( साहिल पठान )
बीकानेर ।
राजस्थान का थार मरुस्थल , दूर तक फैला सूना क्षितिज, और महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के भीतर गूंजती भारी-भरकम तोपों की दहाड़। इन सबके बीच सप्त शक्ति कमान के बीकानेर रणबांकुरा डिवीजन ने युद्धाभ्यास किया। इसने केवल भारतीय सेना की उच्च स्तरीय तैयारी को उजागर किया। इसके साथ ही बदलते युद्ध परिदृश्यों में उसकी अनुकूलन क्षमता, नवाचार और दृढ़ता का भी अद्भुत प्रदर्शन किया।
यह व्यापक कॉम्बैट वैलिडेशन एक्सरसाइज उस समय और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब आधुनिक युद्ध की प्रकृति तेजी से बदल रही है ।
बहु-डोमेन संचालन—भूमि, वायु, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक व अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं—का महत्व लगातार बढ़ रहा है।
इस युद्ध-अभ्यास की समीक्षा सप्त शक्ति कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने स्वयं की। उन्होंने शुरुआत से लेकर अंतिम चरण तक हर घटक, हर मूवमेंट और हर सामरिक कार्रवाई का गहन निरीक्षण किया।
श्री सिंह का उद्देश्य सिर्फ यह देखना नहीं था कि बल किस स्तर पर खड़ा है, बल्कि यह समझना भी था कि बदलते समय में सेना किस हद तक तेज, कुशल और सटीक हो चुकी है।

रेत की सतह पर मशीनों की गर्जना :
उल्लेखनीय है कि थार मरुस्थल के चरित्र में ही चुनौती है। दिन में प्रचंड तापमान, रात में कठोर ठंड, तेज हवाओं में उड़ती महीन रेत और क्षितिज तक फैली खुली जमीन।
ऐसे वातावरण में युद्धक अभियानों का अभ्यास वास्तविक युद्ध से कम नहीं होता। इसी कठोर वातावरण में रणबांकुरा डिवीजन ने अपनी संचालन क्षमता, समन्वय और तैयारी को परखा।
युद्धाभ्यास के शुरुआती चरण में ही इंफैंट्री और मैकेनाइज्ड फॉर्मेशंस ने तेज गति से अग्रसर होकर अग्रिम रेखा का निर्माण किया। BMP और MBT टैंकों की गड़गड़ाहट से रेत की सतह कांप उठी।
वहीं दूसरी ओर, एयर डिफेंस यूनिट्स ने लो-फ्लाइंग हवाई खतरों के खिलाफ अपने त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र का प्रदर्शन किया। आर्टिलरी फायर सपोर्ट ने दूरस्थ लक्ष्यों पर सटीक वार करते हुए ऑपरेशन को विश्वसनीयता दी।
इंटर-आर्म्स सिंक्रोनाइजेशन और संयुक्त संचालन:
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह युद्धाभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसमें संयुक्त संचालन—इन्फैंट्री, मैकेनाइज्ड फोर्सेज, आर्टिलरी, इंजीनियर्स, एयर डिफेंस, लॉजिस्टिक्स और इंटेलिजेंस—का वास्तविक परीक्षण किया गया। सभी यूनिट्स ने मिलकर एक संयुक्त युद्ध-परिदृश्य में अपने-अपने रोल निभाए।
यह भारतीय सेना की ताक़त है जो कि अलग-अलग क्षमताओं का एक सुचारू प्रवाह में बदलकर बड़ी ताकत बना देती है। युद्धाभ्यास के दौरान सेना के इंजीनियर्स ने तेजी से रास्ते बनाए। बाधाओं को हटाया और संचालन मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की।
लॉजिस्टिक यूनिट्स ने लगातार गतिशील युद्धक्षेत्र में गोला-बारूद, ईंधन, संचार उपकरण और चिकित्सा सहायता पहुँचाई।
हमारे सैनिकों ने यह सिद्ध किया कि किसी भी युद्ध का रीढ़ उसकी सप्लाई चेन ही होती है। संचार नेटवर्क ने निर्बाध रहते हुए हर यूनिट को वास्तविक समय में जानकारी दी, जिससे हर निर्णय सटीक और विशेष स्थिति के अनुसार लिया जा सका।
ड्रोन आधारित युद्धक बुद्धिमत्ता का नया युग :
इस अभ्यास का सबसे उल्लेखनीय पहलू था Ashni Platoons का समावेश। ये ड्रोन-आधारित इकाइयाँ न केवल रियल-टाइम इंटेलिजेंस देती हैं बल्कि युद्धक्षेत्र की मैपिंग, दुश्मन की स्थिति का अनुमान, और फायर सपोर्ट को सटीक बनाती हैं। इन प्लाटून्स ने ऊंचाई से दुश्मन जैसे लक्ष्यों की हरकतों पर पैनी नज़र रखी, जिससे फॉर्मेशन को तुरंत और अधिक प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिली।
Ashni Platoons का उपयोग यह भी दर्शाता है कि भारतीय सेना सिर्फ परंपरागत युद्ध तक सीमित नहीं है, बल्कि टेक्नोलॉजी-ड्रिवेन आधुनिक युद्ध सिद्धांतों को सक्रिय रूप से अपना रही है।
कमांडरों की निर्णय क्षमता और सैनिकों की सहनशक्ति का कठोर परीक्षण :
इस युद्धाभ्यास में न केवल यूनिट्स की क्षमताओं की परीक्षा हुई, बल्कि हर स्तर के कमांडरों की निर्णय प्रक्रिया, अनुकूलन क्षमता और परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया का भी मूल्यांकन किया गया।
जैसे-जैसे परिदृश्य जटिल होता गया—आगे बढ़ते टैंकों पर हवाई खतरा, आर्टिलरी सपोर्ट में बदलाव, संचार में बाधा, भू-भाग की अड़चनें—कमांडरों को तुरंत निर्णय लेने पड़े। उन्हें यह सिद्ध करना था कि वास्तविक युद्ध में वे कैसे इन चुनौतियों को मात देंगे।
सैनिकों की शारीरिक सहनशक्ति, मानसिक दृढ़ता और अनुशासन का भी लगातार परीक्षण होता रहा। दिन के तपते तापमान में तेज गतियों के साथ मूवमेंट, रात के अंधेरे में त्वरित कार्रवाई, और लगातार बदलते आदेश—इन सबने इस अभ्यास को बेहद तीव्र बना दिया।

भारतीय सेना का मूलमंत्र है उत्कृष्टता :
लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने अभ्यास में भाग लेने वाले सभी सैनिकों और अधिकारियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सैनिकों का साहस, नवाचार और मिशन-केंद्रित दृष्टिकोण भारतीय सेना के उस मूल सिद्धांत को दर्शाता है, जिसमें हर परिस्थिति में उत्कृष्टता को बरकरार रखना शामिल है।
उन्होंने भैरव बटालियन के साथ विशेष बातचीत की और उनके प्रोफेशनल प्रशिक्षण, ऑपरेशनल रेडीनेस और दक्षता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को और अधिक मजबूत बनाता है।
युद्ध अभ्यास का व्यापक महत्व :
थार क्षेत्र भारत की पश्चिमी सीमाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में युद्धाभ्यास यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में तुरंत और सटीक प्रतिक्रिया दे सके।
यह अभ्यास न सिर्फ रणबांकुरा डिवीजन की तैयारी को प्रमाणित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय सेना अपने प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और रणनीतियों को निरंतर आधुनिक बना रही है।
यह विस्तृत युद्धाभ्यास भारतीय सेना की उस क्षमता को फिर से रेखांकित करता है, जिसके बल पर वह देश की सीमाओं की रक्षा हर परिस्थिति में करने में सक्षम है—चाहे चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो।





