सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ पेड़ पौधों की भी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में पेड़-पौधों की पूजा के बारे में कई तथ्य बताए गए हैं. हमारे यहां पेड़-पौधे के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी गई है, लेकिन इसके धार्मिक महत्व भी हैं. ऐसा ही एक पेड़ है केले का. सनातन धर्म में केले के पौधे का बहुत ही महत्व है. इसका उपयोग पूजा-पाठ के लिए किया जाता है, इसके साथ ही गुरुवार के दिन इस पौधे की भी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, मान्यता है कि केले के पौधे में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का निवास होता है. केले के पेड़ से जुड़े वास्तु के नियम.

केले के पत्ते का उपयोग
गुरुवार के व्रत में केले का पौधा अनिवार्य होता है. सत्यनारायण व्रत कथा, विवाह और दिवाली पूजन के मंडप के लिए भी केले के पत्ते का उपयोग किया जाता है. दक्षिण भारत में केले के पत्तों पर खाना भी परोसा जाता है.


पौराणिक कथा
कथा है कि एक बार दुर्वासा ऋषि ने अपनी पत्नी को नींद में बाधा डालने पर क्रोधित होकर श्राप दिया था. उन्होंने गुस्से में अपनी पत्नी को कहा कि वह केले का पौधा बन जाए. जब पत्नी ने क्षमा मांगी को उन्होंने स्वीकार नहीं किया. इसके बाद उनकी पत्नी ने मांग करते हुए कहा कि केले के पत्ते की पूजा की जाए तब ऋषि ने इस बात को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद से इस पौधे को हमारे धर्मग्रंथ में पवित्र माना जाता है.

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास
भगवान गुरु को विशेष रूप से केले का भोग लगाया जाता है. केले के पेड़ का तना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसके पेड़ में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी निवास करते हैं.

केले के पेड़ से जुड़े वास्तु टिप्स

1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा में केले का पेड़ लगाना शुभ होता है, क्योंकि उत्तर दिशा देवी-देवता की दिशा मानी जाती है.

2. केले के पेड़ के पास भूलकर भी कांटेदार पौधे जैसे गुलाब आदि नहीं लगाना चाहिए. इससे घर में क्लेश बढ़ जाता है.

3. केले के पेड़ में भूलकर भी गंदा पानी नहीं डालना चाहिए. मान्यता है कि इस वृक्ष में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है.

4. इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आपके घर में लगा केले का पेड़ कभी सूखे नहीं.

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