भोपाल।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गत दिनों डिंडोरी जिले की बजाग जनपद के ग्राम पिपरिया पहुंचे।
वहाँ उन्होंने बैगा जनजाति एवं यादव समाज के उन पीड़ित लोगों से मुलाक़ात की जिनकी ज़मीने छल और षड्यंत्र करके दबंगों ने हथिया ली हैँ।

श्री सिंह ने उन सभी लोगों से चर्चा की जिनकी ज़मीन धोखे में रखकर कब्ज़ाई गईं हैँ।
उन्होंने नियम विरुद्ध की गई कार्यवाही से प्रभावित लोगों को भरोसा दिलाया कि वे न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे।
उल्लेखनीय है कि डिंडोरी जिले के बैगा बाहुल्य क्षेत्र पर इन दोनों खनन माफिया की नजर है इस क्षेत्र में रहने वाले बेगा समुदाय के लोगों ने यहां के प्राकृतिक संसाधनों की हमेशा सुरक्षा की है बेग समुदाय के लोग जल ,जंगल, जमीन , पहाड़ को देवता की तरह पूजते हैं।
इस क्षेत्र में बॉक्साइट का भंडार बताया जाता है जिसका खनन करने के लिए खनन माफिया सक्रिय हो गए हैं ।
प्राकृतिक संसाधनों की लूट में संलग्न खनन माफिया ने वन ग्राम के अंतर्गत आने वाली भूमि पर भी खनन करने के अधिकार प्राप्त कर लिए हैं ।
बताया जाता है कि बैगा बाहुल्य इस क्षेत्र में बॉक्साइट का खनन करने में उनकी बहुत रुचि है जो पूर्व मंत्री रहे और वर्तमान में विधायक हैं।
कांग्रेस पार्टी छोड़कर सत्ताधारी दल भाजपा में शामिल हुए यह विधायक जमीनों का बड़े पैमाने पर फेरबदल करने और खनन संबंधी कारोबार के लिए जाने जाते हैं।
खनन कारोबार में जुड़े विधायक को राजस्व विभाग ने सभी नियमों को शिथिल करते हुए जिस तरह अनुमतियां दी है उसे लेकर भी प्रशासनिक गलियारों में बहुत चर्चा है। वन ग्राम की जमीन पर खनन की अनुमति किस तरह मिली ?
इसकी यदि गंभीरता पूर्वक जांच हो तो इस मामले में बड़ी मिलीभगत उजागर हो सकती है।

सूत्रों के मुताबिक हाल ही में खनन कारोबारी की कंपनी के लोग बैगा बाहुल्य क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को शुरू करने पहुंचे तो स्थानीय ग्रामीणों ने उनका जोरदार विरोध किया लेकिन विरोध की खबरें राज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाई।
ऐसा माना जा रहा है कि खनन संबंधी गतिविधियों को डिंडोरी क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन से जुड़े कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों का भी समर्थन मिल रहा है। । यहां यह बताना जरूरी होगा कि बैगा समुदाय को भारत सरकार ने विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा दिया हुआ है
बैगा समुदाय के संरक्षण के लिए केन्द्र और राज्य शासन द्वारा अनेक योजनाएं बनाई गई हैं। इन योजनाओं का क्रियान्वयन किस तरह हो रहा है ?
इसे गंभीरता पूर्वक देखने की जरूरत है।
– अमिताभ पाण्डेय