( अमिताभ पाण्डेय  )
मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस हर वर्ष 30 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मानव तस्करी को रोकना और इसके लिए दोषी लोगों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करना है।
मानव तस्करी से संबंधित मामलों
की जांच पड़ताल करने वाली समाजिक संस्था क्राई ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 32 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं। लापता होने  वालों में 18 वर्ष से कम आयु के लड़के और लड़की दोनों शामिल हैं।
 मानव तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 30 जुलाई के मौके पर पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता बच्चों की स्थिति पर क्राई द्वारा जारी फेक्टशीट मे यह खुलासा हुआ है कि लड़कियों से अधिक लड़कों के गुमशुदा होने के मामले दर्ज हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार और नागरिक समाज संगठनों के लगातार प्रयासों से हाल के दिनों में राज्य में लापता बच्चों की स्थिति मे सुधार हुआ है। एक ताजा विश्लेषण से पता चला है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में लापता लड़कियों की संख्या में खासी गिरावट दर्ज की गई है।
इस विश्लेषण के अनुसार, राज्य में वर्ष 2022 में पिछले वर्ष की तुलना में लड़कियों के लापता होने के मामलों में 6% की गिरावट दर्ज की गई। हालाँकि, राज्य में लापता लड़कों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है।
इस विश्लेषण से यह भी पता चला है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में बच्चों के लापता होने के 11 हजार 717 मामले सामने आए। इनमें से 8 हजार 844 मामले लड़कियों के लापता होने के और 2हजार 873 मामले लड़कों के लापता होने के थे।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता बच्चों की स्थिति को समझने के लिए, बाल अधिकार समर्थकों द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और संबंधित राज्यों के राज्य पुलिस विभाग से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से यह डेटा एकत्रित किया गया हैं।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि प्रत्येक लापता होने वाले बच्चे की तस्करी होने का खतरा ज्यादा होता है। बच्चों के हक अधिकार पर काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) दुनिया भर मे मनाए जाने वाले मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता बच्चों की स्थिति पर आरटीआई डेटा का विश्लेषण कर फेक्टशीट जारी की।
इसके अनुसार बच्चों की गुमशुदगी के 75 फीसदी मामलों में पीड़िता लड़की होती है। वर्ष 2022 मे प्रतिदिन 24 लड़कियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई
आँकड़े यह भी दर्शाते हैं की वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में तीन गुना अधिक दर्ज की गई। राज्य में लड़कियों के लापता होने के 8 हजार 844 मामले दर्ज किए गए, जबकि लड़कों के मामलों की संख्या 2 हजार 873 थी।
इस बारे में क्राई (उत्तर) की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने कहा कि “लापता होने वाले बच्चे अक्सर मानव तस्करी का आसान शिकार होते हैं। फैक्टशीट के अनुसार मध्य प्रदेश में 2022 में लापता हुए बच्चों में 75 प्रतिशत से ज्यादा (संख्या में 8 हजार 844) लड़कियां थीं। यह गंभीर चिंता का विषय है कि लापता बच्चों में लड़कियों की संख्या काफी अधिक होने की प्रवृत्ति पिछले 5 वर्षों से लगातार बनी हुई है। "
उन्होंने कहा, “लापता होने वालों में लड़कियों की ज्यादा संख्या की वजह घरेलू कामकाज में उनकी मांग, व्यावसायिक देह व्यापार हो सकता है और कई बार लड़कियां घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा का शिकार होकर मजबूरन घर से भाग जाती हैं। महामारी के दौरान असंगठित क्षेत्र में सस्ते कामगारों की कमी के कारण बाल मजदूरी की मांग बढ़ी है। लापता लड़कों की संख्या मे वृद्धि भी चिंता का विषय है। यह सभी कारण राज्य मे बाल तस्करी के बढ़ते जोखिम का संकेत देते हैं”।

“घर से भागने वाली बच्चियों के मामले मे अधिकतर बच्चियाँ संभावित परिणामों से अनअवगत होती हैं और एक बेहतर जीवन की तलाश में कम उम्र में घर छोड़ने का भारी जोखिम उठा लेती हैं। यह लड़कियाँ, जो ज़्यादातर कम आय वाले और हाशिए पर रहने वाले परिवारों से आती हैं, कई बार तस्करी और अपहरण का आसान निशाना बन जाती हैं”, ऐसा सोहा मोईत्रा ने कहा।
राज्य मे पिछले 5 वर्ष मे दर्ज किए गए गुमशुदा बच्चों के मामले
राज्य में गुमशुदा बच्चों के सबसे अधिक मामले इंदौर और भोपाल मे दर्ज हुए हैं।
फैक्टशीट के मुताबिक राज्य में इंदौर और भोपाल में बच्चों के लापता होने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इंदौर में वर्ष 2022 में बच्चों के लापता होने के 977 मामले दर्ज किए गए, जबकि भोपाल में लापता बच्चों के 661 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों मे बच्चों के गुमशुदगी के ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
प्रदेश के 5  जिले ऐसे हैं जहां वर्ष 2022 मे बच्चों के गुमशुदगी के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। इनमे इंदौर , धार,  भोपाल ,  जबलपुर , सागर जिले शामिल हैं।
एमपी में बाल तस्करी के मामलों में 36 प्रतिशत की वृद्धि-एनसीआरबी :
 क्राई द्वारा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि मध्य प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2021 में बाल तस्करी के मामलों में वृद्धि हुईं है। क्राइम इन इंडिया-2021 रिपोर्ट के अनुसार बाल तस्करी के मामलों की संख्या 33 (2020) से बढ़कर 2021 में 52 हो गई है।
चूंकि, लापता बच्चों की तस्करी का खतरा अधिक होता है, इसलिए लापता बच्चों और तस्करी किए गए बच्चों के दर्ज मामलों में बड़ा अंतर गंभीर चिंता पैदा करता है।
 “यह तथ्य कि मध्य प्रदेश में सबसे अधिक संख्या में लापता बच्चों को बचाया जा रहा है, सिस्टम की तत्परता को दर्शाता है। हालाँकि, लापता हुए बच्चों और बचाए गए बच्चों की संख्या में अभी भी बड़ा अंतर है। लापता बच्चों के मुद्दे पर क्राई एक दशक से अधिक समय से काम कर रही है। इस दौरान हमने यह देखा है कि विभिन्न विभागों और अधिकारियों द्वारा कई सक्रिय कदम उठाए गए हैं, लेकिन कई बाधाएं हैं जिनके कारण स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित इस वर्ष की थीम "तस्करी के हर पीड़ित तक पहुंचें, किसी को पीछे न छोड़ें" रखी गई है। वैश्विक विषय को प्रतिध्वनित करते हुए, और आगे के रास्ते के बारे में विस्तार से बताते हुए, सोहा मोइत्रा ने कहा, “लापता बच्चों के मामलों के लिए और भी अधिक तत्परता से कार्य करना और स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का सख्ती से पालन करना समय की मांग है। लापता बच्चों के  तस्करों के जाल में फंसने के संभावित जोखिम को ध्यान में रखते हुए, एसओपी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि चार महीने की अवधि के भीतर किसी बच्चे का पता नहीं लगाया जा सका हो, तो मामले की जांच जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को स्थानांतरित कर दी जाएगी। साथ ही, एएचटीयू को मजबूत करने के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित किए जाने चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे सभी संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर काम करें।''

Source : ( इस आलेख के लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, संपर्क : 9424466269 )