
पटना।
राज्यसभा सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि बिहार को भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यू की गठबंधन सरकार ने बदहाल कर दिया है । बिहार दुनिया में शिक्षा की राजधानी के रूप में जाना जाता था लेकिन वहां भाजपा जदयू की गठबंधन सरकार ने जो भ्रष्टाचार किया , उसके कारण पेपर माफिया हर परीक्षा में हावी हो रहे हैं । इससे युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
श्री सिंह आज बिहार की राजधानी पटना में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा का परचम एक समय पूरे विश्व में लहराता था। नालंदा विश्वविद्यालय हो या विक्रमशिला विश्वविद्यालय सबकी दुनिया में प्रभावी पहचान थी। इनमें तिब्बत, चीन, जापान, कोरिया ,सुमात्रा, मंगोलिया आदि देशों से विद्यार्थी शिक्षा लेने के लिए आते थे। चीनी यात्री व्हेनसांग और इत्सिंग ने भी यहां के विश्वविद्यालय की बहुत प्रशंसा की। उसी गौरवशाली बिहार को भाजपा और जदयू की सरकार ने युवाओं के भविष्य को बेचने का केंद्र बना दिया है । भर्ती प्रवेश परीक्षा के घोटाले , जर्जर स्कूल भवन और युवाओं का पलायन बिहार की शिक्षा का भाग्य बन गया है।
श्री सिंह ने पत्रकार वार्ता में कहा कि सरकारी स्कूलों की बदहाली के मामले में बिहार देश के अग्रणी राज्यों में पहुंच गया है। यहां न बुनियादी सुविधाओं वाले स्कूल हैं, न बिजली है, न कंप्यूटर है , न लाइब्रेरी है। उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रास एनरोलमेंट रेश्यो के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इसके अनुसार हायर सेकेंडरी परीक्षा में बिहार का ग्रास एनरोलमेंट रेश्यो 30% है जबकि यह औसत 56.02% है ।
इसी प्रकार सेकेंडरी परीक्षा में बिहार का ग्रास एनरोलमेंट रेशन 45.6% है जबकि राष्ट्रीय औसत 77.4% है। अपर प्राइमरी परीक्षा का बिहार में औसत 68.4% थे जबकि इसका देश भर में औसत 89.9 प्रतिशत है। इसी प्रकार बिहार राज्य में 16 हजार 529 स्कूल बिजली विहीन है। बिहार में 2 हजार 637 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक है और इन स्कूलों में 2.91 लाख छात्र नामांकित हैं । बिहार में 117 स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी छात्र नहीं पढ़ता है लेकिन इन स्कूलों में 544 शिक्षक पदस्थ हैं।

बिहार के स्कूलों में ड्रॉप आउट रेट पूरे देश में सर्वाधिक है । बिहार में प्राइमरी स्कूल की ड्राप आउट डेट 8.9% है।अपर प्राइमरी की ड्राप आउट रेट 25.9% और सेकेंडरी स्कूलों की ड्राप आउट रेट 25.63% है ।
श्री सिंह ने आरोप लगाया कि वर्ष 2025 26 के बजट में बिहार सरकार ने 60 हजार 954 करोड रुपए शिक्षा पर खर्च करने का दावा किया लेकिन इस पैसे की बड़ी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।
श्री सिंह ने कहा कि बिहार में भाजपा जदयू की सरपरस्ती में सरकारी भर्तियों और प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले का गोरखधंधा चल रहा है। पिछले 7 वर्षों में प्रदेश में 10 से अधिक परीक्षा के पेपर लीक मामले सामने आए हैं। इनमें वर्ष 2017 में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक , वर्ष 2019 और 2021 में पुलिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी , वर्ष 2021-22 में उत्पाद विभाग की परीक्षा का पेपर लीक , वर्ष 2022 में बी पी एस सी 67 वीं पी टी का पेपर लीक , वर्ष 2023 में सिपाही भर्ती परीक्षा , वर्ष 2023 में अमीन भर्ती परीक्षा , वर्ष 2030 में नीट पेपर लीक , वर्ष 2024 में शिक्षक भर्ती घोटाला , वर्ष 2024 में स्वास्थ्य विभाग में ही एच ओ भर्ती घोटाला जैसी परीक्षाएं मुख्य है ।
श्री सिंह ने कहा कि बिहार में शिक्षा की गौरवशाली और वैभवशाली विरासत को कलंकित करने वाले पेपर माफिया का नेटवर्क लगातार सक्रिय होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं के लिए पेपर लीक करने और उसमें मदद दिलाने के बदले में प्रति छात्र भारी भरकम वसूली पेपर लीक माफिया द्वारा की जा रही है।
– अमिताभ पाण्डेय