‘सिर्फ़ रफ़ी’ कार्यक्रम में गूंजे तराने , हुआ संगीत साधकों का सम्मान 

भोपाल ।

रिमझिम बारिश में गीत और संगीत की फुहार का आनंद 24 जुलाई 2025 की शाम को यादगार बना गया। यह आनंद 

रवींद्र भवन के अंजनी सभागार में आए कला रसिकों , संगीत प्रेमियों ने लिया।

 इस कार्यक्रम के माध्यम से संगीत प्रेमियों ने अमर गायक मोहम्मद रफ़ी को याद किया।

संगीत चौपाल द्वारा आयोजित यह विशेष संध्या “सिर्फ़ रफ़ी” के नाम रही — जिसमें शहर के चुनिंदा और मर्मस्पर्शी गायकों ने रफ़ी साहब के अमर गीतों को अपनी आवाज़ में प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

कार्यक्रम को पं. सुरेश तांतेड की स्मृति को समर्पित किया गया था, जिन्होंने मध्यप्रदेश में संगीत के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान दिया। इसी अवसर पर “पं. सुरेश तांतेड़ संगीत साधना सम्मान 2025” भी प्रदान किये गये, जिसमें संगीत, गायन और वादन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले कलाकारों — सैयद जुल्फिकार अली, कीर्ति सूद, संजीव सचदेवा और राम बाबू शर्मा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत श्याम कृष्णमूर्ति द्वारा “सौ बार जनम लेंगे” जैसे भावनात्मक गीत से हुई, जिसके बाद पूरे सभागार में एक सुरमयी और मंत्रमुग्ध कर देने वाला सन्नाटा छा गया।

 इसके बाद राजेश भट्ट ने अपने ख़ास अंदाज़ में “हमको तुम्हारे इश्क़ ने क्या-क्या” और “तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में” जैसे गीतों से सबका दिल जीत लिया।

नुशुर अहमद ने ‘आने से उसके आये बहार’ जैसे सदाबहार गीत गा कर सबको लुभाया तो इशाक अली ने ‘ जिंदगी भर नहीं भूलेगी ‘ जैसे गाने से सबका मन मोह लिया, वहीँ युवा गायक ईशान जैन ने ‘ छलके तेरी आँखों से’ गीत से लोगों के दिलों पर अपनी छाप छोडी. 

सभी गायकों ने श्रोताओं को उस युग की याद दिलाई जब रफ़ी साहब की आवाज़ रेडियो, रिकॉर्ड्स और फ़िल्मों के ज़रिए हर दिल पर राज करती थी।

कुल 30 गीतों की इस श्रृंखला में “नज़र न लग जाये”, “क्या हुआ तेरा वादा”, “मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत”, “जो गुज़र रही है मुझ पर” “जाने बाहर हुस्न तेरा ” “तु कहाँ ये बता” “मस्त बहारों का मैं आशिक” जैसे गानों ने विशेष तालियां बटोरीं। अंतिम गीत “मेडले” में जब पाँचों प्रमुख गायक एक साथ मंच पर आए, तो सभागार तालियों और उत्साह से गूंज उठा।

कार्यक्रम के संगीत संयोजक केदार सिंह चौहान और संपूर्ण टीम ने सभी गानों के हूबहू म्यूजिक बजा कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि ध्वनि तकनीक पर शोएब ख़ान की भूमिका सराहनीय रही। समन्वयक मंसूर रशीद खान की अगुवाई में यह संपूर्ण आयोजन अत्यंत अनुशासित, समयबद्ध और शानदार रहा।

कार्यक्रम में भोपाल शहर के प्रतिष्ठित संगीत प्रेमियों, वरिष्ठ पत्रकारों, रंगमंच से जुड़े कलाकारों, आकाशवाणी से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों तथा संस्कृति विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति रही.

‘सिर्फ़ रफ़ी’ सिर्फ़ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक युग को श्रद्धांजलि देने का सजीव प्रयास था। रफ़ी साहब की मधुर आवाज़ को पुनः जीवंत करना, उनकी भावनात्मक अदायगी को मंच पर उतारना और आने वाली पीढ़ियों को उस स्वर्णिम काल की अनुभूति कराना — यही इस कार्यक्रम की आत्मा थी।

यह शाम सुरों में डूबी रही, दिलों को छू गई, और रफ़ी साहब की विरासत को फिर एक बार जीवंत कर गई।

– अमिताभ पाण्डेय 

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