(  अमिताभ पाण्डेय)

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित साँची एक छोटा सा कस्बा है, जो कि स्तूप और बौद्ध तीर्थ स्थल के लिए सुप्रसिद्ध  है।
 अब इस छोटे से शहर की नई पहचान सोलर सिटी के रूप में बनने जा रही है।  
विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं बिजली आपूर्ति में आत्म-निर्भर बनाने के लिए साँची को प्रदेश की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
यह कार्य  अगले महीने तक पूरा  कर लिया जायेगा।

गौरतलब है कि सौर ऊर्जा के महत्व को बताने के लिए राज्य शासन के नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों  ने कुछ महीनों पहले  साँची में ऊर्जा जागरूकता शिविर आयोजित किया ।  इस शिविर के माध्यम से उपभोक्ताओं को अपने परिसर में सोलर रूफटॉप लगवाने का आव्हान किया। उन्होंने सोलर रूफटॉप के लाभ के बारे में बताते हुए ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया।

इसके लिए ऊर्जा विभाग ने जो परियोजना तैयार की उसके अनुसार  साँची में सौर ऊर्जा के माध्यम से 7.3 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।
इससे सॉंची शहर  बिजली आपूर्ति में आत्म-निर्भर होने के साथ ही अगले पाँच वर्षों की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति सौर ऊर्जा से सुनिश्चित करेगा । साँची में सौर स्ट्रीट लाइट, गार्डन लाइट, स्टड लाइट, हाई - मास्ट लाइट, सौर पेयजल कियोस्क, लोक परिवहन के लिए बैट्री चलित ई-रिक्शा, चार्जिंग स्टेशन, अक्षय ऊर्जा, आधारित संयंत्र विंड टर्बाइन एवं पिजोइलेक्ट्रिक जनरेटर्स स्थापना के कार्य भी किये जाएंगे।

उल्लेखनीय है किमध्यप्रदेश में रिएन्यूबल एनर्जी अथवा नवीकरणीय ऊर्जा के  विभिन्न साधनों के उपयोग द्वारा हरित ऊर्जा के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है।  इसी के अंतर्गत पवन ऊर्जा ,   सौर ऊर्जा के उपयोग को भी  निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में अनेक सौर ऊर्जा परियोजनाएँ संचालित हैं। इस क्रम में रायसेन जिले में स्थित विश्व धरोहर स्मारक स्थल साँची को देश की प्रथम सोलर सिटी बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।  यह परियोजना  साँची में विभिन्न कार्यों की पूर्णता के साथ लगभग पूरी हो गई है। आगामी माह में देश की प्रथम सोलर सिटी के रूप में साँची का नाम जाना जाएगा। यह मध्यप्रदेश की विशेष उपलब्धि होगी जिससे  भारत के अन्य राज्यों को रिएन्युएबल एनर्जी के विभिन्न स्रोत के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन करने की प्रेरणा मिलेगी ।

रीएन्युएबल एनर्जी को अक्षय ऊर्जा या नवीनीकरण ऊर्जा कहते हैं।
 इस ऊर्जा के भंडार असीमित हैं
जिनको   समाप्त नहीं किया जा सकता है।
 इस ऊर्जा  को लगातार उत्पन्न किया जा सकता है इसलिए इसको अक्षय ऊर्जा भी  कहते हैं। अक्षय ऊर्जा ऐसी ऊर्जा है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती है।
 जब हम वैकल्पिक ऊर्जा की बात करते हैं तो  इसका मतलब यह है कि वहां पर रिएन्यूएबल एनर्जी की बात हो रही है।
यह  वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जिसमें सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा  जलीय अथवा पनबिजली ऊर्जा , समुद्र में होने वाली लहरों के उतार चढ़ाव से मिलने वाली ज्वारीय ऊर्जा , पृथ्वी के अंदर भूगर्भीय हलचल के कारण उत्पन्न होने वाली  भूतापीय ऊर्जा के साथ ही   बायोमास ऊर्जा  भी शामिल है ।
बायोमास ऐसे कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो पौधों , मृत  जानवरों ,  खराब फसल ,  बेकार लकड़ी पेड़ आदि के सड़ने से प्राप्त होते हैं । ऐसे बायोमास को जलाने पर रासायनिक ऊर्जा उष्मा के रूप में निकलती है जिससे भाप टरबाइन की मदद से बिजली पैदा की जाती है।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि  रिएन्यूएबल एनर्जी अथवा नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की उपलब्धियों ने देश का ध्यान आकर्षित किया है। देश की पहली सोलर सिटी साँची मध्यप्रदेश को इस क्षेत्र में नई पहचान दिलवाएगी। सांची शहर की सड़क और  चौराहे , हर घर  अब सौर ऊर्जा की रोशनी से जगमगा जाएंगे। आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश के अन्य गांव - शहरों में भी घर नवीकरणीय ऊर्जा से रोशन होंगे।  
 (  लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं,   संपर्क : 9424466269  )

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