अमिताभ पाण्डेय
नई तकनीक पर सवार होकर आई सूचना क्रांति ने हमारे सामने मनचाही - अनचाही सूचनाओं का ढेर लगा दिया है ।इन ढेर में वह सूचनाएं हैं जिनको आप पसंद करते हैं , जो आपके काम की हैं,  उपयोगी हैं ।इसके साथ ही ऐसी अनेक सूचनाएं भी हम तक आ रही हैं,  जिनमें हमारी रुचि नहीं है ।ऐसी सूचनाएं भी आ रही हैं जिनको सामाजिक ,राजनीतिक, अथवा जातिगत या आर्थिक कारण से आप तक जानबूझकर पहुंचाया जा रहा है। यह सूचनाएं मनचाही नहीं है  बल्कि अनचाही हैं । बिन बुलाए आ रही हैं ।

बिना मांगे हम तक यह सूचनाएं पहुंचाई जा रही हैं। इस कारण बहुत से सवाल खड़े हो गए हैं ।आखिर यह कौन लोग हैं जो हम तक लगातार बिना मांगे यह सूचनाएं पहुंचा रहे हैं  ?इन सूचनाओं को हम तक पहुंचाने के पीछे उनकी क्या मंशा है ? यह सूचनाएं कितनी सच्ची  हैं ? कितनी झूठ है ?कितनी विश्वसनीय हैं। ? हमारे मन में भी इस तरह के सवाल उठना ही चाहिए ।

हमें यह विचार जरूर करना चाहिए कि आखिर बिना मांगे मुफ्त में सूचनाएं को लगातार भेजने वाले यह कौन लोग हैं ? उन सूचनाओं में कितनी    सत्यता क्या है  ? उनकी प्रमाणिकता क्या है ? उनके तथ्य कितने सही हैं ?

हमें यह भी विचार करना होगा कि सच्ची और झूठी सूचनाओं का जो ढेर में सोशल मीडिया के जरिए हम तक आ रहा है आखिर उसमें से सच और झूठ की पहचान कैसे की जाए ? हमें यह समझना होगा कि झूठी सूचनाओं के कारण  सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक या जातिगत रूप से नुकसान भी हो सकता है । झूठी सूचनाओं को बिना जाने- समझे , बिना सत्यता की कसौटी पर परखे ,  आगे बढ़ाने - फॉरवर्ड करने के बड़े खतरे हैं ।

यदि हम तक कोई सूचना किसी जाति , धर्म या संप्रदाय से संबंधित आई और वह हमने बिना जाने समझे , बिना सच या झूठ की कसौटी परखे  आगे बढ़ा दी तो उससे समाज की शांति को भी भंग होने का खतरा है । इससे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में हमें सच्ची और झूठी खबरों की पहचान सीखना होगा। झूठी  खबरों को पहचान कर रोकना होगा।

झूठी खबरों को  डीलिट करना होगा। यहां यह बताना जरूरी होगा कि झूठी खबरों यानी फेक न्यूज़ को फैलाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग इन दिनों बहुत अधिक हो रहा है । अपराधिक मानसिकता के साथ समाज में अशांति फैला कर अपना फायदा करने वाले कुछ लोग लगातार झूठी खबरों को, फेक न्यूज़ को आम जनता तक सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म के माध्यम से पहुंचा रहे हैं ।

ऐसे लोग फेसबुक ,टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि के जरिए अपने निजी हितों के लिए, अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत सूचनाओं को भेज रहे हैं। इसलिए फेक न्यूज़ की पहचान करना बहुत जरूरी है ताकि लोग सच और झूठ के अंतर को जान सके। हमें यह देखना होगा कि हम तक आने वाली किसी सूचना से कोई नफरत फैलाने वाला संदेश  आगे तो नहीं जा रहा है ।

 ऐसी सूचना जिससे किसी का नुकसान हो उसको हमें रोकना और डिलीट करना जरूरी होगा।  हमें यह भी पहचान करना होगी कि आखिर फेक न्यूज़ से कैसे बचते हुए हम सही सूचनाओं को आगे बढ़ाएं। फेक न्यूज़ की पहचान करना ज़्यादा मुश्किल नहीं है। फेक न्यूज़ में पहली नजर में यह देखने में आता है कि इस तरह की खबरें  उत्तेजक शीर्षक वाली होती हैं। उत्तेजक खबरें अपने हेडिंग के कारण आसानी से पहचानी जा सकती है ।

इस तरह की खबरें समाज में भय हिंसा नफरत फैलाने के लिए जानबूझकर भेजी जाती है । कई बार तो इस तरह के फोटो भी डाल दिए जाते हैं जिनका सच्चाई से कोई संबंध नहीं होता । ऐसे फोटो देखते ही या तो लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़क जाती है या फिर वह फोटो देखते ही आपस में लड़ने झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं ।  हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम इस तरह का अगर कोई फोटो आया है तो उसको भी फैक्ट चेक करें । उसको पहले वेरीफाई करें ।उसको जांचे परखे ।

अगर आपके पास आए हुए किसी फोटो के बारे में आपको यह शक है कि यह सच है या  झूठ तो उस फोटो को आप गूगल पर गूगल रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से जांच सकते हैं । इसके लिए आपको वह फोटो गुगल रिवर्स इमेज पर अपलोड करना होगा। इसी प्रकार अगर आपके पास कोई खबर आई है तो उस खबर के जो की वर्ड्स ( प्रमुख शब्द ) हैं । उनको गूगल के सर्च इंजन पर डालकर आप सर्च करेंगे तो आपको यह भी पता चल जाएगा कि यह खबर कितनी सच है या झूठ है।

इस तरह आप फेक न्यूज़ का आसानी से पता लगा सकते हैं।  अगर आपको किसी तरह की कोई असुविधा फेक न्यूज़ को चेक करने में हो तो इसके लिए आप फेक्ट चेक की वेबसाइट से मदद ले सकते हैं। उल्लेखनीय है कि फेक न्यूज़ को लेकर  को लेकर सरकार और समाज दोनों स्तर पर बहुत चिंता है ।हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फेक न्यूज़ को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने पिछले महीने 28 दिसंबर को हरियाणा के सूरजकुंड में विभिन्न राज्यों के साथ गृह मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बगैर फैक्ट चेक किए किसी भी संदेश को फॉरवर्ड ना करें । उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया एक बड़ी ताकत है ।

हमें लोगों को शिक्षित करना होगा कि किसी भी सूचना को आगे बढ़ाने फॉरवर्ड करने से पहले 10 बार सोचे उसकी सच्चाई को जाने समझे। फेक न्यूज से झगड़े हो सकते हैं। हमें फेक न्यूज, झूठी खबरों के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि फेक न्यूज की फेक्ट चेक जरूरी है। हमें फेक न्यूज को रोकना ही होगा।  उन्होंने आम जनता से अनुरोध किया कि फेक न्यूज की पहचान करना सीखे । गलत खबरों को बिना जांचे , आगे न बढ़ाएं ।केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने भी संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 22 दिसंबर 2022 को बताया कि फेक न्यूज़ पर आधारित झूठ फैलाने वाले 104 यूट्यूब चैनल और 45 वीडियो को सरकार ने ब्लॉक कर दिया है।

 सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव शेखर शेखर ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि फेक न्यूज़ और सेंसेटिव कंटेंट को रोकने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े नए नियम बनाए गए हैं ।इसके अंतर्गत सोशल मीडिया पर आने वाली जानकारी सूचनाओं को संबंध में कोई शिकायत मिलती है तो उसको 3 माह में निराकरण करना जरूरी होगा। इसके लिए अपीली कमेटी बनाई गई है। सरकार फेक न्यूज़,  नफरत - हिंसा , फैलाने वाली सूचनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके विरुद्ध धारा 153 295 के तहत अपराध दर्ज करेगी।

 यह बताना जरूरी होगा कि फेक न्यूज़ को लेकर अब सरकार और समाज दोनों स्तर पर बहुत सक्रियता से काम हो रहा है।
 फेक न्यूज़ को रोकने के लिए और फेक न्यूज़ की पहचान करने के लिए डेटा लीड्स नामक एक संस्था ने गूगल के सहयोग से ऐसी अनेक कार्यशाला आयोजित की है।  इसके माध्यम से  अब तक भारत के विभिन्न राज्यों में 250 से अधिक लोगों को फैक्ट न्यूज़ की पहचान करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है ।

इसके लिए गूगल न्यूज़ इनिशिएटिव और डेटा लीड्स ने मिलकर फैक्ट चेक नामक विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया ।  इसमें जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया गया वो अब भारत के 22 से अधिक राज्यों में स्कूल , कॉलेज और सामाजिक संस्थाओं के बीच जाकर लोगों को फैक्ट न्यूज़ के बयान में लगातार बता रहे हैं।

इस वर्कशाप के आयोजक सैयद नजाकत कहते हैं कि फेक न्यूज की पहचान के लिए जागरुकता अभियान लगातार चलता रहेगा । इसमें समाज के हर वर्ग के अधिक से अधिक लोग जुड़े इसके लिए हमारी टीम काम कर रही है। डेटा लीड्स की वॉइस प्रेसिडेंट सुरभि पंडित नांगिया के अनुसार फेक न्यूज की पहचान करने और उसको रोकने के लिए देश के छोटे छोटे गांव - शहरों में भी जागरूकता अभियान को तेज किया जाएगा। देश में शांति और बेहतर कानून व्यवस्था के लिए फेक न्यूज की सख्त रोकथाम जरूरी है। यह रोकथाम सभी नागरिकों के सक्रिय सहयोग से ही हो सकेगी।

 

Source : ( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, संपर्क : 9424466269 )