(  अमिताभ पाण्डेय )
भोपाल ।

बढ़ती गर्मी के कारण पिछले दिनों मध्यप्रदेश के भिंड जिले के गोहद शहर का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा । भोपाल ,  इंदौर ,  उज्जैन , देवास , झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर, खरगोन, खंडवा,  ग्वालियर , मुरैना , जबलपुर ,  सागर ,  राजगढ़ , छतरपुर , दमोह , पन्ना , टीकमगढ़ ,रतलाम ,  मंदसौर , नीमच  सहित प्रदेश के अनेक जिलों में तापमान पूरी गर्मी के मौसम में 43 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहा।


 तापमान में होने वाली यह बढ़ोतरी कई लोगों के लिए हीट स्ट्रोक , लू लगने ,  उल्टी दस्त,  बुखार का कारण बन गई । अधिक तापमान के कारण मौसम में जो शुष्कता बढ़ी उससे हवा में धूल के कणों की अधिकता हो गई।  इस बारे में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी रहे डॉ दिलीप वाघेला ने बताया कि गर्मी के कारण मिट्टी पूरी तरह से शुष्क हो गई ।


 ऐसे में जब सड़कों पर वाहन निकलते हैं तो धूल अधिक उड़ती है । सड़कों और उसके आसपास के घरों पेड़ पौधों पर भी धूल जम जाती है।  यह धूल ,  धुएं के साथ मिलकर हवा में प्रदूषण को बढ़ाती है ।यही कारण है कि वातावरण में पर्टिकुलेट मैटर ( धूल कण ) का स्तर पीएम 10  तक पहुंच जाता है। साफ हवा के लिए  यह स्तर 2.5 पीएम से अधिक नहीं होना चाहिए । केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो मापदंड तय किए हैं उसके अनुसार पर्टिकुलेट मैटर हवा में घुले हुए सूक्ष्म कण होते हैं ।


इनका साइज 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है तो इसे पीएम 2.5 कहा जाता है ।
जब इनका साइज 2.5 से बढ़कर 10 माइक्रोमीटर तक हो जाता है तो इसको पी एम 10 कहा जाता है ।
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि प्रदेश में अनेक महानगरों और जिला मुख्यालयों में वायु की गुणवत्ता जांच करने के लिए विशेष यंत्र लगाए गए हैं।
 इन यंत्रों में वायु की गुणवत्ता का मापन लगातार होता रहता है ।
वायु गुणवत्ता मापने के यंत्र बताते हैं कि सुबह 9 बजे से 1 बजे के बीच पर्टिकुलेट मैटर का स्तर पीएम 10 तक पहुंच जाता है।  लगभग यही स्थिति शाम को भी  5 बजे  से 10 बजे  के बीच  होती है ।
 इन दोनों समय में सड़कों पर वाहनों का आवागमन अधिक होता है । वैज्ञानिक रिसर्चर  डॉक्टर निवेदिता बर्मन के अनुसार हवा में घुले यह धूल   के कण सांस संबंधी बीमारियां पैदा करते हैं।
 इनके कारण फेफड़े संबंधी परेशानी भी हो सकती है।
 सांस लेने में होने वाली बीमारियों के कारण नौजवानों को भी इसका बहुत दुष्प्रभाव झेलना पड़ रहा है ।
यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि मध्यप्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम , कंट्रोल आफ पॉल्यूशन , राष्ट्रीय वायु मॉनिटरिंग प्रोग्राम का  संचालन किया जा रहा है।
 इसके साथ ही प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से वायु प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार लगातार कार्यवाही की जा रही है।
 इसके बाद भी प्रदूषण का स्तर सुधर नहीं पा रहा है।
 इस संबंध में वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट से जुड़ी अजरा खान बताती हैं कि गर्मी में शुष्क का बढ़ने के कारण धूल के कण वातावरण में अधिक मात्रा में रहते हैं।
 इसके साथ ही  वाहनों ,  पावर प्लांट , उद्योगों की चिमनी ,  ईट भट्टे ,  कचरे के ढेर,  आदि से बहुत  धुआं निकलता  है ।
यह धुंआ  वातावरण को बहुत जहरीला बना देता है।
 धूल और धुएं के मिश्रण से वायुमंडल में कार्बन मोनो ऑक्साइड ,  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड , सल्फर ऑक्साइड , मीथेन जैसी खतरनाक गैसें फैल जाती है ।
यह गैसेँ आसमान में ओजोन परत को भी लगातार नुकसान पहुंचा रही है जिससे आने वाले समय में एसिड एसिड रेन (अम्ल वर्षा ) की संभावना बढ़ गई है।
 यह वायु प्रदूषण लोगों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक है सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप गुप्ता बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी,  सिर दर्द , सर्दी खांसी ,  एलर्जी जैसी बीमारियां होती है। जो लोग लगातार औद्योगिक क्षेत्रों में रहते हुए प्रदूषित हवा का सेवन करने पर मजबूर हैं ,  उन्हें हाई ब्लड प्रेशर , कैंसर  , अस्थमा जैसी बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है ।
वायु प्रदूषण के निवारण और नियंत्रण को लेकर कुछ सामाजिक संस्थाओं ने एक समूह बनाया है ।
इसको क्लीन एयर केटेलिस्ट का नाम दिया गया है ।
क्लीन एयर कैटेलिस्ट समूह में वर्ल्ड रिसोर्स  इंस्टिट्यूट ,  एनवायरमेंटल डिफेंस फंड , यू एस एड ,  वाइटल स्टेटेजीज, क्लाइमेट एंड  क्लीन एयर  कोलेशन एंड क्लीन एयर कोलेशन , इन्टर न्यूज़ , अर्थ  जर्नलिज्म नेटवर्क सहित कुछ अन्य संस्थाएं भी शामिल है।
  यह समूह वायु प्रदूषण के खतरों के बारे में आम नागरिकों के बीच जागरूकता को बढ़ाने के लिए काम करेगा ।
हाल ही में क्लीन एयर कैटलिस्ट समूह ने इंदौर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेष कार्य योजना शुरू की है ।
इस कार्ययोजना से जुड़ी स्टेला पाल ने बताया कि इंदौर शहर स्वच्छता के मामले में तो रिकॉर्ड कायम कर चुका है ।
अब जरूरत इस बात की है कि यहां की हवा को भी स्वच्छ बनाया जाए ।
इंदौर शहर को वायु प्रदूषण से बचाना जरूरी है।  स्टेला पाल के अनुसार एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि वायु प्रदूषण को लेकर इंदौर शहर के लोग अभी भी जागरूक नहीं है ।
एनवायर डिफेंस फंड के प्रोग्राम मेनेजर कौशिक सरकार के अनुसार इन्दौर शहर में समाज के अलग अलग वर्ग से जुड़े लोगों के लिए  वायु प्रदूषण संबंधी  विशेष जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।  
इसमें स्थानीय समुदाय , प्रशासन नगर निगम का भी सहयोग लिया जा रहा है।
 स्टेला पाल ने बताया कि इंदौर शहर में ऐसे प्रमुख स्थानों , चौराहों  की पहचान कर ली गई है जहां वायु प्रदूषण अधिक होता है।
 इन स्थानों पर प्रदूषण कम करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे ।
 नई तकनीकी वाली मशीनों ( एयर प्यूरीफायर) को लगाया जाएगा।
 यहां यह बताना भी जरूरी है कि वायु प्रदूषण का विपरीत असर सामाजिक आर्थिक स्थिति पर भी हो रहा है ।
प्रदूषण के कारण बीमार हुए लोग अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं।
इससे होनेवाली  बीमारी के उपचार पर उनकी आय का बड़ा भाग खर्च हो जाता है ।
इससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती है और काम के घंटे का नुकसान भी होता है।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ष 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण से भारत में हर वर्ष लगभग 10 लाख लोग विभिन्न बीमारियों के शिकार होते हैं ।
यदि वायु प्रदूषण को  नियंत्रित कर लिया जाए तो इससे होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
 मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु प्रदूषण निवारण नियंत्रण अधिनियम 1981 तैयार किया है , जिसका पूरे प्रदेश में पालन कराया जा रहा है।
 इस अधिनियम से प्रदेश में विभिन्न शहरों में औद्योगिक संस्थाओं में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है ।
मध्यप्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु गुणवत्ता को मापने   के लिए भोपाल में 6 ,  उज्जैन में 4 , नागदा में 3 , देवास में 3 ,  सिंगरौली में 3 ,  रीवा में 1 ,  इंदौर में 3 ,  ग्वालियर में 3 ,  जबलपुर में 2 ,  सतना में 3 सागर में 2 ,  पीथमपुर में 2 छिंदवाड़ा में 2 ,  कटनी में 2  शहडोल में 2  और पीथमपुर में 1 स्थान पर वायु गुणवत्ता को नापने  के लिए विशेष यंत्र लगाए हैं ।
इस प्रकार प्रदेश में कुल 41 शहरों में वायु गुणवत्ता की जांच विशेष यंत्रों से की जा रही है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी 52 जिलों में वर्ष 2020_  21 के दौरान कुल 1543 स्थानों पर परिवेशीय वायु मापन का कार्य किया है। जिलेवार परिवेशीय  वायु मापन में सल्फर डाइऑक्साइड,  नाइट्रोजन ऑक्साइड,  स्पाइरल सस्पेक्टेड पार्टिकुलेट मैटर का मापन कर वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार गणना की गई।
 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदेश के 124 वायु प्रदूषण की उद्योगों से उत्सर्जित होने वाले धुएं का मापन कर रहा है ।
वायु गुणवत्ता को भी लगातार प्रदर्शित किया जा रहा है ।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि मध्यप्रदेश में सिंगरौली एक ऐसा शहर है जहां वायु प्रदूषण सर्वाधिक होता है ।
यहां पर वायु गुणवत्ता का सूचकांक ( ए क्यू आई)   378 पाया गया जो कि सर्वाधिक है। सिंगरौली प्रदूषण के मामले में देश में सबसे पहले और दुनिया में छठे स्थान पर है ।
ऐसे में वायु प्रदूषण को पूरे प्रदेश में नियंत्रित करने के लिए और अधिक प्रभावी कार्य योजना बनाने की जरूरत है।
 यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियां लोगों के लिए बहुत परेशानी का कारण बन जाएगी।
(  लेखक स्वतंत्र पत्रकार है ,    संपर्क 9424466269 )

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