेत्र की राजहर्ष कॉलोनी स्थित बाबा रामदेव दरबार मंदिर में 23 अगस्त 2025 से राजस्थान के लोक देवता श्री बाबा रामदेव के जन्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
मंदिर के पुजारी राजेश गुरु ने बताया कि जन्मोत्सव के पहले दिन रविवार 24 अगस्त को शाम सात बजे से भजन-कीर्तन और जागरण का कार्यक्रम होगा, जिसमें अनेक कलाकार, बाबा रामदेव के भजनों की प्रस्तुतियाँ देंगे। दूसरे दिन से सोमवार 25 अगस्त 2025 को सुबह नौ बजे बैंडबाजे के साथ कलश यात्रा मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होगी, जो विभिन्न मार्गों से गुजरती हुई नयापुरा स्थित बीजासेन मंदिर पहुँचेगी। वापस रामदेव मंदिर पर इसका समापन होगा।
इसके उपरांत महाआरती, भजन और कन्या भोज के कार्यक्रम होंगे। शाम पाँच बजे से प्रसादी वितरण और भंडारे का कार्यक्रम प्रारंभ होगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करेंगे।
उपरोक्त जानकारी वरिष्ठ पत्रकार विश्वदीप नाग ने दी । उन्होंने बताया कि भोपाल के कोलार क्षेत्र स्थित राजहर्ष कॉलोनी में आज से पंद्रह वर्ष पूर्व स्थापित राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता बाबा रामदेव दरबार का मंदिर अब जन-जन की अटूट आस्था का केंद्र बन चुका है।

यहाँ लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की आस में मत्था टेकने आते हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि बाबा रामदेव राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं।
उनका जन्म ऊंडु कशमीर (बाड़मेर) में हुआ था। उन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। बाबा रामदेव को ‘रामसा पीर’ के नाम से भी जाना जाता है। ये राजा अजमल जी के संतान थे। उनकी माता का नाम मैणादे था।
राव मल्लीनाथ (मारवाड़ के राठौड़ राजा) ने रामदेव जी को पोकरण की जागीर प्रदान की थी। डाली बाई इनकी अनन्य भक्त थी। रामदेव जी ने कामड़िया पंथ की स्थापना की। रामदेवजी ने भैरव नामक राक्षस का अंत भी किया था। रामदेवजी छुआछूत और भेदभाव मिटाने वाले देवता माने जाते हैं। संपूर्ण राजस्थान और गुजरात समेत कई भारतीय राज्यों में इनकी पूजा की जाती है। इनके समाधि-स्थल रामदेवरा (जैसलमेर) पर भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष द्वितीया से दसमी तक भव्य मेला लगता है, जहाँ पर देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं।
बाबा रामदेव मुस्लिमों के भी आराध्य :
बाबा रामदेव मुस्लिमों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें ‘रामसा पीर’ के नाम से पूजते हैं। रामदेवजी के पास चमत्कारी शक्तियाँ थीं तथा उनकी ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी थी । किंवदंती के अनुसार मक्का से पाँच पीर रामदेवजी की शक्तियों को परखने के लिए आए। रामदेवजी ने उनका स्वागत किया तथा उनसे भोजन करने का आग्रह किया। पीरों ने मना करते हुए कहा कि वे सिर्फ़ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं, जो कि इस समय मक्का में हैं। इस पर रामदेव मुस्कुराए और उनसे कहा कि देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं और जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे। रामदेवजी की क्षमताओं और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया तथा उन्हें राम सा पीर का नाम दिया। रामदेव की शक्तियों से प्राभावित होकर पाँचों पीरों ने उनके साथ रहने का निश्चय किया। उनकी मज़ारें भी रामदेव की समाधि के निकट स्थित हैं।
रामदेवजी का जीवन परिचय :
जन्म : भाद्रपद शुक्ल द्वितीया वि.स. 1409
जन्म स्थान : रुणिचा
समाधि : वि.स. 1442
समाधि स्थल : रामदेवरा
उत्तराधिकारी = अजमल जी
जीवनसंगिनी : नैतलदे
राज घराना : तोमर वंशीय राजपूत
पिता : अजमल जी
माता : मैणादे
धर्म : हिंदू
– अमिताभ पाण्डेय