कोयला घोटाला : शिकायतकर्ताओं से ही सवाल कर रहे MPPGCL के अधिकारी 

– अमिताभ पाण्डेय , शुरैह नियाज़ी

भोपाल | 

MPPGCL के अंदर कोयला सैंपलिंग और गुणवत्ता में गड़बड़ी की शिकायत के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई के निर्देश अनुसार जांच शुरू हो गई है। जिनको जांच की जिम्मेदारी दी गई उनमें से एक अधिकारी की रुचि मौके पर जांच करने की बजाय शिकायत करने वालों से डांट, डपट वाले अंदाज में बात करने की है। इन अधिकारी ने शिकायत करने वाले से जिस अंदाज में बात की, वह ठीक नहीं था। 

दिनांक 11 नवम्बर 2025 को लगभग 2 बजे मोबाइल नंबर 9826385687 से फोन आया। इस नंबर से फोन करने वाले ने कहा कि “ऊर्जा विभाग की गोपनीय शाखा से बोल रहा हूं। आपने ए सी एस को शिकायत की है जिसमें मां शारदा प्रायवेट लिमिटेड वीर सिंहपुर का जिक्र किया है। जबकि इस नाम की कोई साइट नहीं है। आप मां शारदा प्रायवेट लिमिटेड की लोकेशन बताइएगा ताकि हम उसकी जांच करवा सकें।”

इसके जवाब में शिकायत करने वाले ने कहा कि मैं आपसे वल्लभ भवन में आकर मिल लेता हूं तो जांच अधिकारी ने जवाब दिया कि आप हमसे नहीं मिल सकते। बार बार पूछने पर भी किस पोस्ट पर काम करते हैं ? नाम क्या है ?

यह नहीं बताया। इसके बाद ट्रू कॉलर से पता चला कि Aman Loomba नाम के अधिकारी ने फ़ोन किया था। अधिकारी की बातचीत का अंदाज धमकी भरा था जिसकी सच्चाई काल डिटेल रिपोर्ट से निकाली जा सकती है। अधिकारी का शिकायत करने वालों से धमकी भरे अंदाज में बात करना क्या इस बात का संकेत माना जाए कि जांच अधिकारी निष्पक्ष नहीं है ?

 यहां यह बताना जरूरी है कि कोयले की क्वालिटी, क्वान्टिटी, परचेज से परिवहन तक अनियमितताएं हुई है। पर्याप्त स्टाक होने के बाद भी लगातार कोयला परचेज किया गया। गड़बड़ी का नेटवर्क न केवल SGTPP बिरसिंहपुर तक सीमित है, बल्कि अब SSTPP खंडवा तक फैल चुका है। इस संबंध में मीडिया में लगातार रिपोर्टिंग के बाद आखिरकार ऊर्जा विभाग ने एक जांच टीम गठित की।

MPPGCL

जांच अधिकारी के अंदाज से ऐसा प्रतीत होता है कि अब यह जांच महज़ औपचारिकता है क्योंकि जांच टीम के एक सदस्य खुद ही शिकायतकर्ताओं से धमकाने वाले अंदाज में बात कर रहे हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई के निर्देश पर गठित MPPGCL की जांच कमेटी के सदस्य Mr. Aman Loomba ने फ़ोन पर जिस अंदाज में बात की वह अनुचित था।

 उन्होंने यह पूछकर चौंका दिया कि “आपने अपनी शिकायत और रिपोर्ट में Maa Sharda Logistic Plot का नाम क्यों लिखा ? आप मुझे इसकी लोकेशन बताइए।” क्या अब जांच एजेंसियों का काम यह तय करना रह गया है कि शिकायतकर्ता किन नामों का ज़िक्र करे या न करे ?

X screenshot

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, Mr. Aman Loomba को MD MPPGCL का बेहद करीबी माना जाता है। वे लगभग पूरी सर्विस जबलपुर में ही बिताकर अब जांच अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं।

उनका जांच करने और पूछताछ का तरीका संकेत देता है कि वे निष्पक्ष नहीं है और गड़बड़ी करने वाले किसी अधिकारी का का बचाव कर रहे हैं। जांच कमेटी का फोकस कोयले की साइडिंग, रिकॉर्ड या ट्रांसपोर्ट और संबंधित दस्तावेज पर क्यों नहीं है ?ऑफिस में बैठकर जांच करने की बजाय साइडिंग पर क्यों नहीं जा रहे हैं ? जांच में जानबूझकर जो देरी की जा रही है, यह किसको फायदा पहुंचा रही है ? 

सूत्रों के अनुसार अनुसार, Aman Loomba और उनकी टीम ने अब तक न तो SGTPP और न ही खंडवा साइडिंग का निरीक्षण किया है। यानी जमीनी जांच की जगह अब तक “फाइलों की जांच” ही चल रही है।

इस बारे में विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि MPPGCL के कुछ वरिष्ठ अधिकारी जांच को अपने पक्ष में करने के प्रयास कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि यह मामला MD का कार्यकाल समाप्त होने (मई 2026)से पहले निपटा दिया जाए ताकि कोई बड़ी कार्रवाई न हो और संबंधित अफसरों का “टेन्योर एक्सटेंशन” सुरक्षित रहे।

जब जांच टीम को निष्पक्ष रूप से यह देखना होगा कि क्या अनियमितताएं हुई और कौन जिम्मेदार है ? अगर शिकायत में Maa Sharda Logistic Plot का नाम आया है, तो जांच वहीं जाकर क्यों नहीं की जा रही है ?

यहां यह बताना जरूरी है कि माँ शारदा कोई रेलवे साइडिंग नहीं है। यदि जांच अधिकारियों की टीम स्थल का आकस्मिक निरीक्षण करें, तो यह सच्चाई सामने आएगी कि कि माँ शारदा एक निजी भूमि (प्राइवेट प्लॉट) है, जहाँ BBSB साइडिंग से कोयला जाने से पहले ही पूरा माल बिक जाता है। वहीं से निम्न गुणवत्ता का मटेरियल—मिट्टी, राख, डस्ट आदि—री-लोड होकर आपके SGTPP बिरसिंगपुर तक पहुँचता है।

यदि जांच टीम के अधिकारियों को बिना पूर्व सूचना के अचानक आकस्मिक निरीक्षण के दौरान BBSB और KZJ साइडिंग पर MPPGCL की वह शेष मात्रा भी मिल जाए, जिस ग्रेड का कोयला लिफ्ट हुआ था, तो इसकी जानकारी यह समाचार लिखने वाले पत्रकारों को प्रमाण सहित दी जाना चाहिए। 

Meeting

यहां यह बताना जरूरी है कि यदि जांच टीम ने निष्पक्ष काम नहीं किया तो उन्हें इसका जवाब अतिरिक्त मुख्य सचिव को देना होगा जो कि बोलते कम और समझते ज्यादा हैं । शिकायत करने वालों के पास पर्याप्त तथ्य, प्रमाण, दस्तावेज के रिकार्ड सुरक्षित हैं जिनमें गड़बड़ी के जिम्मेदार अधिकारी अब कोई फेरबदल नहीं कर सकते हैं। यदि जांच में कोई भेदभाव हुआ तो उसका जवाब जांच टीम को देना होगा। 

अभी जांच के लिए जो टीम गठित हुई वह ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मंडलोई के निर्देश पर हुई थी। 

केन्द्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी , केन्द्रीय सतर्कता आयोग, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर को प्रमाण सहित जो शिकायत की गई उनका जवाब भी गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को देना होगा।

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