( अमिताभ पाण्डेय )
आज 7 अप्रैल है । यह दिन दुनिया भर में विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस  वर्ष के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम " मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार " है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस वर्ष 2024 की थीम इस बात पर ध्यान केंद्रित कराती है कि सबके लिये बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मिल सकें।
 यह थीम इस ओर भी इशारा करती है कि "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार,"  की परिकल्पना के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सबकी पहुंच में हो । बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं समाज के हर वर्ग को बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध हो सके।
सबके लिए मुफ्त उपहार के साथ ही गुणवत्तापूर्ण दवाईयां भी आसानी से मिल सकें ।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लू.एच.ओ. की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 140 देशों के संविधान में स्वास्थ्य को मानव अधिकार के रूप में मान्यता मिली है ।
इसके बावजूद भी यह आश्चर्यजनक है कि वर्ष 2021 में लगभग विश्व की आधी आबादी स्वास्थ्य सेवाओं से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं। यह अत्यन्त चिंताजनक है।  
इस बारे में उत्तरप्रदेश के झांसी शहर में स्थित एम एल बी मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की सहायक आचार्य डॉ सुधा शर्मा का कहना है कि
मनुष्य की मूलभूत जरूरतों की सूची में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ 'अच्छा स्वास्थ्य' भी जोड़ा जाना चाहिए। स्वास्थ्य एक ऐसी अवस्था है जिसके बिना जीवन की सभी आकांक्षाएं और उपलब्धियाँ अधूरी रहती हैं।
डा शर्मा के अनुसार हमारे स्वास्थ्य को तरह-तरह की बीमारियों  से, प्राकृतिक और मानवनिर्मित आपदाओं से और पर्यावरण को  हो रहे नुकसान से बहुत खतरा है। इसके कारण अनेक बीमारियां हो रही है।
ये बीमारियां अनेक प्रकार की हो सकती हैं जैसे- संक्रामक रोग, जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ, पोषण संबंधी बीमारियाँ, मां और शिशु स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ, और अन्य।
यदि हम गैर-संचारी रोगों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो कि हमारे देश में प्रायः 63% मौतों का कारण बनते हैं। इन गैर संचारी या लाइफ स्टाइल से होने वाली बीमारियों से कैसे बचा जाए ?
इस बारे में आम आदमी के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
डॉ सुधा शर्मा मानती हैं कि यदि हम 'स्वास्थ्य के अधिकार' को केवल सरकारों का कर्तव्य और चिकित्सकों की कर्तव्यनिष्ठा मानते हैं तो हम स्वयं की जिम्मेदारी मुँह फेर रहे हैं।  सरकार के साथ समाज के हर वर्ग की भागीदारी से ही सबके लिए बेहतर स्वास्थ्य का सपना साकार हो सकेगा।
डॉ शर्मा के अनुसार उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, और कैंसर जैसी बीमारियाँ भी लगातार बढ़ रही हैं। ऐसी बीमारियों के कुछ  कारण है जिनकों समझकर बेहतर बचाव किया जा सकता  है।  
इसके लिए असंतुलित आहार (अनहैल्थी डाइट), शारीरिक निष्क्रियता, और तंबाकू व शराब का सेवन जैसी बुरी आदत को छोड़ना होगा।
यह बताना उचित होगा कि धूम्रपान , शराब का सेवन और शारीरिक निष्क्रियता हर साल विश्वभर में 7 मिलियन, 3.3 मिलियन, और 1.6 मिलियन मौतों का कारण बनती हैं। की लोगों की जिंदगी का बड़ा समय इन बीमारियों से लड़ने में निकल जाता है।
डॉ सुधा शर्मा  मानती हैं कि  स्वस्थ जीवन के लिये
खान-पान में संयम आवश्यक है । अपने भोजन में अत्यधिक चीनी नमक, और चर्बी से बचें। अपने आहार में ताजा फल और सब्जियों को प्राथमिकता दें। फैक्ट्री में बने फूड प्रोडेक्ट से बचें। आवश्यकतानुसार खाएँ, अत्यधिक चाय, काफी के सेवन से बचे। दिन में दो बार भोजन करना और रात का भोजन जल्दी करना मनुष्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक है । इसके साथ ही
 नियमित शारीरिक गतिविधि,योग , ध्यान ,व्यायाम को अपनी आदत में शामिल करें। इससे शरीर और मस्तिष्क दोनों को लाभ मिलेगा। इससे मानसिक तनाव नहीं होगा। यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
 बैहतर स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन 6-8 घंटे की नींद हर व्यक्ति के लिये जरूरी है। सोने के 1-2 घंटे पहले तक मोबाइल या टी वी का उपयोग न करें। सोने से 2-3 घंटे पहले अपना भोजन कर लें। इसके साथ ही मोबाइल के उपयोग को भी कम करें। अनेक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मार्टफोन का अधिक उपयोग हमारे जीवन की सक्रियता को नष्ट करता है । यह मानसिक तनाव का भी प्रमुख कारण है। हमें अपनी स्क्रीन की दुनिया से किनारा करके वास्तविक दुनिया में एक स्वस्थ्य जीवन शैली की ओर बढ़ना चाहिये।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति स्वयं का और अपने परिवारजनों, साथियों का स्वास्थ बेहतर रख सकता है। बेहतर स्वास्थ्य से देशवासी सशक्त और समृद्ध बनेंगे। इससे हमारा राष्ट्र भी प्रगति के पथ पर तेजी से बढेगा।
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं,  संपर्क : 9424466269 )

Source : Agency