कोयले के ठेके में गड़बड़ी , जांच कब होगी ?

सारणी ।

मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) के सारणी जिला बैतूल में स्थित सतपुड़ा ताप विद्युत गृह (STPS) में इन दिनों गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की चर्चा है। 

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार अधिकारियों और ट्रांसपोर्टर के बीच मिलीभगत से नियमों को दरकिनार कर करोड़ों रुपये के कोयले के सौदों में गड़बड़ी की जा रही है। यदि इसकी तत्काल निष्पक्ष जांच की जाए तो अनियमितताएं उजागर होने की संभावना है।

  • ठेका और काम की पृष्ठभूमि

उल्लेखनीय है कि STPS MPPGCL, सारणी द्वारा जारी Work Tender No. 08-004/STPS/P&W/CHP-III/WT-3908/Tender ID – 2002_MPPGC_210049/646 dated 23/06/2022के अंतर्गत M/s Saluja Transport Company को कोयला परिवहन का ठेका दिया गया था। इसके लिए Letter of Acceptance (LOA No. 1132 dated 01/09/2022)जारी की गई थी। 

इस अनुबंध के अंतर्गत सलूजा ट्रांसपोर्ट कंपनी को Tawa-II Mine (Pathakheda, जिला बैतूल) से कोयला उठाने का कार्य सौंपा गया था। कंपनी ने दो वर्षों में लगभग1 लाख 80 हजार मीट्रिक टन कोयला उठाया और निर्धारित समय पर कार्य पूर्ण कर लिया।

  • कार्य पूर्ण होने पर सिक्योरिटी और BG वापस

कार्य पूर्ण होने के बाद, अनुबंध की शर्तों के अनुसार कंपनी ने अपनी सिक्योरिटी डिपॉजिट (Security Deposit)और बैंक गारंटी (BG) की वापसी मांगी।

इस परServices–II विभाग द्वारा Letter No. 505/1800/CHP-III/2811 dated 31/01/2025 के माध्यम से M/s Saluja की बैंक गारंटी वापस करने के निर्देश दिए गए, और दिनांक 03/02/2025 को BG वापस कर दी गई। 

इसका यह आशय था कि अब कंपनी का कार्य समाप्त हो गया, भुगतान एवं सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी गई।

  • सवाल यह है कि इसके बाद अचानक “एक्सटेंशन” का खेल कैसे हो गया ?

जबकि चौंकाने वाली बात यह है कि कार्य पूर्ण हो जाने और BG वापस किए जाने के 8 महीने बाद दिनांक 01/10/2025 को MPPGCL के अधिकारियों ने M/s Saluja को ईमेल भेजकर यह पूछ लिया कि यदि उन्हें 50% अतिरिक्त मात्रा और 180 दिन की अतिरिक्त अवधि दी जाए तो क्या वे पुनः यह कार्य करेंगे?

स्वाभाविक है कि कंपनी ने अगले ही दिन दिनांक 02/10/2025 को इसके लिए सहमति दे दी । कुछ ही दिनों में उन्हें नए Sales Ordersभी जारी कर दिए गए!

इतना ही नहीं — कंपनी ने बिना नई BG या सिक्योरिटी डिपॉजिट के Tawa-II Mine से कोयला उठाना भी शुरू कर दिया।

  • बिना बैंक गारंटी करोड़ों का कोयला !

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा प्रश्न यही है? जब अनुबंध की अधिकतम अवधि Clause No. 6 के अनुसार सितंबर 2025 तक ही थी, और BG फरवरी 2025 में वापस कर दी गई थी, तो फिरअक्टूबर 2025 में M/s Saluja को अतिरिक्त कार्य आदेश (extension और sales order) देने का अधिकार किसे और किस आधार पर था?

क्या यह सब “Delegation of Power”के अंतर्गत हुआ या फिर अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर यह निर्णय लिया ?

यदि यह निर्णय बिना उचित स्वीकृति और BG के लिया गया, तो इसका अर्थ है कि करोड़ों रुपये मूल्य का कोयला बिना किसी वित्तीय सुरक्षा (Bank Guarantee)के निजी कंपनी को सौंप दिया गया – जो कि प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय अनुशासन और जनहित के साथ खिलवाड़ है।

  • जब गलती समझ आई, तब BG जमा करवाने की याद आई :

जब अधिकारियों को यह अहसास हुआ कि बिना BG और बिना औपचारिक अवधि विस्तार के कार्य शुरू हो चुका है, तब दिनांक 31/10/2025 को M/s Saluja को मौखिक चेतावनी दी गई कि तत्काल नई BG जमा करें, अन्यथा कार्य बंद कर दिया जाएगा।

इसके बाद M/s Saluja ने नई सिक्योरिटी डिपॉजिट (SD) और BG जमा की, और प्रक्रिया को “कागज़ों में” पूरा करने की कोशिश की गई जो कि अनुबंध प्रक्रिया के अनुसार गलत थी। पर सवाल यह है – जब काम पहले ही शुरू हो चुका था, तो क्या यह बाद की औपचारिकता सिर्फ “कवर अप” के लिए की गई ?

जवाबदेही का सवाल:

अब मुख्य प्रश्न यह है कि –

1. M/s Saluja को बिना BG और अनुबंध अवधि बढ़ाए Sales Order किसने जारी किया?

2. इसके लिए कौन-सा Delegation of Power इस्तेमाल किया गया ?

3. क्या CE (Fuel Management) और STPS के कुछ अधिकारी इस पूरे प्रकरण में शामिल हैं ?

4. क्या राज्य सरकार और ऊर्जा विभाग को इस अनियमितता की जानकारी दी गई है ?

  • जनहित में इस पूरे प्रकरण कीउच्च स्तरीय जांच तत्काल होना जरूरी है।

 विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यह केवल एक विभागीय चूक नहीं, बल्कि एक संगठित वित्तीय अनियमितताहै जिसमें अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत होने की पूरी संभावना है।

यदि समय रहते इस मामले में कार्रवाई नहीं की गई, तो यह प्रकरण MPPGCL की साख को गहराई से प्रभावित करेगा और सार्वजनिक धन की भारी हानि होगी।

 

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