( योगीराज योगेश )

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों अलग ही रंग में नजर आ रहे हैं। ठेठ आदिवासियों की वेशभूषा, रंग बिरंगी जैकेट और मोर पंख लगी पगड़ी पहन कर मंच पर टहलते हुए  धाराप्रवाह बोलते हैं।

हरदा में कृषि मंत्री कमल पटेल के मुख्य यजमान के रूप में चल रही विदुषी कथावाचक जया किशोरी  की भागवत कथा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का एक अलग ही रूप देखने को मिला। वातानुकूलित विशाल कथा मंडप में श्रद्धालुओं से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग और कर्म मार्ग पर ऐसे धाराप्रवाह प्रवचन दिए कि व्यास पीठ पर विराजित विदुषी जया किशोरी भी गदगद हो गईं। उन्होंने मंच से ही मुख्यमंत्री की वक्तव्य शैली की जमकर प्रशंसा की और मन से आशीर्वाद दिया।

वैसे सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री जब भी बोलते हैं, जबरदस्त बोलते हैं और धाराप्रवाह बोलते हैं। राजनीति के पहले यदि शिवराज का कोई पसंदीदा विषय रहा है तो वह है धर्म, अध्यात्म और दर्शन। दर्शनशास्त्र में तो वे गोल्ड मेडलिस्ट हैं ही। इसके अलावा वेद, उपनिषद, प्राच्य व्याकरण, संस्कृत और गीता में भी उनकी गहरी दिलचस्पी है। भगवत गीता के श्लोक और रामायण की चौपाइयां उन्हें कंठस्थ हैं। गाहे-बगाहे अपने भाषणों में भी वे इनका खूब जिक्र करते रहते हैं। धार्मिक विषय पर तो जब वे बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि कोई विद्वान संत शिरोमणि अध्यात्म और दर्शन के गूढ़ रहस्यों की बहुत ही सहज और सरल ढंग से व्याख्या कर रहा है।

हरदा में भी गले में भगवा उपर्णा डालकर मंच पर आते ही श्री चौहान ने करहूं प्रणाम जोरि जुग पानी, चौपाई सुना कर कहा कि सृष्टि के कण-कण में भगवान विराजमान है। हर आत्मा, परमात्मा का ही अंश है। हम सब में भी वही समाया हुआ है। इसलिए आपके ह्रदय में बैठे कन्हैया और राधा जी को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं। उसके बाद उन्होंने पूछा कि जीवन का उद्देश्य क्या है? जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है? फिर कहा कि संतों, महात्माओं ऋषि-मुनियों ने ईश्वर की प्राप्ति के तीन मार्ग बताए हैं। पहला ज्ञान मार्ग दूसरा भक्ति मार्ग और तीसरा कर्म मार्ग। श्री चौहान ने ज्ञान मार्ग की व्याख्या करते हुए बताया कि जो ज्ञान मार्ग पर चलते हैं वह जनता को सत्य का ज्ञान देने का काम करते हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य ने बताया-  ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या। सत्य कौन है? सत्य तो केवल भगवान है। जगत तो मिथ्या है। यदि मिथ्या है तो दिखता क्यों नहीं? तो उन्होंने कहा जैसे नींद में सपना देखते हैं तो सपने में घटी बात हमें हकीकत नजर आती है,  लेकिन जैसे ही सपना टूटता है तब पता चलता है कि यह तो सपना था।  इसी तरह यह जगत मिथ्या है। सत्य केवल एक है, वह है ईश्वर।

मुख्यमंत्री ने फिर भक्ति मार्ग की व्याख्या करते हुए कहा कि जो पागल हैं, जो दीवाने हैं। वह इस मार्ग पर चलते हैं। जैसे मीरा। राजघराने में पैदा हुई लेकिन कृष्ण की दीवानी हो गई।  मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई। मीरा नाचती थी। गाती थी। लोगों ने उनसे कहा कि आप राजघराने में पैदा हुई हैं। आपको लज्जा नहीं आती। तो मीरा ने कहा- संतन संग बैठि बैठि लोक लाज खोई, मीरा नहीं रुकी। लोग नहीं माने तो मीरा ने कहा - मुझे जहर दे दो। और भगवान का नाम लेकर वह जहर भी पी गई। तो यह है भक्ति मार्ग।

तीसरा मार्ग है कर्म मार्ग। जो हम सब के लिए सबसे आसान है। इसमें यह बताया गया है कि जो जिसको जिम्मेदारी मिली है, वह उसका ईमानदारी से पालन करें। मैं राजनीति में हूं तो मेरा काम है जनता का ख्याल रखना। सब के सुख दुख में काम आना। इसी प्रकार शिक्षक का काम है शिक्षा देना। डॉक्टर का काम है मरीज का इलाज करना। इस प्रकार जिसका जो काम है वह पूर्ण समर्पण भाव के साथ ईमानदारी से करें। यह है कर्म मार्ग। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो अन्य मार्गों पर नहीं चलते वह कर्म मार्ग पर चलकर ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं।

अंत में मुख्यमंत्री ने लोगों के आग्रह पर एक भजन गाया इसके पहले उन्होंने कहा कि व्यास पीठ पर सुमधुर कंठ की स्वामिनी जया किशोरी जी के रूप में साक्षात सरस्वती विराजित हैं। फिर उन्होंने जनता से पूछा मेरे साथ गाओगे तो जनता की आवाज हां,  आई तो सीएम ने कहा - वह भजन सुनाता हूं जो मेरी दादी मां गाती थी। उन्होंने संगतकारों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मैं तो अच्छा नहीं गाता लेकिन बजाने वाले अच्छे हों तो मजा आ जाता है। इसके बाद उन्होंने भजन सुनाया राम भजन सुखदाई, जपो रे मेरे भाई, ये जीवन दो दिन का। मुख्यमंत्री जब गा रहे थे तो पंडाल में बैठे श्रद्धालु भक्ति भाव से झूम उठे। क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान और क्या महिलाएं। सभी थिरकने लगे। मुख्यमंत्री के समीप खड़े कृषि मंत्री कमल पटेल भी अपने आप को रोक नहीं पाए और नाचने लगे। वे ताली बजाकर लोगों का उत्साह बढ़ा रहे थे। पूरे पंडाल में एक अलग ही वातावरण, अलग ही माहौल। ऐसी आध्यात्मिक रसधारा वही कि सब लोग उसमें सराबोर हो गए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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