लक्ष्मी नारायण त्रिकार
बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय का अमर संदेश देने वाले युगपुरुष का नाम है स्वामी विवेकानंद। उन्होंने अपनी अमृत मय वाणी से संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति की ध्वजा लहराई। उनका जीवन दर्शन वर्तमान समय में अधिक प्रासंगिक है। भारतीय संस्कृति को नई दिशा प्रदान करने वाले युगपुरुष के अविस्मरणीय वक्तव्य  अनुकरणीय है।

 स्वामी जी कहते हैं  " यदि तुम दुखी हो तो सुखी बनने का प्रयास करो । अपने दुखों पर विजय प्राप्त करो। दुर्बल को ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती । अतः दुर्बल कदापि ना बनो । तुम्हारे अंदर असीम शक्ति का भंडार है। तुम्हें शक्तिशाली बनना चाहिए। शक्तिशाली हुए बिना तुम ईश्वर को कैसे प्राप्त कर सकोगे।"

 स्वामी विवेकानंद इस धरा पर 12 जनवरी को अवतरित हुए। यह कहना जरुरी होगा कि हम हर बार विवेकानंद जयंती मनाते हैं पर कभी उनकी बातों पर अमल  नहीं कर पाते। आज आवश्यकता है तो उनके संकल्प को पूरा करने  की। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा की। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानंद को पढ़िए। इस देश की समस्याओं के हिसाब से स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रसांगिक बने हुए है। स्वामी जी कहते थे गरीबों की सेवा का काम पूजा भाव से करो।

 शिक्षा कैसी हो ?
इस पर स्वामी जी कहते थे शिक्षा का मतलब यह नहीं है कि दिमाग में कई ऐसी सूचनाएं एकत्रित कर ली जाए जिसका जीवन में कोई इस्तेमाल ही नहीं हो ।हमारी शिक्षा जीवन निर्माण, व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण पर आधारित होनी चाहिए ।ऐसी शिक्षा हासिल करने वाला व्यक्ति  अधिक शिक्षित माना जाएगा। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ। वे युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं। देश में इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस, राष्ट्रीय युवा सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
युवाओं को सफलता का सूत्र देते हुए स्वामी जी ने कहा कि " कोई एक विचार लो और उससे अपनी जिंदगी बना लो । उसी के बारे में सोचो और सपने भी वही देखो । उस विचार को जियो। सफलता का यही एक मार्ग है।" आज सच तो यह है हमारे देश में ऐसे जागृत युवा बहुत ही कम संख्या में है ।

  स्वामी जी धर्म को उन सभी आडंबरो से मुक्त करके धर्म को व्यक्ति की स्वतंत्रता और आनंद की प्राप्ति का प्रमुख माध्यम बनना चाहते थे। उनका मानना था कि धर्म आनंद का सर्वोत्तम माध्यम है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विवेकानंद आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ राष्ट्रवादी विचारक थे ।उन्होंने देश की युवाओं को राष्ट्रवाद के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद एक मानवतावादी चिंतक थे। उनके अनुसार मनुष्य का जीवन ही एक धर्म है ।

 स्वामी जी के विचार और जीवन दर्शन आज के  इस दौर में अत्यधिक प्रासंगिक है । युगपुरुष स्वामी विवेकानंद हमारे देश का गौरव हैं। भारतीय संस्कृति को एक नई दिशा प्रदान करने वाले व्यक्तित्व को हम ह्रदय से नमन करते हैं।

Source : ( लेखक धर्म, आध्यात्म, पर्यावरण संबंधी विषयों पर लिखते हैं।)