रिसर्च रिपोर्ट : अमिताभ पाण्डेय / शुरैह नियाज़ी
—————————————
भोपाल 9 नवंबर 2025
मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग में ये क्या हो रहा है ?
जो अधिकारी अपने कार्यकाल में गड़बड़ी के लिए चर्चा में रहे उनकी सेवाएं रिटायर होने के बाद फिर से क्यों ली जा रही है ?
सेवानिवृत्त होने के बाद उसी संस्थान में काम करने का अवसर दिए जाने का क्या कारण है ?
जिन्होंने नौकरी में रहते हुए गड़बड़ी की वो रिटायर होने के बाद फिर गड़बड़ी नहीं करेंगे , इसकी गारंटी कौन देगा ?
ये ऐसे सवाल हैं जो कि मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों, ऊर्जा विभाग के भोपाल, जबलपुर मुख्यालय से लेकर कोयला विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों, कोयला परिवहन करने वालों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
इस संबंध में केन्द्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर, मुख्य सचिव अनुराग जैन, ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई एवं लोकायुक्त को जो तथ्यात्मक शिकायतें भेजी गई उन पर प्रभावी कार्यवाही कब होगी ?

इसका भी जवाब नहीं मिल रहा है।
दरअसल यह पूरा मामला मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के जबलपुर स्थित कार्यपालक निदेशक ईंधन प्रबंधन से संबंधित है।
इसके अन्तर्गत संजय गांधी ताप विद्युत गृह वीर सिंहपुर में कोयला खरीद, आपूर्ति, गुणवत्ता, परिवहन , संपूर्ण कार्य का भौतिक सत्यापन और इसकी जी पी एस निगरानी को लेकर जो अनियमितताएं हुई उनके बारे में केन्द्रीय कोयला मंत्रालय से लेकर मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग तक शिकायतें विचाराधीन हैं।
इन शिकायतों पर आधारित अनेक समाचार पिछले दिनों लगातार प्रकाशित किए गए।
इन समाचारों में यह संभावना बताई गई थी कि अपने कार्यकाल के दौरान चर्चित रहे अधिकारी राजेश तिवारी की सेवानिवृत्ति के उपरांत फिर से काम करने का अवसर दिया जाएगा।
यह संभावना सच हुई और रिटायर्ड सीनियर केमिस्ट राजेश तिवारी को अब “कोल क्वालिटी एक्सपर्ट” के रूप में नियुक्त कर लिया गया है।
श्री तिवारी पर शासकीय सेवा के दौरान सैंपलिंग में गड़बड़ी करने के आरोप लगे जिनको ठंडा कर दिया गया । सेवानिवृत्त हो जाने के बाद अब श्री तिवारी “एक्सपर्ट” बनकर क्वालिटी मैनेजर को अपने हिसाब से संचालित करेंगे।
‘नेटवर्क’ जो SGTPP से SSTPP तक फैला है :
जैसा कि “अपनी खबर” ने पूर्व में प्रकाशित समाचारों में बताया था कि वर्षों तक एक ही स्थान पर शासकीय सेवा में रहते हुए राजेश तिवारी ने कोयले की सैंपलिंग और क्वालिटी रिपोर्टिंग को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत नेटवर्क तैयार कर रखा है जिसके तार SGTPP बिरसिंहपुर से लेकर SSTPP खंडवा तक फैले हुए हैं।
इस नेटवर्क को Fuel Management जबलपुर के जमे हुए अधिकारियों का भी पूरा संरक्षण प्राप्त है।
रिटायरमेंट के बाद श्री तिवारी की दोबारा नियुक्ति भी यह संकेत करती है कि सब कुछ “नेटवर्क स्ट्रक्चर” का हिस्सा है |
श्री तिवारी के शासकीय सेवा में रहते हुए जो अनियमितताएं हुई उनकी शिकायतें पहले भी की गईं लेकिन सख्त एवं त्वरित जांच किसने की ? जांच के क्या परिणाम रहे ?
इसके बारे में शिकायत करने वालों को भी नहीं बताया गया जबकि शिकायत पत्र में यह अनुरोध किया गया था कि इस संबंध में जो कार्यवाही हो उससे शिकायत करने वालों को भी अवगत कराया जाए।
यहां यह बताना जरूरी है कि कुछ माह पहले हुई अनियमितताओं की शिकायत मध्यप्रदेश शासन के ऊर्जा मंत्री, मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव ACS (ऊर्जा विभाग) तक पहुंचाई थी।

सवाल यह है कि शिकायत पर अब तक जो कार्यवाही हुई उसे बताया क्यों नहीं जा रहा है ?
ऐसा लगता है कि MPPGCL प्रबंधन ने केवल एक कमज़ोर जांच समिति बनाकर पूरे मामले को औपचारिकता पूरी तक सीमित कर दिया ।
ठीक उसी तरह जैसे पहले की गई सभी शिकायतों को दबा दिया गया और आज तक प्रभावी कार्यवाही नहीं हो सकी ।
_________________________
” अपनी खबर ” में प्रकाशित रिपोर्ट का असर : ‘ दीवाली में डिलीवरी ’
हमने विगत 14 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित समाचार में यह उजागर किया था कि पुराने सेल्स ऑर्डर के तहत 45,000 मीट्रिक टन कोयला प्राप्त ही नहीं हुआ, फिर भी 70,000 मीट्रिक टन का नया RCR ऑर्डर जारी कर दिया गया। इसके बावजूद अधिकारी चुप रहे।
फिर दीवाली की छुट्टियों (19, 20, 21 और 23 अक्टूबर)के दौरान , जब अधिकतर स्टाफ अनुपस्थित था, तभी रेलवे से ‘एम्प्टी’ मिलते ही RCR की रेक्स में मिट्टी, राख और रिजेक्टेड कोयला खाली कर दिया गया।
ऐसा लगता है कि त्योहार की छुट्टी में गड़बड़ी को छुपाते हुए कागज और साइड पर खानापूर्ति कर गई !
यहां बताना जरूरी है कि हमारी जांच के अनुसार, आज भी SGTPP का बैलेंस कोयला BBSB साइडिंग पर मौजूद नहीं है।
अब खंडवा तक बना : ‘ सैंपलिंग सिंडिकेट ’
हमारी जांच में यह सामने आया कि कोयले का यह नेटवर्क अब SSTPP खंडवा तक सक्रिय है।
जब वहां 44 सैंपल चोरी हुए थे तो इसके मामले में केमिस्ट राजेश तिवारी को ही जांच समिति का सदस्य बनाया गया था। इस जांच का परिणाम अब तक सामने नहीं आया है।
• लैब केमिस्ट अरविंद सोलंकी और भंवर पुरोहित, जो उसी मामले में लापरवाह पाए गए थे, वो आज भी SSTPP खंडवा में जमे हुए हैं।
• अनुराग सक्सेना, जो पहले SGTPP में श्री तिवारी के करीबी माने जाते थे, उनका ट्रांसफर भी SSTPP खंडवा के कोल सैंपलिंग लैब में करा दिया गया।
यानी SGTPP से लेकर SSTPP तक अब एक “सैंपलिंग चेन” बन चुकी है, जिसे उच्च स्तर से संरक्षण प्राप्त है। क्यों प्राप्त है ? इससे किसको फायदा हो रहा है ?
यह जांच जांच विजिलेंस कब शुरू करेगी ?
_________________________
उल्लेखनीय है कि जब 44 सैंपल चोरी की घटना सामने आई थी, तो अपेक्षा थी कि दोषियों को हटाया जाएगा। लेकिन अरविंद सोलंकी और भंवर पुरोहित आज भी उसी लैब में कार्यरत हैं। अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है —
क्या SSTPP में भी RCR और वॉश कोल सैंपलिंग इन्हीं के एहवाले जानबूझकर की गई है, ताकि रिपोर्ट को “मनमाफिक” मैनेज किया जा सके?

कोयले का स्टॉक था पर्याप्त , फिर भी नया ऑर्डर क्यों?
हमारे समाचार में बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा है: जब SGTPP में पहले से पर्याप्त कोयला स्टॉक मौजूद था , तो नया सेल्स ऑर्डर जारी करने की क्या जरूरत थी ?
क्या यह सही है कि पुराने 70,000 MT ऑर्डर का कोयला बाजार में बेच दिया गया ?
जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी उन्होंने एक बार भी साइडिंग जाकर यह क्यों नहीं देखा कि SGTPP का कोयला वास्तव में वहाँ है भी या नहीं ?
जनता के पैसों पर चल रहा है यह खेल :
यह मामला अब केवल विभागीय गलती नहीं बल्कि एक संगठित घोटाला बन चुका है जिसके कारण करोड़ों रुपये का नुक़सान हो जाने की संभावना है।
इसके साथ ही घटिया कोयले से बिजली उत्पादन में गिरावट, पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी भी हो रही है।
रिटायर्ड अफसरों की पुनर्नियुक्ति से बढ़ता गड़बड़ी बढ़ने की संभावना तेज हो गई है।
_________________________
अब स्थिती यह है कि MPPGCL में कोयले का यह खेल अब किसी एक संयंत्र तक सीमित नहीं रहा है।
यह एक ऐसे सिस्टम का प्रतीक बन चुका है जिसमें कुछ रिटायर्ड अफसर, सक्रिय अधिकारी और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के लोग मिलकर लगातार गड़बड़ी कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल यह है कि पूरे मामले में सख्त कार्यवाही कब तक होगी ?





