गुरु पूर्णिमा के साथ ही 10 जुलाई को मनेगा धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस

 गुरु पूर्णिमा – आषाढ़ पूर्णिमा का पर्व आगामी 10 जुलाई को परम्परागत श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालु अपने गुरु का वंदन,पूजन करेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के सारनाथ शहर में स्थित मूलगंध कुटी विहार में बौद्ध धर्म के अनुयायी धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस मनाएंगे ।

उल्लेखनीय है कि आषाढ़ पूर्णिमा को धम्म चक्र प्रवर्तन की प्रक्रिया का प्रथम महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। इसी दिन भगवान बुद्ध ने अब सारनाथ के नाम से विख्यात ऋषिपटन मृगादय के मृग उद्यान में पंचवर्गीय (पांच तपस्वी साथियों) को पहली बार उपदेश दिया था। यह पवित्र अवसर वर्षा वास अर्थात वर्षा ऋतु में विश्राम की शुरुआत का भी संकेत है। संपूर्ण बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियां इस पावन अवसर पर अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

अधिकारिक जानकारी के अनुसार आगामी 10 जुलाई 2025 को शाम 04:00 बजे से मूलगंध कुटी विहार, सारनाथ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में यह कार्यक्रम होगा। इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।

इस अवसर पर ऐतिहासिक धामेक स्तूप पर संध्या काल में सम्मानित संघ समुदाय के नेतृत्व में पवित्र परिक्रमा और मंत्रोच्चारण से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। 

पारंपरिक रीतियों के अनुसार इस अनुष्ठान में भ्रमण और मंत्रोच्चारण से समारोह स्थल पर गहन आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होगी।उसके बाद प्रख्यात भिक्षुओं, विद्वानों और गणमान्य व्यक्तियों की ओर से मंगलाचरण पाठ होगा और चिंतन-मनन किया जाएगा।

सारनाथ – बुद्ध की शिक्षाओं का उद्गम स्थल : 

यहां यह बताना जरूरी है कि सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने बुद्ध धम्म की नींव रखते हुए चार आर्य सत्य और आर्य अष्टांगिक मार्ग का ज्ञान साझा किया था। श्रीलंका में यह दिन एसाला पोया और थाईलैंड में असन्हा बुचा के रूप में मनाया जाता है। 

इस दिन का बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों में गंभीर आध्यात्मिक महत्व है। इसके अतिरिक्त, बौद्ध और हिंदू समुदाय आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं। यह ज्ञान के माध्यम से जीवन के अंधकार का नाश करने वाले अपने आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का दिन है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के बारे में : 

नई दिल्ली में वर्ष 2012 में वैश्विक बौद्ध सम्मेलन के बाद स्थापित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ 39 देशों और 320 से अधिक सदस्य निकायों में बौद्ध संगठनों, मठवासी आदेशों और आम संस्थाओं को एक साथ लाने वाला विश्व का पहला संगठन है। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ऐसा मंच है जो सभी परंपराओं, क्षेत्रों और लिंगों के समावेशी प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिबद्ध है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बौद्ध मूल्यों को वैश्विक चर्चा में शामिल करने और सद्भाव को बढ़ावा देने के अपने मिशन के साथ एकता, करुणा और आध्यात्मिक संवाद की दृष्टि को कायम रखता है। इसकी शासी संरचना में मठवासी भिक्षुओं और आम जनों- दोनों की भागीदारी शामिल है जो वास्तव में बुद्ध धम्म के संरक्षण और प्रचार में सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को दर्शाती है।

– अमिताभ पाण्डेय

Related Posts

विशेष छात्रवृति लेकर पढ़ेंगे , आगे बढ़ेंगे टोल प्लाजा पर काम करने वालों के बच्चे

नई दिल्ली।  देश के विभिन्न राज्यों के सड़क मार्ग पर तैनात टोल प्लाजा सभी कर्मचारियों , सुपरवाइजर , गार्ड, के लिए यह अच्छी खबर है। इन कर्मचारियों के बच्चों को…

सालगिरह मुबारक, आगे बढ़ रहा है अपना मध्यप्रदेश 

उत्थान, समृद्धि, आत्मनिर्भरता के साथ अपना मध्यप्रदेश विकास के पथ लगातार अग्रसर है। पिछले 70 साल में देश दुनिया के नक्शे पर मध्यप्रदेश की पहचान के विविध और गहरे रंग…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *