(  अमिताभ पाण्डेय  )
इन दिनों दुबई में   विश्व जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी-28) चल रहा है । इसमें दुनियाभर से आए विषय विशेषज्ञों, सरकार के प्रमुख नेताओं, अधिकारियों, जन-प्रतिनिधियों ने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं,  आगामी कार्यक्रमों के बारे में अपने विचारों का आदान-प्रदान किया है। सम्मेलन के दौरान दुनियाभर में हो रही पर्यावरण संबंधी बेस्ट प्रेक्टिस पर भी बात हो रही है ‌।

इस मौके पर क्लीन सिटी इन्दौर का नाम भी सामने आया। स्वच्छता के लिए भारत का सबसे अच्छा शहर घोषित हो चुके‌ शहर इंदौर की कहानी को महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बहुत रूचिकर अंदाज में बताया। अपने धाराप्रवाह संबोधन में श्री भार्गव ने जनभागीदारी से मिली सफलता की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि  क्लीन एयर सहित क्लाइमेट टारगेट्स के लिए इंदौर का एक्शन प्लान क्या है और यह कैसे लागु होगा।

महापौर ने इन्दौर में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास पर बताते हुए कहा कि वायु प्रदूषण, खास तौर पर पीएम 2.5 और पीएम 10 हमेशा ही चुनौती है, लेकिन ठंड के समय यह चुनौती और बढ़ जाती है। एटमॉस्फियर बहुत डेंस हो जाता है । इस मौसम में लोगों के द्वारा कोयले-लकड़ियों को अधिक जलाया जाता है ।  गाड़ियों का आवागमन भी बढ़ जाता है ।  इसके कारण वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है। प्रदूषण बढ़ जाता है जिससे एयर क्वालिटी इन्डेक्स भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में एयर क्वालिटी इंडेक्स को कंट्रोल करने के लिए विशेष उपाय करना जरूरी हो जाता है ।

महापौर श्री भार्गव के अनुसार इंदौर ने पहले भी “रेड लाइट ऑन, इंजन ऑफ”, होटलों भट्टियों को बंद करना, या होली के समय या कम से कम लकड़ियां जलाने जैसे उपाय किए हैं। इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन को रोकने के लिए डीज़ल या कोयले से जलने वाले बॉयलरों या होटलों में लगने वाली भट्ठियों को सीएनजी में कन्वर्ट करने का प्रयास हो, या फिर अपने वाहनों ईवी में कन्वर्ट करने के प्रयास हों। इंदौर हमेशा इनको लेकर जागरूक रहता है। इंदौर शहर लोगों को जागरुक करके एयर क्वालिटी इंडेक्स को कंट्रोल करने के लिए शासकीय एजेंसियों के साथ और जनता की सहभागिता से लगातार प्रयास करता रहता है।

उन्होंने कहा कि  वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई एक बड़ी चुनौती है। इसका समाधान तभी संभव है जब इन चीजों के जो स्टेकहोल्डर्स हैं, चाहे वह उद्योग जगत से जुड़े हुए लोग हों, होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोग हों, अथवा वाहनों के सेल-परचेस करने वाले लोग हों। हमें इन सब के साथ मिलकर बात करना होगी। उद्योगों में ज्यादा से ज्यादा सोलर एनर्जी के उपयोग और ईवी व्हीकल्स के सेल को बढ़ावा देना होगा । इसके लिए हम लगातार प्रयास करते हैं।  इंदौर में 45 नए ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए हैं। महिलाओं के लिए विशेष रूप से ईवी ऑटो रिक्शा या कारोबारियों के लिए ईवी लोडिंग रिक्शा उपलब्ध कराए हैं। इन सब से जुड़े स्टेकहोल्डर्स को बुलाना, बात करना और समाज में उनकी भूमिका तय करना इस सब को लेकर इन्दौर नगर निगम हमेशा काम करता रहता है और सफलता भी प्राप्त करता है।

अपने संबोधन में महापौर ने विश्वास प्रकट किया कि  उज्जवला योजना अंतर्गत सस्ते कुकिंग गैस सिलेंडरों से वायु प्रदूषण कम करने में बहुत मदद मिलेगी । श्री भार्गव के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब उज्ज्वला योजना लेकर आए तो उसके पीछे दो प्रमुख कारण  थे। एक, घर की महिला धुएं में कष्ट को छोड़ कर सम्मान से सुविधा से खाना बना पाए इसीलिए घर-घर गैस के कनेक्शन दिए गए। गैस सिलेंडर  सुलभता से उपलब्ध हो इसके लेकर भी सब्सिडी और राहत दी गई ।  उज्जवला योजना का यह पूरा अभियान कहीं ना कहीं एयर क्वालिटी इंडेक्स और प्रदूषण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

श्री भार्गव मानते हैं कि वायु को शुद्ध रखने के प्रयास एक बात है लेकिन कहां कितना वायु प्रदूषण है उसकी सीमा कितनी है इसकी मॉनिटरिंग और मेजरमेंट सबसे महत्वपूर्ण है।
 जब तक डाटा नहीं होगा, इसकी मॉनिटरिंग नहीं होगी , उसका मेजरमेंट नहीं होगा तो आसपास के क्षेत्र में समस्या हल करना एक चुनौती हमेशा बनी रहेगी। क्लीन एयर कैटलिस्ट के साथ इंदौर नगर निगम ने बड़े स्तर पर सर्वे करके अभियान चला कर अलग-अलग गंभीर मुद्दों को स्टडी किया है । अब स्टडी बाद उनका हल क्या हो और उसके एग्जीक्यूशन पर भी काम कर रहे हैं।

क्लीन एयर कैटलिस्ट के साथ जो तीन मेजरमेंट के इंस्ट्रुमेंट लगे थे, उनको और बढ़ावा देने और मॉनिटरिंग की दृष्टि से चार एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन्स स्थापित करते हुए नगर निगम भी इस काम को आगे बढ़ा रहा है।  इन्दौर शहर में पिछले डेढ़ साल में  लगभग 100  नए सिटी फॉरेस्ट बनाने का संकल्प लिया है। इस बारे में लगातार काम जारी है ।
सिटी फारेस्ट के लिए जगह का चयन किया जा रहा है।  अनेक स्थानों पर सिटी फॉरेस्ट डेवलप हो रहे हैं। कई उमंग वाटिकाएं बनाने के बारे में सोचा गया है, उस पर भी काम शुरू हो गया है। इन्दौर के आसपास  पहाड़ों पर ग्रीनरी बढ़ा रहे हैं।  इंदौर में इस साल हरियाली अमावस पर एक साथ प्रयास करके पूरे शहर में एक लाख 19 हजार पौधे रोप कर उनको वृक्ष बनाने का संकल्प लिया गया। शहर का ग्रीन कवर बढ़े यह हम सब की चिंता का विषय है।  हर व्यक्ति को एक पौधा लगाकर उसकी चिंता करनी होगी। विश्व जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के अवसर पर हर भारतीय को संकल्प लेना होगा कि भारत का हर शहर साफ हवा और स्वच्छता के लिए पहचाना जाए ।
(  लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं ,  संपर्क : 9424466269 )

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