
भोपाल।
स्वतंत्रता पर्व की आहट से सजे माहौल में, आकाशवाणी भोपाल ने देशभक्ति के जज़्बे को सलाम करते हुए एक विशेष मुशायरे का आयोजन किया। यह कार्यक्रम, ‘शब्दांजलि’ मासिक श्रृंखला के अंतर्गत, 11 अगस्त 2025 को आकाशवाणी भोपाल के संगीत स्टूडियो में संपन्न हुआ।
इस विशेष मुशायरे में देश के विख्यात शायरों—परवेज़ अख्तर, बद्र वास्ती, परवीन सबा और नोमान ग़ाज़ी ने अपनी शायरी से श्रोताओं में देशप्रेम की भावना को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
मुशायरे की शुरुआत में नोमान ग़ाज़ी ने अपने अशआर के ज़रिए वतन से बेपनाह मोहब्बत का इज़हार किया—
_”टोपी है सर पे दिल में तिरंगे की अज़मतें_
_सच्चे सपूत हम भी हैं भारत महान के”_ “
इसके बाद परवेज़ अख्तर ने अपने अंदाज़-ए-बयाँ से वतन के लिए मोहब्बत की गहराई को यूँ बयान किया
_”पंद्रह अगस्त को आज़ाद हुए थे_
_कितना बड़ा था दुश्मन, हम रूबरू हुए थे_
_बस एकता के बल पर सरख़रू हुए थे”_
मुशायरे की निजामत कर रहे शायर बद्र वास्ती की ग़ज़ल को बहुत वाहवाही मिली आपने कहा-
_”उनका मैं एहतराम करता हूँ_
_ख़ुद को उनका ग़ुलाम करता हूँ_
_देश पर जान देने वालों को_
_मैं अदब से सलाम करता हूँ”_”
इन्ही के एक गीत _“मेरे हिंदुस्तान, मेरे हिंदुस्तान, मेरे भारत महान_” ने वातावरण को जोश और गर्व से भर दिया। अंत में परवीन सबा ने अपनी पंक्तियों _“ख्वाहिशों से ज़िंदगी के रंग_ _भरना चाहिए_” से मुशायरे को एक प्रेरणादायक समापन दिया। आपने अपनी एक गज़ल में कहा – _”किसने_ _कितनी बाज़ी जीती, कितनी हारी है_
_हम भी सोचें, तुम भी सोचो_
धरती माँ दुखियारी है”
कार्यक्रम से पूर्व, राजेश भट, कार्यक्रम अधिकारी एवं कार्यक्रम प्रमुख, आकाशवाणी भोपाल ने मुशायरे की रूपरेखा प्रस्तुत की।यशवंत एच. चिवड़े, उपमहानिदेशक (अभि.) एवं कार्यालय प्रमुख, ने सभी शायरों का स्वागत करते हुए कहा—
“कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है—यही इस मुशायरे का मूल संदेश है।”
इस साहित्यिक और सांस्कृतिक संध्या का उद्देश्य, स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में, श्रोताओं के दिलों में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित करना था। कार्यक्रम के अंत में अज़ीम अहमद हाशमी, उपनिदेशक (अभि.), ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन का सुश्री रुशदा जमील ने किया।
आकाशवाणी भोपाल की यह अनूठी पहल न केवल साहित्यप्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव बनी, बल्कि देशप्रेम की भावना को भी नई ऊर्जा प्रदान कर गई।
– अमिताभ पाण्डेय