किसान कल्याण के नाम पर कहां खर्च हो गए 15 सौ करोड़ ?

नई दिल्ली।

केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय अंतर्गत काम करने वाले लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ ( एस एफ ए सी ) ने किसानों के लिए कल्याणकारी योजना के नाम पर लगभग 6800 करोड रुपए की एक कार्य योजना तैयार की। इस योजना के माध्यम से देश भर में 10 हजार से अधिक कृषि उत्पादन संगठन (एफ पी ओ ) को आर्थिक और तकनीकी सहायता देकर किसानों की आय एवं कृषि उत्पादन बढ़ाने के कार्यक्रम चलाए जाना था ।

योजना के अंतर्गत लगभग 1500 करोड रुपए का खर्च अब तक हो चुका है। इस खर्च के बारे में जब सूचना के अधिकार अन्तर्गत जानकारी मांगी गई तो खर्च कहां किया गया ? इसका जवाब नहीं मिल रहा है।

इसका खुलासा कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह राज्य मध्य प्रदेश में रहने वाले शाजी जान ने किया है। 

भोपाल शहर में रहने वाले कृषि विशेषज्ञ और पूर्व बैंकर शाजी जान किसान कल्याण संबंधी योजनाओं की जानकारी और उनके क्रियान्वयन में रुचि लेते हैं। उन्होंने सूचना के अधिकार के अंतर्गत एसएफएसी से राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधन एजेंसी एनपीएमए को किए गए भुगतान के बारे में जानकारी मांगी थी। एसएफएसी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने उन्हें दी गई जानकारी में बताया कि ऐसा कोई भुगतान जानकारी में नहीं है।

 जब श्री जान ने इस संबंध में अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील की तो उन्हें बताया गया कि भुगतान का रिकॉर्ड और वाउचर एसएफएसी द्वारा ही रखे जाते हैं।

 एसएफएसी द्वारा यह स्वीकार किए जाने के बाद कि भुगतान का रिकार्ड मौजूद है तो अपीलीय अधिकारी ने दिसंबर 2020 और दिसंबर 2024 के बीच एनपीएमए को किए गए कुल भुगतानों का खुलासा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने जवाब में श्री जान को यह बताया कि एनपीएमए की गोपनीयता इससे भंग होगी ।

श्री जान के अनुसार अपील अधिकारी द्वारा गोपनीयता भंग करने के नाम पर सूचना को छिपाया जा रहा है।

श्री जान ने कहा कि देश में 10000 एफ पी ओ के लिए 6800 करोड़ से अधिक के बजट को व्यय किया जाना है।

 इतनी बड़ी राशि के भुगतान के लिए यदि शासकीय विभाग जानकारी नहीं रखता है तो फिर विचार करना चाहिए कि इस राशि का कहां उपयोग हो रहा है ?

 श्री जान ने आशंका जताई कि , किसान उत्पादक संगठन एफ पी ओ को आर्थिक सहयोग दिए जाने के नाम पर शासकीय धन का दुरुपयोग हो रहा है।उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में एसएफएसी द्वारा एनपीएमए को दिए गए कार्य अनुसार सबसे पहले एनपीएमए को 1 हजार एफ पी ओ योजना के लिए एक परियोजना क्रियान्वयन योजना डीपीआर और मानक संचालन प्रक्रिया एस ओ पी बनाना था। इसके अलावा एनपीएमए को 17 कार्य पूर्ण करने की भी जिम्मेदारी दी गई थी ।

श्री जान को सूचना के अधिकार के माध्यम से यह पता चला कि एनपीएमए ने 17 में से एक भी काम पूरा नहीं किया। इसके बाद भी उन्हें भुगतान कर दिया गया है ।

10 हजार एफ पी ओ में से लगभग 9 हजार किसान उत्पादक संगठन लगभग निष्क्रिय हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो इन पर किया जाने वाला 6 हजार 800 करोड़ का खर्च उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं दे पाएगा। इसका कारण यह है कि एस एफ ए सी के द्वारा इस 10 हजार किसान उत्पादक संगठन योजना में गड़बड़ी की गई है। 10 हजार एफ पी ओ के लिए परियोजना संबंधी डीपीआर की कॉपी भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है ।

श्री जान ने कहा कि एसएफसी लोकधन का दुरुपयोग कर रही है। इस धन का कहां उपयोग किया गया ? किस एजेंसी को भुगतान किया गया ?

यह जानकारी जनहित में सार्वजनिक की जाना चाहिए।

– अमिताभ पाण्डेय

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