( अमिताभ पाण्डेय )
भोपाल।
सामाजिक सरोकार को समर्पित रहे डॉ अजय खरे की स्मृति को स्थायी बनाने के लिए प्रतिवर्ष व्याख्यान माला का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम की दसवीं कड़ी आज 3 मार्च 2024 को गांधी भवन भोपाल में आयोजित की गई । इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता  संजय पारीख उपस्थित थे।

आज के आयोजन का विषय “स्वास्थ्य और भूख के प्रति संवैधानिक, कानूनी और अधिकार " पर आधारित रहा।  विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री पारीख ने कहा कि जब दुनिया में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र (UDHR) पर चर्चा की जा रही थी उसी समय भारत में हमारे जन प्रतिनिधी देश के संविधान बना रहे थे।
देश में मानवअधिकारों को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र और सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर सम्मेलन (CSECR) की मूल भावना के अनुरूप थे।

 देश में मानवअधिकारों की रक्षा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करता है परंतु आयोग को पूर्ण रूप से शक्तियाँ नहीं दी गई है, आयोग को अधिक शक्तियाँ दी जाना चाहिए।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि सिलिकोसिस मामले में  गुजरात सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पीड़ितों को मुआवजा दिये जाने संबन्धित निर्णय को नहीं माना और आयोग को सर्वोच्च न्यायालय में मामला ले जाना पड़ा।

आयोजन के दौरान अपने संबोधन में वक्ताओं ने कहा कि सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों स्वास्थ्य का अधिकार, भोजन का अधिकार, आवास, शुद्ध पेयजल, पोषण, सुरक्षा आदि का होना आवश्यक है। सरकार अपने दायित्व निजी हाथों को देती है तो सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती है।

अगर विकास की बात करते हैं तो स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित होना जरूरी है। निजी स्वास्थ्य सेवाएँ एक हिस्से को सेवाएँ दे रही है और 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में निवास करते हैं। इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दयनीय है या नही है और पारंपरिक पद्धति पर आश्रित हैं। इसके साथ ही शहरी स्वास्थ्य की स्थिति गंभीर है। दिल्ली मे कई लोग इलाज से वंचित है। कोर्ट एंड हंगर मे बताया गया कि 8 जिलों मे पानी, भोजन आवास सुविधा नहीं थी , न वाहन । पहली बार ओड़ीशा में जहां लोग भुखमरी से मर रहे थे वहाँ मोबाइल स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचने का कार्य  किया गया। स्वास्थ्य देखभाल का प्रावधान होने के बावजूद मिलता नहीं है।  निजी अस्पतालों को को नियमित करने के लिए क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 तो बना दिया परंतु मानक उपचार नियम और मूल्य निर्धारित नहीं किए।  निजी अस्पतालों में अनैतिक दवा परीक्षण, शव देने से इंकार करना, आपातकालीन सेवाएँ नहीं मिलना, जैसे लापरवाही होती है।

2013 मे फाइजर ने 23.85 मिलियन जुर्माना दिया थाऔर 8 सालों में 7 फार्मा कंपनीयों ने 34186.95 करोड़ मार्केटिंग पर खर्च किए। भोपाल गॅस पीड़ितों पर अनैतिक दावा परीक्षण हुये है जिसमे 22 लोगो कि मृत्यु हुई है। अनैतिक दवा परीक्षण के मामले में स्वास्थ्य अधिकार मंच की याचिका के कारण कुछ बदलाव आया है।   

जो परिवर्तन हो रहा है उससे सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हो रहे है। सकल घरेलू उत्पाद और अर्थव्यवस्था की मजबूती दोनों अलग अलग है। इसलिए सरकार भूख के आंकड़ों को नकार नहीं सकती। आगे बढ़ाना है तो शासन को स्वास्थ्य संबंधी आलोचनाओं को सुनना होगा । व्यवस्था पर सवाल उठाने  वालों के खिलाफ एक्शन लेना ठीकनही है।

इस मौके पर डॉ इमराना कदीर को जन स्वास्थ्य सम्मान 2023 से नवाजा गया।यह सम्मान प्रो ऋतु  प्रिया ने सौंपा। डॉ अनत भान ने जन स्वास्थ्य सम्मान के बारे जानकारी देते हुये डॉ इमराना कदीर के बारे विस्तार से बताया।   

कार्यक्रम के दौरान सबने माना कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लिए राज्य को ज़िम्मेदारी लेना पड़ेगी । स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिकार आधारित दृष्टिकोण पर कार्य करना होगा। इसके लिए हमे एक ओर कोविड का इंतजार नहीं करना चाहिए और स्वास्थ्य व्यवस्था को तत्काल सुधारा जाए।

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य का अधिकार की बात संविधान के आर्टिकल 21 में भी है । ये हमारे मौलिक अधिकार में शामिल है ,  नीति निदेशक तत्वों में शामिल है । इसको अब तक लागू नहीं किया गया है।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट युनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) एस. सूर्य प्रकाश ने की और विषय प्रवर्तन  मनोहर अगनानी, पूर्व अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार करेंगे।

जन स्वास्थ्य अभियान के  अमूल्य निधि ने बताया कि  जन स्वास्थ्य अभियान के राज्य स्तरीय सम्मेलन में  प्रदेश के मुख्य स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा की गई । भविष्य के लिए एक कार्य योजना का निर्माण भी किया गया । इसमे स्वास्थ्य सेवाओं के बढ़ते निजीकरण, मानसिक स्वास्थ्य, व्यावसायिक स्वास्थ्य, महिला स्वास्थ्य के मुद्दे और भोपाल गैस कांड की 40 वीं बरसी पर अभियान और दवा मूल्य निर्धारण के मुद्दों पर सार्थका प्रयास किए जाएंगे।   जन स्वास्थ्य अभियान मध्य प्रदेश का  राज्य सम्मेलन भी आज आयोजित किया गया जिसमे नई राज्य समन्वय समिति बनाई गई।  स्वास्थ्य के निजीकरण , व्यशायिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और दवाई के मुद्दे और महिला स्वास्थ्य के मुद्दे के साथ साथ गैस त्रासदी के चालीस साल पूरे होने जा रहा है , इस सवाल पर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।

आज के कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता का स्वागत सिलिकोसिस पीड़ित संघ के दिनेश रायसिंह, मोहन सूलया और माधवी  ने किया और उनका परिचय  राकेश दीवान ने दिया। डॉ सूर्यप्रकाश ने स्मृति शुक्ला और परिचय धीरेंद्र आर्य ने किया । कार्यक्रम का संचालन एस आर आजाद ने किया और आभार म.प्र.मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के डॉ माधव हसानी ने किया।

Source : Agency