भोपाल ।
राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा विभिन्न जिलों में जलाशयों के कार्यरत प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों सदस्यों का वार्षिक अधिवेशन 12 नवम्बर 2025 को भोपाल में होगा। यह जानकारी मध्यप्रदेश श्रमिक मछुआरा संघ के मुन्ना बर्मन, रमेश नंदा, जितेन्द्र मांझी, श्यामा भारत मछुआरा और राजकुमार सिन्हा ने दी ।
उन्होंने बताया कि 90 के दशक में तत्कालीन सरकार ने राज्य मत्स्य विकास निगम को समाप्त कर “राज्य मत्स्य महासंघ” के माध्यम से कार्य का संचालन शुरू किया था। इसका उद्देश्य जलाशय और मछुआरा विकास के लिए स्थानीय सक्रिय मछुआरा प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए समस्त गतिविधियां उनके अनुसार संचालित करने का था।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ का विगत दो दशकों से अधिक वर्षों से चुनाव नहीं हुआ है। केवल राज्य शासन से नियुक्त प्रशासक के माध्यम से कार्य संपन्न कराया जा रहा है। यह वार्षिक आम सभा केवल औपचारिकता मात्र रह गई है। इसमें जलाशय में कार्यरत मछुआरों की समस्याओं को सुनना और उसका निदान भी होना पर चाहिए।
यहां यह बताना जरूरी है कि जलाशयों में सही मात्रा और पारदर्शी बीज संचय नहीं होने के कारण मत्स्य उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। इससे मछुआरा रोजगार की तलाश में पलायन करने को बाध्य है|
श्री सिन्हा ने बताया कि विगत कई वर्षों से मत्स्य महासंघ द्वारा मछली पकड़ने की मजदूरी दर नहीं बढाई गई है।
राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा 2000 हेक्टेयर से बङे जलाशयों में मेजर और माइनर कार्प मछली पकडने की मजदूरी क्रमशः 34 और 20 रूपये प्रति किलो तय है।
मछली पकड़ने की मजदूरी शासन द्वारा घोषित मूल्य बाजार भाव से बहुत ही कम है, जिससे ठेकदारों की कमाई तो बढती है, परन्तु मछुआरा समुदाय आर्थिक तंगहाली में है।
गैर मछुआरा समुदाय के प्रभावशाली लोग प्राथमिक मछुआरा सहकारी समिति के माध्यम से अधिकतर जलाशयों पर कब्जा किये हुए हैं।उन्हें जिले के विभागीय अधिकारियों का संरक्षण भी प्राप्त है।
मध्यप्रदेश के मछुआरों को विगत दो वित्तीय वर्षों से बचत सह राहत योजना की राशि का भुगतान नहीं हुआ है, जबकि यह मत्स्याखेट के बंद ऋतु में प्रतिवर्ष मछुआरों को मिल जाया करता था।
बरगी जलाशय में अभी तक मत्स्याखेट कार्य शुरू नहीं हुआ है जबकि यह 15 अगस्त के बाद चालू हो जाना चाहिए था। इसके कारण मछुआरे बेरोजगार बैठे हैं।
मछुआरों द्वारा जलाशय में मत्स्याखेट एवं विपणन और जल संपदा की सुरक्षा का अधिकार देने की मांग करते आ रहे हैं। सरकार इन मांगों को अनसुनी करती आ रही है। सरदार सरोवर जलाशय में नर्मदा माता मत्स्य उत्पादन एवं विपणन संघ (प्रस्तावित) है, उसका पंजीयन तत्काल किया जाकर मछुआरों को संघ का अधिकार दिया जाये। विस्थापित मछुआरों की सहकारी समितियों को भी लाभ दिया जाये।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा 7 बङे और 19 मझौले मिलाकर कुल 26 जलाशयों का नियंत्रण किया जाता है जिसका कुल क्षेत्रफल 2.29 लाख हेक्टेयर है।
उपरोक्त सभी समस्याओं को लेकर मध्यप्रदेश श्रमिक मछुआरा संघ ने मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री, प्रमुख सचिव मत्स्य विभाग और प्रबंध निदेशक राज्य मत्स्य महासंघ भोपाल को ज्ञापन भेजा गया है| मध्यप्रदेश श्रमिक मछुआरा संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर मछुआरों की जायज मांगों पर कार्यवाही नहीं हुई तो प्रदेश में मछुआरा समुदाय के लोग आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
– अमिताभ पाण्डेय





