कागज़ पर G-5, हकीकत में मिट्टी ! कहां गायब हुआ 45 हजार मीट्रिक टन कोयला ? 

भोपाल ।

 मध्यप्रदेश में ऊर्जा विभाग के पावर प्लांट पर कोयले की क्वालिटी, क्वान्टिटी , परचेज ( खरीदी) और सप्लाई ( आपूर्ति ) की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हो रही हैं।

पावर प्लांट की साईड से लगभग 45 हजार मीट्रिक टन उच्च गुणवत्ता का कोयला कब अनलोड हुआ? इसके बाद कहां भेजा गया? इसका जवाब नहीं मिल रहा है। 

ऊर्जा विभाग के उच्च अधिकारियों को शायद यह पता नहीं है कि वीरसिंहपुर पावर प्लांट में पिछले कुछ महीनों से कोयले की क्वालिटी, क्वान्टिटी को लेकर भारी अनियमितताएं हो रही है।

इस संबंध में पिछले दिनों तथ्य, प्रमाण के साथ जो समाचार प्रकाशित हुए हैं उन पर अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हो पाई है। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को हटाकर अनियमितताओं की जांच तत्काल प्रारंभ करना था । 

इस बारे में ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर, ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई को भी शिकायत कर दी गई। इसके बाद भी गड़बड़ी लगातार हो रही है। 

सवाल यह है कि शिकायत मिलने के बाद भी ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव MPPGCL (FM), SGTPP बिरसिंहपुर और ट्रांसपोर्टर गठजोड़ की जांच क्यों नहीं कर रहे हैं ? 

कोयला प्लांट में हो रही अनियमितताएं लगातार चर्चा का विषय बनी जिनके बारे में समाचार भी प्रकाशित हुए। इन समाचारों में बताया गया कि SGTPP बिरसिंहपुर में जब कोयले की कोई आवश्यकता नहीं थी, तब भी F M कार्यालय, जबलपुर में वर्षों से जमे कुछ अधिकारियों ने अपने फायदे के लिए R C R के माध्यम से कोयला सप्लाई जारी रखी।

और वो भी उसी ट्रांसपोर्टर को ठेका देकर—जो S S T P P खंडवा में कोयला सैंपल चोरी के मामले में पहले से ही जांच के घेरे में था। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि उस जांच टीम में भी वही अधिकारी शामिल थे।

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SE Services-II का पत्र, लेकिन फिर भी आँखें मूंद लीं?

SGTPP बिरसिंहपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 07 अगस्त 2025 को SE Services-II विभाग ने FM जबलपुर को पत्र क्रमांक 105 द्वारा सूचित किया कि:

• संयंत्र में लगभग 4 लाख मीट्रिक टन कोयला स्टॉक में उपलब्ध है।

• संयंत्र की कोयला भंडारण क्षमता 4.7 लाख मीट्रिक टन है।

यही बात हमारी रिपोर्टिंग लगातार उजागर करती रही है—जिसे अब SE Services खुद पत्र के माध्यम से स्वीकार कर रहे हैं।

इसके बावजूद, F M विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने G-5 और G-8 ग्रेड का 70,000 M T उच्च गुणवत्ता वाला कोयला जय अंबे ट्रांसपोर्टर को आवंटित कर दिया—जबकि संयंत्र को कोयले की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं थी, और पिछले एक वर्ष से SECL द्वारा नियमित रूप से रेक सप्लाई की जा रही थी। स्टॉक भी हमेशा 80-90% तक बना रहा।

क्या यह निर्णय जानबूझकर लिया गया ? 

और अगर हां—तो क्यों ?

इसकी जांच होनी चाहिए।

क्या FM ऑफिस को नहीं पता ओवर हॉलिंग और मानसून की टाइमिंग ! 

गौर करने वाली बात है:

• जून, जुलाई और अगस्त मानसून के महीने होते हैं।

• इन महीनों में सभी संयंत्रों की यूनिट्स ओवरहॉलिंग पर जाती हैं।

फिर भी, संयंत्र को बिना आवश्यकता के 70,000 MT कोयले का सेल्स ऑर्डर जारी किया गया।

 क्या ऐसा मान लिया जाए यह निर्णय ऊर्जा ज़रूरतों पर नहीं, बल्कि निजी लाभ की मंशा पर आधारित था।

कहां गया कोयला ?

गजब है 17 रेक का ऑर्डर , पहुंचे सिर्फ 7 !

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार:

• 70,000 MT कोयला लाने के लिए लगभग 17–18 रेक की आवश्यकता होती है (1 रेक = 58 बॉक्स = लगभग 4000 MT)

• लेकिन अब तक SGTPP में सिर्फ 7 रेक ही पहुंचे हैं।

यानी शेष लगभग 45,000 मीट्रिक टन कोयला कहां गया ?

इसकी तत्काल जांच कब शुरू होगी ? 

साइडिंग पर जांच—G-5 औरG-8 तो हैं ही नहीं!

” अपनी खबर ” ने BBSB और KJZ रेलवे साइडिंग्स पर ग्राउंड से जो जानकारी ली वह बताती है कि वहाँ :

• G-5 औरG-8 ग्रेड का कोयला बिल्कुल भी मौजूद नहीं था।

• जगह-जगह राख, पत्थरऔर मिट्टी के ढेर मिले।

इसके बारे में प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए MPPGCL के बिलासपुर स्थित अधिकारी दिनेश ठाकुर से संपर्क करने की कोशिश की गई । जवाब नहीं मिल पाया है। 

रिटायरमेंट के बाद भी “सक्रिय”?

सूत्रों केअनुसार, SGTPP में कुछ रिटायर हो चुके गुणवत्ता अधिकारी अब भी सक्रिय हैं—और FM विभाग उन्हें दोबारा एक्सटेंशन देने की पूरी कोशिश कर रहा है।

ये वही लोग हैं जो कोयले की क्वालिटी को“ मैनेज”करते हैं—और पूरे खेल में ऊपर से नीचे तक “सेटिंग” नजर आती है।

कहां है GPS, सीलिंग और क्वालिटी टीम?

MPPGCL के नियम कहते हैं:

• हर ट्रक में GPS ट्रैकिंग होनी चाहिए

• कोयले की सीलिंग और क्वालिटी चेकअनिवार्य है

लेकिन सच्चाई ये है:

• कोई GPS नहीं

• कोई Quality Manager नहीं

• कोई सीलिंग नहीं

• संयंत्र में पहुंचने पर कोईअसली जांच नहीं

सब कुछ सिर्फ कागज़ों पर चल रहा है जबकि असलियत अलग है।

इस बारे में तत्काल जांच होनी चाहिए :

• CBI या EOW से निष्पक्ष जांच करवाई जाए

• हर रेक की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की जाए

• सैंपलिंग अधिकारियों की उपस्थिति और ड्यूटी रजिस्टर की जांच हो

• GPS, सीलिंग और ट्रैकिंग की सिस्टमेटिक समीक्षा हो

• 45,000 MT गायब कोयले की भरपाई जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन/पेंशन/पेमेंट से की जाए ।

– अमिताभ पाण्डेय , शुरैह नियाजी

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