शहर और गांव मे प्रसारित कोरोना संक्रमण को आज मिल कर स्वप्रतिबद्धता से रोकना ही होगा :डॉ एन.पी. गाँधी युवा मेनेजमेंट विश्लेषक कोटा 

हर क्षण दर्दनाक है । देखा जाए तो इसी में आशा की किरण भी है , यथा सम्भव किसी अपनो की ,किसी पड़ोसी की किसी अपने क्षेत्रवार गांव,शहर ,मोहल्ले वासियो या किसी भी  जरूरतमंद की सहायता करते चले ।आपकी कही अंतर्मन से की गई छोटी सी कोशिश कहीं किसी उच्च रेफरेंस को मित्र को जनप्रतिनिधि को या डॉक्टर को फोन कर देने से किसी को कोई समाधान मिल जाए ,किसी अपने को सही उपयुक्त समाधान से युक्त सलाह के लिए कुछ अमूल्य समय निकाल लिया जाए  ,किसी की महत्वपूर्ण सूचना सही जगह ,सोशेल हैंडल चाहे वह फेसबुक हो ,व्हाट्सअप हो या मेसेज के माध्यम से या कोई अन्य रास्ता आपकी एक छोटी सी सही सहायता किसी की जान बचा सकती है ,किसी को इस मुसीबत में कुछ नही तो थोड़ा तनावरहित कर सकती है । में मेरे अनुभव से कह रहा हू ,वाकई जिंदगियां बच रही हैं,हर छोटे से छोटा एवं हर बड़े से बड़ा व्यक्ति अपने अपने स्तर पर किसी भी स्तर पर किसी की सहायता कर सकता है । में हतप्रभ जब रह गया जब महाराष्ट्र में एक मल्टी में रहने वाले एक पड़ोसी ने सामान्यतः एक काल अपने पड़ोसी को मस्ती मजाक में काल लगा लिया कि चलो हाल चाल पूछ लेते है ,और जैसे ही काल लगाया तो उस व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था वह आइसोलेट रहते हुए स्वयं अकेले अपनी देखभाल कर रहा था ,वह पूरे फ्लेट में अकेला था ,तनाव में था ,परंतु स्वयं शिक्षित था इसलिए आइसोलेशन द्वारा और सभी आवश्यक मेडिकल इंस्ट्रूमेंट द्वारा अपनी नियमित जांच कर स्वयं को फिट कर रहा था परंतु वह कई दिनों से सही रूप से डाइट नही ले पा रहा था ,अचानक उस काल ने उसकी जिंदगी बचा ली ,एक पड़ोसी के काल ने एक तो उसे नियमित देखभाल के लिए आश्वासन दिया और पड़ोसी अपनी पूरी सेफ्टी के साथ उस होम आइसोलेट पेशेंट के लिए नियमित लिक्विड ज्यूस एवं अन्य तरीके से यथा सम्भव हेल्प करता और एक सप्ताह में उस पेशेंट का ऑक्सीजन लेवल सही हो गया ,एक काल ने जिंदगी बचा ली ।  अपनी ये बात मैं अपने निजी अनुभव से कह रहा हु ,यह सत्य घटना है ,कृपया में नयन प्रकाश गाँधी मानवीयता के नाते आप चाहे उम्र में बड़े हो या छोटे ,कंपनी के उच्चाधिकारी हो या एक सामान्य प्रोफेशनल सर्विसमेन कृपया अपने ईगो एटीट्यूड ,घमंड ,शानो शौकत का अभिमान ,मान प्रतिष्ठा ,आपसी कहासुनी ,हर चीज को एकतरफ रखकर अपने मोबाइल में से एक लिस्ट तैयार कीजिये ,अपने आसपास ,पड़ोसी ,रिश्तेदार ,मित्र ,बचपन के दुश्मन सभी की लिस्ट निकाले और एक काल इस मुसीबत की घड़ी में जरूर कीजिये ,और कनेक्ट रहिए क्या पता आपका कोई काल किसी की जिंदगी बचा दे ,किसी की आवश्यकता में सहारा बन जाये ,किसी के संकट में समाधान की एक आशा बन जाये ,किसी अपने अपनो की घटती हुई या बची हुई चंद दिल की सासों में अनन्त सांसे जोड़ पाए ।यह सब सँभव है मित्रो ,मेरे गुरुजनों ,मेरे मेन्टर ,मेरे रिश्तेदारों, मेरे अपनो यह सब सम्भव है केवल और केवल आपके एक अपनत्व के आशा की किरण के काल से । ध्यान रखना यह शाश्वत सत्य है जो झूठ ,फरेब ,दिखावा वाली जिंदगी जी रहा है ,जो सब कुछ होते हुए स्वयं को अभिमान ,ईगो ,घमंड ,यश ,सम्मान से भरपूर रखकर इस अप्रतिम ,असहनीय ,आकस्मिक आपदा पर चुप बैठा है वह इंसान नही अपितु पशु से भी बदतर है ,क्योकि कई कई जगह आजकल पशुओं द्वारा भी इंसानियत के कार्य को अंजाम किये हुए देखा गया ,और हम तो इंसान है ,क्या सम्भव नही है इस इंसानियत के मुखोटे पर असल मे आज किसी को सहारा देने का संकल्प लिया जाए ,एक छोटी सी पहल की जाए ,जो हमसे बन सकता है किया जाए ।

 

इतिहास के भयावह और आगामी 2023 तक एक नियमित अंतराल में क्या होता रहेगा इसका  अगले पल का किसी को अंदाजा भी नही है,परंतु एक रिसर्चर के नाते में कहना चाहूंगा आज और अभी से हर स्तर ,हर वर्ग ,हर सम्प्रदाय ,हर धर्म ,हर जाति ,हर लिंग ,हर समुदाय ,हर प्रांत ,हर गांव,हर शहर के  लोग नही बदले तो प्रकृति इस सम्पूर्ण मानव रूपी दिखावे के इस अमानवीय मुखोटे को बदल कर ही दम लेगी । यही नही अगर पूरे भारत मे सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र राज्य की बात करे तो वहां लापरवाही के कई जिलो के पूरे गांव के गांव को चपेट में ले लिया है ,अब यही उत्तरप्रदेश राज्य में हो रहा है ,यही मध्यप्रदेश में हो रहा है ,यही अब हम राजस्थान में करनेज रहे है। लापरवाही की हद होती है ,पुरा देश पूरा सिस्टम ,पूरा मेडिकल ,सरकारी मशीनरी ,पूरे सामाजिक जनसेवक ,कई दिन रात सनलग्न विभिन्न सेवारत भामाशाह इसी जहोद जद में लगे है की कैसे इस संक्रमण को कम किया न सके कैसे प्रभावितों की मदद कर सके। वही आज गावो में लोग शादियों के सावो में ,व्यस्त है ,एक तरफ अपने अपनो की किसी बिलखते बेटे के बाप की ,किसी बिलखते पति की पत्नी की ,किसी बिलखते बच्चे जिसका भविष्य भी तय नही हुआ उसके माता पिता की ,उस बिलखते डॉक्टर के परिवार की जिसका पूरा परिवार कोरोना में काल के गाल में समा गया केवल और केवल हमारी घर मे सेफ जिंदगी के लिए अरे मूक दर्शक घर मे बैठे इंसान मोतो की लाशें श्मशान में उनका इंतजार कर रही है और तू गांव में अफवाहों के भ्रम में ,माया मोह में ,अपने खुद के मौज आनंद में नियम विपरीत कोरोना गाइड लाइन की धज्जियां उड़ा रहा है ,शर्म करो अब तो सम्भल जाओ कम से कम गांव में बीस शिक्षित परिवार भी पूरे गांव को नियंत्रित कर सके तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी। परंतु आज हर व्यक्ति अफ़वाहों के मायाजाल में ,अशिक्षित होने के कारण या नासमझ लोगो की संगति के कारण स्वयं को ज्यादा समझदार समझने लगा है ।ध्यान रहे आज धन किसी के काम नही आरहा है ,अपितु  एक आशा की किरण नही है वह सब से ज्यादा त्रस्त है ,आज हर किसी को आंतरिक मोटिवेशन की आवश्यकता सी पड गयी है ,एक रिसर्च के अनुसार उच्च महानगरों दिल्ली ,मुम्बई ,हैदराबाद ,गुड़गांव ,कोलकाता ,मद्रास ,बेंगलोर , ऐसे ही कई महानगरों में हर दूसरा व्यक्ति तनाव ग्रस्त है ,वही दूसरी और इससे निचले शहरों जैसे जयपुर ,भोपाल ,इंदौर ,पुणे ,पटना ,हरिद्वार ,कोटा एवं ऐसे कई शहरों की बात करे तो हर पांचवा व्यक्ति तनाव से ग्रस्त है ,वही गाँव की और रुख किया जाए तो हर दसवा व्यक्ति तनाव से त्रस्त है ,किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में स्वास्थ्य चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक दोनों स्तरों में तनाव की स्थिति अति गम्भीर हे । जैसा कि कोविड की द्वितीय लहर में बताया जा रहा है और यह सही भी है कि इस बार वायरस डबल म्यूटेंट है एवं चार गुणी गति से फेफड़ो को संक्रमित कर रहा है ,खासकर युवा प्रोफेशनल में इसके व्यापक प्रभाव नकारात्मक देखे जा रहे है ,अक्सर देखा गया है युवा आज चाहे महिला हो या पुरुष अधिकतर घर के पूरे परिवार में व्यावसायिक ,सर्विस के दौरान वो ही बाहर जाते है और उन्ही का पब्लिकली जुड़ाव हर स्रोत से होता है ,और आज अगर परिवार को बचाना है तो खासकर हर युवा प्रोफेशनल को कार्यिकी अवस्था के दौरान सम्पूर्ण सेफ्टी विनियमो का कड़ाई से पालना कर एवं घर मे प्रवेश करते ही कोरोना गाइडलाइन के अनुसार आइसोलेट रहकर अपने आपको बचाकर परिवार जनों को सुरक्षित रखकर अपने काम को रूटीन में नए कोविड नार्मल में हैबिट में लाना होगा ।सवेरे शाम गर्म पानी से नहाना ,रैगुलर स्टीम ,अपने साथ सेनिटाइजर एवं ट्रिपल लेयर के साथ डबल मास्क का उपयोग आवश्यक पब्लिक मीटिंग में नियमित करना एवं नियमित इम्युनिटी हेतु स्वानुशासन द्वारा वेहतरीन फूड हैबिट ,योग ,प्राणायाम आदि को जीवन मे अमल करना ही होगा ।यह सब अगर आज के युवा ने स्वय किया और परिवार में सकारात्मकता के साथ इसे सभी परिवार जनों के हैबिट में डाल दिया तो ऐसे ही प्रेरणास्पद परिवार के रूप में स्वयं द्वारा आसपास में भी सकारात्मक सुरक्षित जीवन शैली का निसंकोच प्रचार सम्भव होगा।

 

  कोविड संगत व्यव्हार शैली को गहराई से नियमित अमल में लाना होगा अन्यथा आप को एवम आपके परिवार को संक्रमण में आने से कोई नही रोक सकता । गांव में सब्जी खरीदने से लेकर ,उसके हाइजेनिक उपयोग ,स्वच्छता सम्बन्धी रख रखाव ,बेहतर रूप से फिजिकल दूरी ,शादी ,मरण मौत ,पब्लिक मंदिर दर्शन सभी मे आना जाना बंद ,आगामी कुछ दिनों तक सब व्यवसाय को नियम से बंद कर ईमानदारी से स्वयं को अनुशासित ,योग ,प्राणायाम ,इम्युनिटी बढ़ाने में दे यही छोटी आदतों से गांव वासी बच सकते है । 

यही गांव में बढ़ते  संक्रमण को रोक सकेगा ।जब गांव बचेंगे तभी समझ लीजिए शहर स्वतः बच गए ,जब शहर बचे तो राज्य बचेगा ,जब राज्य बच गये तो पूरा देश स्वतः बच जाएगा। अफवाहों से दूर रहे और इस पूरे वाक्या को समझे ,मनन करे और सही उपयोगिता समझ के साथ ,स्वयं के द्वारा उपलब्ध संसाधनों की मौजूदगी में स्वयं को सुरक्षित करने की कोशिश करे। आप से बेहतर आपकी।सुरक्षा कोई नही कर सकता ।उच्चस्तरीय हॉस्पिटल के डॉक्टरों सभी का यही कहना है व्यक्ति को स्वयं की सुरक्षा करनी है ,अगर आप नियमित अंतराल में घर से बाहर आते जाते है तो निसंकोच घर मे भी स्वयं को सभी से दूर रखें ,किसी भी वस्तु को न छुए ,केवल और केवल स्वयं को दूसरी बनाते हुए दुसरो को सेफ रखे ,इस भ्रंति मे बिल्कुल गलती न कर बैठे की आप स्वस्थ है आप से किसी को क्या होगा ,क्योकि जब आप बाहर आते जाते है तो आपको पता नही किस्से आप क्या लेकर घर मे प्रवेश किये है ,यह स्टडी बताती है कई विशेषज्ञ नियमित कह रहै है की अगर कोई शाप पर बैठता है ,कंपनी में कार्य कर रहा है ,नियमित बाहर से घर प्रवेश करता है तो उसे जो घर मे उसकी देखभाल के लिए दिन रात कार्य कर रहे है चाहे वह उसके बुजुर्ग ,मम्मी पापा हो या उसकी पत्नी हाउस वाइफ ऐसे बाहर से आये हुए व्यक्ति को सदैव आइसोलेट रहते हुए कम से कम बुजुर्ग व्यक्तियों से एक डिस्टेंस बनाकर बात करना चाहिए ,बुखार ,खासी या सर्दी झुकाम हो तो मास्क अवश्य पहनना चाहिए एवं अपने आपको सदैव आइसोलेट रखते हुए सेपरेट रहना चाहिए। देखा गया है जिन्होंने ऐसा नही किया उनके पूरे परिवार के सदस्य क्रमश पाजिटिव संक्रमित आते गए और पूरा परिवार देखभाल के अभाव में समाप्त होता गया । जब आप सुरक्षित रहेंगे तभी तो किसी पॉजिटिव मरीज की देखभाल कर पाएंगे ,जब आप खुद लापरवाह बनकर ,स्वयं को ज्यादा समझदार समझकर ,शिक्षित होते हुए अनर्गल अफवाहों और आवश्यक नियमो को ताक में रखकर जब बेवजह पूरे परिवार को शने शने संक्रमित करते जाते है और आपको तनिक पता भी नही चलता ।कृपया ऐसी गलती बिल्कुल न करे । स्वयं को बदले , ध्यान रहे आपका जागरूक होना ,स्वयं को सुरक्षित रखना बस यही मानवीय सेवा हे,इससे बड़कर वर्तमान  में कोई सेवा नही है ,अगरआप स्वस्थ रहेंगे तभी तो जरूरत पड़ने पर आप मज़बूती से दोगुने आत्मविश्वास के साथ किसी अपने की ,पड़ोसी की रिश्तेदार की पूरे नियम की पालना के साथ सहायता कर पाएंगे ,और यही तो असल मे मानव जीवन है आप स्वयं बचे औरो को जागरूक कर उसे अमल में करवाए अच्छी कम्युनिटी को जागरूक कर गाव को अपने समुदाय को क्षेत्र को सुरक्षित बनाने में जागरूक नागरिक होने की भूमिका अदा करे । कमाई तो जिंदगी रही तो बाद में वर्ष पर्यंत चलती रहेगी ,परंतु ऐसा स्वयं को नियमबद्ध करने का मौका ,दुसरो की सेवा का मौका फिर नही आएगा । आपकी एक जागरूकता ,सही समझ ,स्वयं के साथ किसी की जान बचा सकता है किसी लापरवाह को अनुशासित बना सकता है ,किसी अति समझदार को समझदार बना सकता है ,किसी प्रोफेशनल शिक्षित डिग्रीधारी को असल मे शिक्षित बना सकता है , किसी अशिक्षित ,अनपढ़ ,व्यक्ति जो सभी नियमो का पालन कर रहा हो उसे शिक्षित होने ,उसे असल मे सही मानव की संज्ञा दे सकता है । क्योकि ध्यान रहे आज वर्तमान में शिक्षित वह है जो स्व अनुशासन से खुले दिलो दिमाग से सकारात्मकता के साथ कोविड नियमो को मजबूती से पालन कर रहा है और स्वयं को सुरक्षित रख रहा है ,एवं परिवार परिजनों को सुरक्षित रख रहा है ,और बाकी जो पूरे नियमो के बावजूद दुसरो की सेवा हेतु जन सेवक के रूप में दिन रात फील्ड में है या सरकारी आवश्यक ड्यूटी , मेडीकल फ़ील्ड के सभी उच्च से निचले लेवल के कर्मचारी वह शिक्षित होने के साथ देव दूत है जिनकी बदौलत आप हम सांस ले रहे है । अगर हम अपनी सुरक्षा खुद नही कर सकते तो हॉस्पिटल में एडमिट होने पर हमें डॉक्टर ,प्रसासन पर कोई प्रश्न चिन्ह लगाने का अधिकार नही ,क्योकि देखा जा रहा है कोरोना लापरवाही कि ,कोरोना ने दस्तक दी ।यह हमें गहन में बैठाना होगा और कड़े स्वस्थ जीवन के नियमो में स्वयं को डालना ही होगा

लेखक: युवा मैनेजमेंट विश्लेषक डॉ. नयन प्रकाश गाँधी कोटा के एकमात्र अन्तराष्ट्रीय ग्लोबल लाइफ कोच है ,एवं परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय के अधीन  आईआईपीएस मुंबई विश्विद्यालय से जनसँख्या विज्ञान मास्टर उपाधि धारक एलुमनी रहे है  एवं शहरी ग्रामीण विकास प्रबंधन में निरन्तर सक्रिय हे ,यह उनके अपने विचार है ,सामाजिक ,समसामयिक विषयो ओर वे निरन्तर संलग्न है ।

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