( अमिताभ पाण्डेय  )
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कुछ महीने पहले भारत के उन शहरों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जहां मानव जीवन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। ऐसे शहरों को बेस्ट स्मार्ट सिटी घोषित किया गया।  इंदौर को देश का सबसे स्मार्ट शहर घोषित किया गया। आवास और शहरी विकास मंत्रालय के प्रोग्राम स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत वायु गुणवत्ता सुधार, स्वच्छता और जल प्रबंधन में अव्वल घोषित “बेस्ट स्मार्ट सिटी” इंदौर से देश के दूसरे शहर बहुत कुछ सीख सकते हैं। लेकिन यह जानना भी दिलचस्प होगा कि देश के दूसरे स्मार्ट शहर से इंदौर जैसी बेस्ट स्मार्ट सिटीज़ क्या कुछ सीख सकती हैं।
इंदौर अपने यहां लगातार नवाचारों के साथ बुनियादी ढ़ांचे का विकास करते हुए नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बना रहा हैं। वायु गुणवत्ता सुधार, स्वच्छता और जल प्रबंधन में अव्वल “बेस्ट स्मार्ट सिटी” इंदौर से देश के दूसरे शहर बहुत कुछ सीख सकते हैं। इंदौर के अलावा अन्य स्मार्ट सिटीज़ के कुछ नवाचार भी अनुकरणीय हैं। आइये अब योजनाबद्ध विकास के इस दौर में इंदौर और दूसरे स्मार्ट शहरों को मिल रही तारीफ के कारणों को तथ्यों के साथ जानें।
वायु गुणवत्ता, स्वच्छता, जल प्रबंधन में अग्रणी
शहरी पर्यावरण में बेहतरीन प्रदर्शन, स्वच्छता (सेनिटेशन) में गोबर धन बायो सीएनजी प्लांट और घर-घर से निकलने वाले कचरे को कंचन में बदलने के कारण इंदौर अव्वल है। वायु गुणवत्ता सुधार के लिए इंदौर नगर निगम युनाइटेट स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के साथ क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोग्राम के तहत करीब साढ़े तीन साल से वैज्ञानिक समाधानों पर लगातार काम कर रहा है। यही वजह है कि स्वच्छ वायु सर्वेक्षण और स्मार्ट सिटीज़ सर्वे की एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कैटेगरी में भी इंदौर देश के दूसरे शहरों के लिए मिसाल है। जल प्रबंधन के लिए इंदौर ने कई कदम उठाए जैसे सरस्वति ओर कान्ह नदी लाइफलाइन प्रोजेक्ट (संकल्प), रेनवाटर हार्वेस्टिंग शहर को ‘वाटर प्लस’ से ‘वाटर सरप्लस’ सिटी बनाना और झीलों के साथ ही कुओं और बावड़ियों को पुनर्जीवित करना।
मिसाल बना फाइनेंसिंग मॉडल
सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की बेहतरी के लिए बना इंदौर का वैल्यू केप्चर फाइनेंसिंग मॉडल दूसरे शहरों के लिए उदाहरण बना है। नवाचार के साथ तैयार किया गया यह अच्छा वित्त पोषण (फाइनेंसिंग) मॉडल है जो राज्य या केंद्र सरकार पर कम निर्भर है। इंदौर ने इस मॉडल के तहत राजस्व हासिल करना शुरू कर दिया है।
दूसरी स्मार्ट सिटीज़ से भी मिली सीख
कुछ दूसरी स्मार्ट सिटीज़ ऐसी हैं, जिनसे इंदौर शहर भी बहुत कुछ सीख सकता है। जैसे- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, स्मार्ट प्रशासन, इंटिग्रेटेड कंट्रोल ऐंड कमांड सेटर (आईसीसीसी) बिजनेस मॉडल,  मोबिलिटी, सामाजिक बुनियादी ढांचा और इनोवेटिव आइडियाज़ या अभिनव विचार। कोयंबटूर ने अपनी आठ झीलों को जोड़ कर इनके लिए उम्दा वातावरण तैयार करने और सबसे बड़ी झील सेल्व चिंतामणी को कचरे और गंदगी से मुक्त कराने का संकल्प पूरा किया। इस प्रोजेक्ट के जरिये पर्यावरण विकास में यह शहर नंबर वन है।
विरासत सहेजने में भोपाल सरताज
सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की वजह से अहमदाबाद, भोपाल और तंजावुर बेहतर साबित हुए हैं। भोपाल के सदर मंजिल जीर्णोद्धार और हैरिटेज वाक प्रोजेक्ट अनुकरणीय माना गया है। इसी तरह, शहर की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के मोर्चे पर जबलपुर स्मार्ट सिटी का 2017 से चल रहा इन्क्यूबेशन सेंटर अव्वल है। इसमें 200 से ज्यादा स्टार्टअप्स 100 से ज्यादा मेंटर्स और 20 से ज्यादा निवेशक साथ काम कर रहे हैं। इसने ऑनलाइन स्टार्टअप पाठशाला के जरिए कोविड काल में 10 हजार से ज्यादा छात्रों को उद्यमिता का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा कोडिंग पाठशाला और लीगल पाठशाला भी काम कर रही हैं।
ई-गवर्नेंस में चंडीगढ़ बेस्ट
शासन प्रणाली (गवर्नेंस) को चाक-चौबंद बनाने में नागरिक सेवाओं के लिए मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल हो रहा है। चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी का ई-गवर्नेंस सबसे अच्छा माना गया है। पिंपरी-चिंचवड़ की स्मार्ट सारथी ऐप और उदयपुर की स्मार्ट एप्लिकेशन के साथ जबलपुर 311 ऐप अन्य स्मार्ट शहरों की तुलना में बेहतर हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) की स्थापना देश के सभी स्मार्ट शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सेंटर के जरिए अहमदाबाद ने ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए 32 जगह एलईडी लगाकर मिसाल कायम की है। सूरत का आईसीसीसी रेवेन्यू पैदा करने के लिए, ग्वालियर ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए तो आगरा रेवेन्यू बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए आईसीसीसी का उपयोग कर रहे हैं। मोबिलिटी के मामले में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत पब्लिक बाइक शेयरिंग और साइकिल ट्रैक का निर्माण करने के लिए चंडीगढ़, बिना मोटर वाले परिवहन को बढ़ावा देने की वजह से न्यू टाउन कोलकाता और सड़क सुरक्षा के साथ ही इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने के लिए मध्यप्रदेश का सागर आगे है।
वडोदरा और आगरा के हेल्थ सेंटर अव्वल
सामाजिक मामलों में वडोदरा का हॉस्पिटल मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस।) अव्वल है। इसके आगरा स्मार्ट सिटी का काम भी अच्छा है। पीपीपी आधारित स्मार्ट हेल्थ सेंटर और स्थानीय निकायों के स्कूलों को बेहतर बनाने की वजह से आगरा आगे है। स्कूल उन्नयन के लिए रायपुर और स्मार्ट क्लासरूम तथा ई-मॉनीटरिंग के लिए तूतुक्कुडी की तारीफ हुई है। शिवमोगा ने घनी आबादी को न केवल साफ सुथरा किया है बल्कि वहां ई-टॉयलेट, जिम ओर बच्चों के खेलने के लिए साधन स्थापित किए हैं। पुराने शहर में सफलतापूर्वक ई-ऑटो के सफल संचालन के कारण वजह से जम्मू स्मार्ट सिटी ने तारीफ बटोरी है।
नवाचार में हुबली-धारवाड़ नंबर वन
आगरा शहर स्मार्ट मीटर और पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण प्रणाली स्थापित करने के लिए सराहा जाता है। अटल सरोवर को पुनर्जीवित कर राजकोट ने ख्याति अर्जित की है। नवाचार में हुबली-धारवाड़ नंबर वन है, जहां खुली जगह का बेहतरीन इस्तेमाल, नालों का पुनरुद्धार और ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण जैसे अभिनव प्रयास सफलतापूर्वक किए गए हैं। इसी वर्ग में सूरत ने स्वपोषित सार्वजनिक बागवानी नहर पथ स्थापित करते हुए नवाचार किया। छत्तीसगढ़ के रायपुर ने नालंदा परिसर में ऑक्सी रीडिंग लाइब्रेरी जोन विकसित किया है।
विकास ही अंतिम लक्ष्य
शहरीकरण की तेज रफ्तार के मामले में भारत, दुनिया के कई देशों में आगे है, लेकिन शहरों को अपने नागरिकों की जरूरतों के मुताबिक जरूरी सुविधाओं के साथ सुसज्जित करना स्थानीय निकायों से लेकर केंद्र सरकार तक की जिम्मेदारी है। भारत में स्मार्ट सिटी मिशन जैसे कार्यक्रम इस बात के गवाह हैं कि देश के विभिन्न शहर एक दूसरे की खूबियों से बहुत कुछ सीख विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान दे सकते हैं।   
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, संपर्क 9424466269 )

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