रघु मालवीय
भोपाल शहर मध्यप्रदेश की राजधानी है। इस शहर का अपना इतिहास है जिसमे गोंड राजाओं , रानी से लेकर नवाबों के शासनकाल तक के किस्से कहानियां शामिल हैं। आजादी से पहले इस शहर पर दोस्त मोहम्मद खान से लेकर रानी कमलापति तक ने शासन किया । यह शहर हिंदू - मुस्लिम समुदाय की मिली - जुली परंपराओं के लिए जाना जाता है।
आजादी के बाद भी भोपाल शहर अपनी गंगा जमुनी तहजीब और भाईचारे की मिसाल को कायम किए हुए है।

ताल तलैयों का यह शहर जितना खूबसूरत है उतने ही प्यारे यहां के लोग हैं। यहां आपसी भाईचारा और मोहब्बत का रिश्ता लोगों के दिलों में इतना गहरा है कि कभी एक दूसरे के प्रति नफरत उत्पन्न ही नहीं होती। इस शहर में सभी त्योहार हिन्दू-मुस्लिम हिलमिलकर मनाते है । एक दूसरे की खुशियों में शामिल होते है।

यहां होली-दिवाली पर मुस्लिम भाई अपने यार दोस्तो को बधाई देते है तो वही ईद पर हिन्दू भाई मुबारकबाद पेश करते है। यहां दशहरा और रामनवमी की शोभायात्रा का मुस्लिम भाई स्वागत करते है,वहीं मुस्लिम समाज के जलसों का हिन्दू समाज इस्तकबाल करता है। इस शहर में होली के त्योहार पर हिन्दू-मुस्लिम,सिख-इसाई के बीच सद्भाव और प्यार के रंग उड़ते है।  विभिन्न त्योहारों पर देश के कई राज्यों में हिंसक घटनाएं घटित होती है,पर भोपाल इस मामले में  शांति के  टापू की तरह है।

भोपाल शहर में हमेशा अमन-चैन रहता है। दूसरे शहर के सद्भाव को नुकसान पंहुचाने वाली घटनाओं की इस शहर पर कभी आंच भी नहीं आती है। अभी हाल ही में रामनवमी का त्योहार देश के अन्य राज्यों की तरह भोपाल शहर में भी सभी धर्म - समुदाय के लोगों ने साथ मिलकर मनाया ।

 भोपाल में गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए सौहार्द और सद्भाव के साथ रामनवमी का त्योहार मनाया गया। इतना ही नहीं रमजान के रोजे रखते हुए मुस्लिम भाईयों ने रामनवमी जुलूस का बुधवारा स्थित चारबत्ती चौराहे पर भव्य स्वागत किया। किसी भी त्योहार पर यहां कभी कोई तनाव देखने को नहीं मिलता,देखने को मिलता है तो सिर्फ भाई चारा और प्रेम का उल्लास। यह इस शहर के लोगों की समझदारी और दिलों में एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्यार को प्रकट करता है। हमारे इस खूबसूरत शहर को किसी की नजर न लगे सभी लोग प्यार मोहब्बत से रहे,इस ईद पर मेरी यही कामना है।
(  लेखक दैनिक अखण्ड दूत के प्रधान संपादक हैं । संपर्क :  99933 12022  )

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