बेहतर शहरी एवं ग्रामीण आमजन बचाव हेतु वैक्सीन एवं कोविड संगत व्यवहार का प्रभावी क्रियान्वयन मॉडल है भारत की प्रथम आवश्यकता -डॉ. नयन प्रकाश गाँधी सॉशेल एक्टिविस्ट एवं स्कॉलर अर्बन प्लानिंग मैनेजमेंट 

 

👍सबसे अधिक प्रभावी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी के भारत में आपात इस्तेमाल एक स्वागत योग्य कदम

 

👍विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मंजूर दूसरी वैक्सीन का भारत में आपात इस्तेमाल का मार्ग भी अब हुआ प्रशस्त

 

👍135 करोड़ आमजन वासी तक वैक्सीन पहुचाना भारत के लिए राष्ट्रीय ही नही अन्तराष्ट्रीय चुनोती 

 

👍कोविड महामारी एक देश के राष्ट्रीय छवि के साथ अन्तराष्ट्रीय सम्बन्धो ,नीतियों को भी करती है प्रभावित 


👍वैश्विक महामारी के लिए वैश्विक अत्याधुनिक सोच से सयुक्त मिलकर समाधान निकालना है अति आवश्यक 

 


जैसा कि विदित है कि  26 से 34 वर्ष के मध्यस्थ कोरोना संक्रमण डबल म्यूटेशन की भयानक  तीव्रता के साथ अपने पाव पसार रहा है । युवा भी इससे अछूता नही हो रहा है । 35 से 45 वर्ष के अंदर तो कोरोना संक्रमण के मामले और अति खतरनाक है। आज सर्वाधिक युवा जनसँख्या वाले युवा भारत देश को कोविड बचाव के लिए युवा सोच की जरूरत है ,और यह सोच वैक्सिनेशन की दिशा में अन्तराष्ट्रोय स्तर पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में रूसी वेक्सीन की तर्ज पर अन्य देशों की वैक्सीन को भी शीघ्र अनुमति दी जानी चाहिए।कोरोना संक्रमण के फलस्वरूप भयावह हालात के मध्यस्थ यह राहत की खबर है कि केन्द्रीय औषधि मानक नियामक संगठन (डीसीजीआइ) ने रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी के भी भारत में आपात इस्तेमाल की अनुमति दी है,जो कि वर्तमान वस्तु परिस्थिति के अनुसार एक बेहतरीन संकेत है। वस्तुतः कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए तीव्र गति से  वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया क्रियान्वित की जानी चाहिए। इससे और भी अन्तराष्ट्रीय वेक्सीन भारत जैसे देश में दो की जगह पांच-सात तरह की वैक्सीन भी उपलब्ध हो सकें, तो इसमें किसी को भी कोई आपत्ति नही होनी चाहिए। रूस की  स्पूतनिक-वी के भारत में आपात इस्तेमाल को मंजूरी मिलने का स्वागत किया जाना चाहिए। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मंजूर दूसरी वैक्सीन का भारत में आपात इस्तेमाल का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। भयावह संकट के इस दौर में इंसान की जान बचाना ही हम सब की प्राथमिकता होनी चाहिए। देखा जाए तो रूसी वैक्सीन की प्रभाविकता भारतीय वेक्सीन की तुलना में बेहतर बताई जा रही है। बेहतर वैक्सीन चाहे देश में बनी हो या फिर विदेश में, उनकी व्यापक उपलब्धता ज्यादा जरूरी है, क्योंकि टीकों की उपलब्धता यदि जनसँख्या के हिसाब से नहीं हुई, तो प्रक्रिया में समय लगने के साथ-साथ संक्रमण का खतरा लगातार बना रहेगा। वैसे भारत देश मे  कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगना जब से शुरू हुईं, तब से वैक्सिनेशन की स्पीड पूरे विश्व के दूसरे कई देशों की अपेक्षा कहीं बेहतर है। दूसरी और लेकिन, संक्रमण से ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और पंजाब ,दिल्ली ,हरियाणा ,मध्यप्रदेश ,राजस्थान में जिस गति से टीकाकरण होना चाहिए था, वह स्पष्ठत: दिख नहीं रहा।

। खास तौर से यह कि सरकार अपने देश के लोगों को खतरे में डालकर दुनिया के दूसरे देशों को वैक्सीन क्यों भेज रही है?  देखा जाए तो भारत मे वैक्सीन लगाने के लिए शुरुवात में राजनीतिक मतभेद के चलते आम जन वेक्सीन के लिए रुचि नही दिखा रहे थे ,और वैक्सीन के वेस्ट को बचाने के लिए भारत ने वैक्सीन को दूसरे देश को बेचना शुरू कर दिया,जिससे भारत की अन्तराष्ट्रीय छवि भी और अधिक मजबूत हुई है ,यह माननीय प्रधानमंत्री की दुरदर्शिता एवं इस महामारी के मध्यस्थ शांति ,मानवीयता की पहल को दर्शाता है। अभी फिर रूस तक ने संकेत दिया है कि वह भारतीय टीके का रूस में भी उत्पादन तेज गति से कर सकता है यह भारत के रूस से बेहतर सम्बन्ध को दर्शाता है। सही मायने में महामारी की चुनौती के इस दौर में फार्मा ,स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे के सहयोग की ज्यादा जरूरत है। ऐसे में रूस के साथ दुनिया के तमाम सक्षम देशों को भारत मे वैक्सीन के लिए आगे आना चाहिए और सरकारी और प्राइवेट पार्टनरशिप में इसे ओपन कर देना चाहिए ,आम जन के लिए हर स्तर पर निःशुल्क और सशुल्क विभिन्न श्रेणी की उत्कृष्ट वेक्सीन की चॉइस का अवसर हो। जैसे अब विश्व स्वस्थ्य  संघठन एवम आईसीएमआर ,स्वास्थ्य मत्रालय एवं कई सामाजिक संघठनो की पहल से जो हाल ही में भारत मे वैक्सीन के प्रति जो जागरूकता प्रसारित हुई है ,वह प्रशंसनीय है , अभी टीकों की मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर है। यह एक अभूतपूर्व समय है जब लोगो को वेक्सीन के लिए प्रेरित किया जा सकताहै। सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि पात्र श्रेणी के सभी लोगों तक टीके की पहुंच हो ही नहीं पाई है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जिन लोगों को टीका लगा है, उनमें अधिकतर वे हैं जिन्हें फिलहाल टीके की एक ही डोज लगी है। ऐसे में जब दूसरी डोज लेने की बारी आए, तो संबंधित वैक्सीन की आसान उपलब्धता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। आज केंद्र सरकार को वेक्सीन हेतु एक अलग से केंद्रीयकृत टास्क फ़ोर्स कमेटी गठित कर राज्य,जिला ,ब्लाक एवं पंचायत स्तर पर वैक्सीन हेतु टेम्परेरी प्रोजेक्ट बेसिस कार्मिक नियुक्त कर वैक्सीन की दिशा में कार्य तेज करने की आवश्यकता है । ताकि पहली और दूसरी डोज शीघ्र अतिशीघ्र लग सके ।साथ ही प्राइवेट स्तर पर अन्य देशों की वैक्सीन को भी प्राइवेट स्तर पर अनुमति दी जाए ताकि भारत का एक विशाल अमीर तबका अपनी इच्छानुसार सशुल्क भी वैक्सीन लगवा सके। क्योकि हाल फिलहाल आंशिक लोकडॉउन ,कर्फ्यू आदि के समय का उपयोग केंद्र सरकार एवं सम्बंधित स्वास्थ्य मंत्रालय वैक्सीन उपलब्धता के लिए वेहतर प्रबंधन के लिए कर सकती है ताकि इस विकट परिस्थितियों का बेहतर उपयोग हो सके और कोरोना महामारी पर अंकुश लगाया जा सके ।देखा भी गया है जिन देशों में वेक्सीन अधिक से अधिक लगाई गई है ,वहां कोरोना से मृत्यु दर में कमी आई है और यह तक कि ज्यादातर लोगों में कोरोना के प्रति एंटीबॉडी विकसित कर ली है ,वेक्सीन ही है जो वर्तमान में सबसे बड़ा हथियार है और बेशक इसी के साथ कोविड संगत व्यवहार के लिए भी तीव्र गति से जागरूकता भी अति आवश्यक है जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा आमजन के मध्यस्थ लोकप्रिय बॉलीवुड सेलेब्रिटी ,अभिनेताओं,सॉशेल एक्टिविस्ट  आदि को ब्रांड एम्बेसडर के रूप में वीडियो ,शार्ट फ़िल्म ,टेलीविजन नाटक आदि के माध्यम से कोविड संगत व्यवहार के विभिन्न पहलुओं पर गौर किया जाना अति आवश्यक है।

 

 

 


लेखक :युवा मैनेजमेंट विश्लेषक डॉ. नयन प्रकाश गाँधी शहरी प्रबंधन के क्षेत्र में रिसर्चर है ,केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के अधीन आईआईपीएस मुम्बई विश्विद्यालय के एलुमनाई रहे है एवं जनसँख्या अध्ययन में पोस्ट ग्रेड्यूट है,कोविड-19 अवेयरनेस में ग्लोबल ब्रांड एम्बेसडर के रूप में सक्रिय है एवं सयुक्त निदेशक एशिया कॉन्टिनेंट के पद पर वर्ल्ड युथ आर्गेनाइजेशन में भी सक्रिय है । वे नियमित रूप से सामाजिक ,राष्ट्रीय,अन्तराष्ट्रीय जन समसामयिक मुद्दों पर लेखन में लगातार सक्रिय है ।

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