जौनपुर
अपहरण व रंगदारी के मामले में हाईकोर्ट से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जमानत अर्जी मंजूर होने के बाद सोमवार को धनराशि नियत होने पर जमानतदारों का सत्यापन हुआ। मंगलवार को सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह की रिहाई का आदेश जारी किया।  रिहाई आदेश जिला कारागार भेजा गया। वहां से बरेली सेंट्रल जेल के लिए रिहाई आदेश भेजा गया। सामान्य मामलों में तहसील व थाने से जमानतदारों का सत्यापन होने में कई दिन लग जाते हैं।

एमपी-एमएलए कोर्ट ने छह मार्च 2024 को धनंजय सिंह और संतोष विक्रम को सात वर्ष का कारावास व प्रत्येक को डेढ़ लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाया था। दोनों की ओर से अर्थदंड की धनराशि न्यायालय में जमा की गई, क्योंकि हाई कोर्ट ने सजा पर रोक नहीं लगाई है।
यह है मामला

मुजफ्फरनगर निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को रात दस बजे लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में धनंजय व उनके साथी संतोष विक्रम पर प्राथमिकी दर्ज कराया था कि 10 मई 2020 को साढ़े पांच बजे संतोष विक्रम दो साथियों के साथ वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आवास पर ले गए। जहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाए।

इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगी। पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल किया। गवाहों के बयान व दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को दंडित किया था।

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