अमिताभ पाण्डेय

हाल ही मे सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और चर्चित मॉडल पूनम पांडे की बीमारी को लेकर मीडिया मे खूब खबरें चली । ऐसा बताया गया  कि उन्हें    सर्वाइकल कैंसर नामक बीमारी हो गई है। इसकी समय पर पहचान कर  उपचार शुरू नहीं किया जाए तो यह बीमारी जान ले सकती है। हमारे देश मे भी इस बीमारी के  कारण अनेक महिलाएं बेवक्त अपनी जिंदगी खत्म कर चुकी हैं।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 वर्षों मे कैंसर की बीमारी  तेजी से बढ़ी है।  वर्ष 2012 मे दुनियाभर मे 1.4 करोड़ महिला - पुरुष कैंसर के मरीज थे जिनमें से 82 लाख की मौत हो गई। वर्ष 2022  मे इस बीमारी के पीड़ितों की संख्या 2 करोड़ से अधिक हो गई जबकि लगभग 97 लाख मौतें इसके कारण हुई । यह कैंसर मुंह, लंग, स्तन अथवा सर्वाइकल में से कोई भी हो सकता है। इसी प्रकार के कैंसर ने हमारे देश-प्रदेश में लगभग 32% लोगों को अपना शिकार बनाया जिसमें महिलाएं और पुरुष भी शामिल हैं । इस बीमारी से पीड़ित जो महिलाएं हैं उनमें स्तन , और सर्वाइकल कैंसर की मरीज भी शामिल हैं ।

वर्ष 2022 में भारत में कैंसर के कुल 14.13 लाख मामले सामने आए हैं जिनमें 9.6 लाख पुरुष - महिलाओं की मौत कैंसर से हुई । महिलाओं में स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर बीमारी अधिक होती है जबकि पुरुषों में मुंह का कैंसर और लंग कैंसर की बीमारी अधिक पाई जाती है। महिलाओं में कैंसर की बीमारी पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।
 वर्ष 2022 में प्रति 9 पुरुष में से 1 पुरुष मुंह या लंग के कैंसर का शिकार था जबकि 12 में से 1 महिला को सर्वाइकल या स्तन कैंसर पाया गया।

यहां यह बताना जरूरी होगा कि सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स में होने वाला गंभीर प्रकार का कैंसर है । सर्विक्स गर्भाशय का निचला भाग होता है जो की योनि से जुड़ा रहता है ।
सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर मामले ह्यूमन पैपिलोमावायरस ( एचपीवी ) के संक्रमण के कारण होते हैं । पिछले कुछ वर्षों में भारत में सर्वाइकल कैंसर 18.3% की दर के साथ सबसे बड़ी बीमारी के रूप में उभरा है । एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 9.5% की मृत्यु दर के साथ महिलाओं की मौत का यह दूसरा बहुत बड़ा कारण है। उल्लेखनीय है कि देश में स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर ही है।

 हर साल भारत में  लगभग 1 लाख 23 हजार 907 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर का शिकार होती हैं । नेशनल सेंटर फॉर इनफॉर्मेटिक्स एंड डिजीज रिसर्च ( एनसीडीआईआर ) और आईसीएमआर की वर्ष 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भोपाल में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 12.8% महिलाएं सर्वाइकल से पीड़ित हैं। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में 11हजार 900 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर है। सर्वाइकल कैंसर की बीमारी के मामले में अपना भोपाल शहर भारत में 15 में स्थान पर है। आईसीएमआर के एक अध्ययन के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2025 तक 45 हजार 200 महिलाओं और 43 हजार  097 पुरुषों को कैंसर होने की आशंका है।

यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि सर्वाइकल कैंसर ऐसी गंभीर बीमारी है जिसका शुरुआती समय में पता नहीं चलता है। इस बीमारी को जब डॉक्टर पहचानते हैं तब तक कई बार यह बीमारी अति गंभीर अवस्था में पहुंच चुकी होती है और मरीज का उपचार करना मुश्किल हो जाता है। शायद यही कारण है कि सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं में से 62% की मौत उपचार के दौरान हो जाती है ।

 यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2022 में जारी की गई एक रिपोर्ट पर ध्यान दें तो उसमें उल्लेख किया गया है कि आने वाले वर्षों में सर्वाइकल कैंसर सहित कैंसर के अन्य प्रकार जैसे स्तन कैंसर,  मुंह कैंसर , लंग कैंसर की बीमारियों के तेजी से बढ़ाने की आशंका है। वर्ष 2050 में कैंसर के 3 करोड़ 50 लाख से अधिक मरीज सामने आ सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की शाखा इंटरनेशनल एजेंसी फार रिसर्च आन कैंसर के अनुसार वर्ष 2050 तक कैंसर की बीमारी 75 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है ।
 यह बीमारी तेजी से लोगों के बीच फैल रही है ।

इस बीमारी से बचाव और जागरूकता के लिए अभी सरकार अथवा समाज के स्तर पर जितने प्रभावी कार्य होना चाहिए उतने नजर नहीं आ रहे हैं । हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 9 वर्ष से 14 वर्ष तक की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव का मुफ्त टीका लगाने के लिए बजट में प्रावधान किए जाने की घोषणा की है।  इतना कर देना पर्याप्त नहीं है। सर्वाइकल कैंसर , स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर,  लंग कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव और जागरूकता एवं उपचार के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए जाने की जरूरत है। इस प्रकार के अधिक से अधिक अभियान  उन ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जाना चाहिए जहां महिलाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं है ।

यहां यह बताना जरूरी होगा कि महिलाओं की आदर यह होती है कि जब तक कोई बीमारी उन्हें ज्यादा तकलीफ़ नहीं दे , तब तब वे इसके बारे मे अपने परिवारजनों, निकट संबंधियों को बताती नहीं है। इसके साथ ही यह भी देखा गया है कि महिलाओं मे अपनी बीमारी को छिपाने की आदत होती है। वे सामाजिक लोकराज के डर से अपने शरीर के अंदरुनी अंगों मे होने वाली बीमारियों के बारे मे लेडी डॉक्टर से भी बात नहीं करना चाहती हैं। ऐसे मे शरीर के अंदर रोग धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों मे अब भी महिलाएं अपनी बीमारी के बारे मे बात नहीं करना चाहती हैं। इसीलिए सबसे ज्यादा मरीज भी वे ही होती हैं।

सर्वाइकल कैंसर हमारे देश  महिलाओं को कम उम्र में ही मौत का कारण बन रहा है। इसे रोकने के लिए शासन स्तर पर अधिक प्रयास करना होगा। शासन की और से कैंसर की जांच, बचाव और उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से लगातार शिविर आयोजित करना जरूरी है।

Source : ( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं , संपर्क : 9424466269 )