मध्यप्रदेश में पर्यावरण से समन्वय के साथ काम करेगा लोक निर्माण विभाग

मध्य प्रदेश में शासन द्वारा बनाई जा रही बनाई जा रही सड़क , पुल , ओवरब्रिज , शासकीय भवन एवं ऐसी ही निर्माण संबंधी गतिविधियों में पर्यावरण संरक्षण और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की गई है। 

 इसके अंतर्गत निर्माण गतिविधियों में बड़े वृक्षों को काटने के स्थान पर उन्हें स्थानांतरित कर अन्य जगह लगाने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही जल संरक्षण के लिए तालाब भी बनाए जाएंगे।

प्रदेश में अधोसंरचना के साथ पर्यावरण संरक्षण और भूजल स्तर में वृद्धि हो , इसके लिए अधिकारियों कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कार्य लोक निर्माण विभाग के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।

लोक निर्माण विभाग द्वारा पर्यावरण को बेहतर बनाने संबंधी संगोष्ठी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 11 अगस्त 2025 को भोपाल के रविंद्र भवन में किया जाएगा। 

पर्यावरण से समन्वय विषय पर आधारित इस संगोष्ठी का शुभारंभ सुबह साढ़े 10 बजे मुख्यमंत्री मोहन यादव करेंगे । 

इस अवसर पर मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, भास्कराचार्य अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक टी पी सिंह ,अखिल भारतीय पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रमुख गोपाल आर्य सहित अन्य विशिष्ट अतिथि भी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। 

इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर , सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर , कार्यपालन यंत्री, अनुविभागीय अधिकारी, सहायक यंत्री के साथ ही लगभग 1750 विभागीय अधिकारी उपस्थित रहेंगे। 

कार्यक्रम के दौरान भास्कराचार्य संस्थान के विषय विशेषज्ञ पीएम गति शक्ति प्लेटफार्म एवं जी आई एस आधारित प्लानिंग पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण देंगे। 

उल्लेखनीय है कि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित वातावरण और स्वस्थ पर्यावरण देना ही सच्चा लोक कल्याण है। इस भावना को साकार करते हुए मध्य प्रदेश का लोक निर्माण विभाग अपनी निर्माण संबंधी गतिविधियों में पर्यावरण एवं जल संरक्षण को भी महत्व दे रहा है। पर्यावरण से संबंध में विषय पर आधारित संगोष्ठी भी इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आयोजित की जा रही है ।

यहां यह बताना जरूरी होगा कि मध्य प्रदेश में लोक निर्माण विभाग ने भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू सूचना विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर पी एम गति शक्ति की तर्ज पर अपना जिओ स्पेशल पोर्टल विकसित किया है।

 यह एक भू स्थानिक तकनीक ( जियोग्राफिकल टेक्नोलॉजी ) पर आधारित डिजिटल मंच है जो इसरो की उपग्रह तस्वीरों और राज्य व केंद्र सरकार के विभागों से प्राप्त डाटा का उपयोग करता है ।

इस पोर्टल पर सड़क , पुल पर्यटन स्थल , जंगल की सीमाएं , राजस्व भूमि मानचित्र , ट्रंक नेटवर्क (गैस पाइपलाइन , बिजली की लाइन , जल आपूर्ति आदि ) जैसी जानकारियां एक साथ उपलब्ध है। यह जानकारी भविष्य की सड़क परियोजनाओं की योजना बनाने स्थान चयन और समयबद्ध कार्यान्वयन में बहुत सहायक होगी।

 यह पोर्टल मुख्य अभियंताओं कार्यपालन यांत्रियों और क्षेत्रीय अभियंताओं को एक आधुनिक डिजिटल टूल प्रदान करता है ।

इसके जरिए में प्रोजेक्ट की प्लानिंग कर सकते हैं प्रगति की निगरानी कर सकते हैं एम आई एस रिपोर्ट जनरेट कर सकते हैं और डाटा के आधार पर निर्णय ले सकते हैं ।

यह पहल ईजी आफ डूइंग बिजनेस और इजी आफ लिविंग को बढ़ावा देगी। इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कलम बनेगी। 

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने भास्कराचार्य संस्थान के सहयोग से अपनी परिसंपत्तियों की सटीक मैपिंग और निगरानी के लिए अति आधुनिक जी आई एस आधारित पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किए हैं। इस पोर्टल के माध्यम से राज्य के सभी सड़क ,पुल, सरकारी भवनों और अन्य बुनियादी ढांचे की डिजिटल मैपिंग की जाएगी। 

इस पोर्टल के माध्यम से यह देखा जा सकता है कि सड़क की चौड़ाई कितनी है? सड़क कितनी लेन की है? उसकी वर्तमान स्थिति क्या है? उसका प्रकार क्या है ? यह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग की है या राज्य के राजमार्ग की है? इसकी भी जानकारी मिल सकेगी ।

इससे विभाग को यह समझने में आसानी होगी कि कहां इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है और कहां नए कामों की जरूरत है ?

 यह डाटा आधारित विश्लेषण भविष्य की योजनाओं को अधिक सटीक और प्रभावी समावेशी बनाएगी।

 इस मोबाइल एप्लीकेशन से लोक निर्माण के विभागीय अधिकारियों और फील्ड इंजीनियरों को सड़क की प्रगति की ट्रेकिंग ,पुल निरीक्षण रिपोर्ट , सरकारी भवनों की स्थिति ,वृक्षारोपण की स्थिति आदि को मैप पर अपडेट करने में सुविधा मिलेगी ।

यह एप निर्माण स्थल से सीधे डेटा संग्रह , फोटो अपलोड और स्टेटस अपडेट करने की सुविधा भी देता है। इसके माध्यम से नई सड़कों के निर्माण से पहले एक विस्तृत और वैज्ञानिक अध्ययन भी सुविधाजनक तरीके से हो सकेगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा किए जा रहे वृक्षारोपण की निगरानी भी अति आधुनिक भू स्थानिक मॉड्यूल से की जा सकेगी।

 यह मॉड्यूल ए आई और ए आई एम एल आधारित तकनीक का प्रयोग का तैयार किया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से पौधों के स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकेगी ।

यदि किसी क्षेत्र में पौधे सूख रहे होंगे या नष्ट हो रहे होंगे तो संबंधित अधिकारी को उसका अलर्ट भेजा जा सकेगा। इसके साथ ही उच्च रेजोल्यूशन उपग्रह चित्रों के आधार पर यह भी देखा जा सकेगा कि किसी विशेष साइट पर वृक्षारोपण के पहले और बाद में क्या परिवर्तन हुआ है ?

यह तकनीक पर्यावरण की निगरानी को आधुनिक और परिणाम दायक बनाएगी। इसी प्रकार लोक निर्माण विभाग ने लोक कल्याण सरोवर योजना भी प्रारंभ की है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

 सड़क परियोजनाओं में कार्य करने वाले ठेकेदारों को खुदाई के दौरान तालाब या सरोवर बनाना अब अनिवार्य किया गया है ।

खुदाई से प्राप्त मिट्टी का उपयोग सड़क निर्माण में किया जाएगा जबकि खुदाई से बने सरोवर कृषि और घरेलू उपयोग के लिए जल स्रोत का काम करेंगे। 

यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि विकसित मध्य प्रदेश 2047 की अवधारणा को साकार करने के लिए राज्य को एकीकृत और सस्टेनेबल बेसिस इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया जा रहा है ।

लोक निर्माण विभाग ने पीएम गति शक्ति की मदद से राज्य के प्रमुख शहरों औद्योगिक क्षेत्र और पर्यटन स्थलों को सीधे जोड़ने के लिए 12 नए मार्गों की योजना बनाई है।

 इन नए मार्गों से यात्रा की दूरी 30% तक कम होगी जिस समय और ईंधन की भी बचत होगी यह योजना प्रदेश के समग्र और समावेशी विकास को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं । संपर्क: 9424466269 )

– अमिताभ पाण्डेय

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