
भोपाल।
मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा अधीक्षण अभियंताओं के चालू प्रभार का आदेश दिनांक 13 मई 2025 को जारी किया गया है।
इस आदेश के कारण कंपनी के भीतर कर्मचारियों से नाराजी बढ़ रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस आदेश में कार्यपालन अभियंताओं की वरिष्ठता के नियमों का खुला उल्लंघन किया है I इस परोक्ष पदोन्नति के आदेश में सर्वथा अनुसूचित जाति /जनजाति के अधिकारियों के साथ भेदभाव किया गया का है I
उल्लेखनीय है कि पावर जनरेटिंग कंपनी ने वर्ष 2002 के पदोन्नति नियम को आधार बनाया जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है I
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिए थे I यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल भी रहा हैI कंपनी ने दिसंबर 2014 व अगस्त 2015 में एक पदोन्नति आदेश जारी किया था जिसमें 19 सामान्य वर्ग के अधिकारी व 20 आरक्षित वर्ग के अधिकारी थे।
इसमें से सामान्य वर्ग के समस्त अधिकारियों को पूर्व में ही उच्च पद का चालू प्रभार दिया जा चुका है किंतु जब आरक्षित वर्ग की बात आई तो 13 में 2025 को पारित आदेश में आरक्षित वर्ग के अधिकारियों के स्थान पर कनिष्ठ समस्त सामान्य वर्ग के सहायक अभियंता को अधीक्षण अभियंता का चालू प्रभार दिया गया । यह प्रभार वर्ष 2012 की वरिष्ठता के आधार पर था I इस आदेश के बाद सामान्य वर्ग के अधिकारी जो अनुसूचित जाति/ जनजाति के अधिकारी के कनिष्ठ थे इनसे वरिष्ठ हो गए हैं I
मध्य प्रदेश आरक्षित वर्ग अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स ने इस निर्णय की निंदा की है । अजाक्स के कुछ पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि पावर जनरेटिंग कंपनी के संचालक मंजीत सिंह कुछ विशेष कर्मचारियों, अधिकारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ऐसे अनुचित निर्णय ले रहे हैं ।
अजाक्स ने इस भेदभाव पूर्ण आदेश के लिए ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज किया है और न्याय की मांग की है।
मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारियों एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स ) के द्वारा शिकायत कर मांग की गई है कि इस संबंध में उपरोक्त जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति आचरण अधिनियम 1989 एवं अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम अधिनियम 1994 के तहत कार्यवाही की जाए।
उपरोक्त संबंध में पारित किए गए सभी आदेशों को तत्काल निरस्त किया जाए।
– अमिताभ पाण्डेय