त्योहार भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जो सामाजिक संबंध, पारंपरिक मूल्य और सांस्कृतिक अनुष्ठानों को मजबूती प्रदान करते हैं. त्योहार समाज में प्रेम और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देते हैं. वहीं भारतीय संस्कृति में वास्तु शास्त्र का भी बहुत महत्व है. ऊर्जा और संतुलन को ध्यान में रखकर इसके नियमों के पालन से भौतिक और मानसिक संतुलन प्रदान करता है.

यह एक ऐसी विद्या है जो हमें हमारे घर और पारिस्थितिकी तंत्र में सुख-शांति और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है. वास्तु शास्त्र और त्योहार, दोनों ही हमारे भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं. जहां वास्तु हमें अच्छी ऊर्जा और समृद्धि की ओर प्रवृत्त करता है, वहीं त्योहार हमें परस्पर प्रेम और सद्भावना की ओर प्रेरित करते हैं.

मैले वस्त्र पहनने के नुकसान
वास्तु शास्त्र के अनुसार, त्योहार के समय घर में नकारात्मकता और बुरी ऊर्जा से बचने के कुछ नियम हैं. फटे और मैले वस्त्र पहनने से व्यक्ति की ऊर्जा की समृद्धि को बाधित किया जा सकता है और यह भी माना जाता है कि ऐसे वस्त्र दुर्भाग्य और बीमारियों का कारण बन सकते हैं.

टूटे-फूटे सामान से
त्योहारों के समय, घर में सफाई और व्यवस्था की भी विशेष जरूरत होती है. अनुपयोगी और टूटे-फूटे सामान से घर में नकारात्मक ऊर्जा फैल सकती है, जिससे परिवार में अशांति का माहौल बन सकता है.

वाद-विवाद से
वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्योहारों पर लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए. कलह और बहस से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सकता है, जो व्यक्ति की प्रगति को रोक सकता है.

अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य
त्योहार के समय, आदान-प्रदान, प्यार और सम्मान की भावना होनी चाहिए. इस समय पर किसी का अपमान करना या उसे अप्रिय वचन बोलना विशेष रूप से वर्जित है. बड़ों और बुजुर्गों का सम्मान करना और उनके आशीर्वाद लेना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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