कश्मीरी केसर के लिए टिश्यू कल्चर लैब, नर्सरी की स्थापना करेगी केंद्र सरकार : शिवराज सिंह

नई दिल्ली।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज श्रीनगर स्थित राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ कृषि व ग्रामीण विकास के संबंध में विस्तारपूर्वक समीक्षा बैठक की। इस बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में श्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है विकसित भारत का निर्माण, और विकसित भारत के लिए विकसित जम्मू-कश्मीर जरूरी है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ मीडिया से चर्चा में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की और जम्मू-कश्मीर की भी रीढ़ है। आज भी लगभग 50 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। जम्मू-कश्मीर में तो कृषि और भी ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। कृषि को हम और कैसे बेहतर बनाएं, किसानों की ज़िंदगी और कैसे बेहतर हो, इसके लिए विस्तार से समीक्षा की गई है। खुशी है कि मुख्यमंत्री के साथ बैठकर हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है। जम्मू-कश्मीर की एक पहल ‘किसान खिदमत घर’ यह बहुत अच्छी पहल है, जहां एक ही स्थान पर किसानों को कृषि से संबंधित सारी सुविधाएं दी जाती हैं।

श्री चौहान ने प्रसन्नता व्यक्त की कि जम्मू-कश्मीर में बागवानी की कई फसलें होती हैं। सेब, बादाम, अखरोट जम्मू-कश्मीर के किसान मेहनत से पैदा करते हैं, लेकिन एक समस्या यह है कि बागवानी के लिए जो प्लांट लाते हैं, कई बार दो-तीन साल बाद पता चलता है कि उनमें कोई वायरस-बैक्टीरिया आ गया, वे खराब निकल जाते हैं, इसलिए इस बात की जरूरत बताई गई है कि क्लीन प्लांट मिले, मतलब रोगरहित-बीमारियों से मुक्त प्लांट मिले, इस पर काम करने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने घोषणा की कि श्रीनगर में केंद्र सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) योजना के तहत 150 करोड़ रुपये लागत का सेंट्रल इंस्टीट्यूट-क्लीन प्लांट सेंटर बनाया जाएगा। इसमें सेब, बादाम, अखरोट, बेरी पर काम होगा, जब क्लीन प्लांट सेंटर आएगा, उसके साथ-साथ प्राइवेट नर्सरी भी विकसित की जाएगी और उन्हें भी सहायता देंगे ताकि अच्छी नर्सरियां बनें, प्लांट में क्लीन प्लांट बनाए जाएंगे, जो बैक्टीरिया, वायरस रहित रहेंगे और किसानों को अच्छे पौधे मिल पाएंगे।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित उन किसानों, जिन्हें अधिकृत रूप से सरकार ने पट्टे दिए हैं, लेकिन उनके पास वैधानिक कागजात नहीं है, उनके बारे में भी हम चर्चा करके, जो सरकार की अनुमति से खेती कर रहे हैं, उन्हें पीएम-किसान सम्मान निधि का लाभ मिले, इस दिशा में हम काम करेंगे। श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में बागवानी फसलों के कवरेज के लिए भी हम पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) योजना को जल्दी शुरू करेंगे, ताकि बागवानी की फसलों की मैपिंग ठीक ढंग से हो सके और किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में ‘क्षेत्रीय बागवानी केंद्र’ की स्थापना की मांग हुई है। उसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) यहां की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जम्मू को इंफ्रास्ट्रक्चर का सहयोग प्रदान करेगा।

श्री सिंह ने बताया कि वर्तमान में सीए (CA) स्टोरेज की सीमा 18 महीने है, जिसे बढ़ाकर 24 महीने करने का फैसला किया गया है। बागवानी मिशन में सब्सिडी 5 हज़ार मीट्रिक टन दी जाएगी, यह बात सामने आई थी, लेकिन कई लोगों ने 6 हज़ार मीट्रिक टन तक की क्षमता का निर्माण कर लिया है, हमने इस समस्या के समाधान का भी फैसला किया है। 6 हज़ार मीट्रिक टन क्षमता का निर्माण भी कर लिया तो भी निश्चित सीमा 5 हज़ार मीट्रिक टन तक उन्हें सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। इसी प्रकार से आईसीएआर के सहयोग से विश्वविद्यालय के साथ समझौता-ज्ञापन का भी फैसला किया है।

श्री सिंह ने कहा कि केसर यहां की विशेषता है, पहचान है, इसलिए टिश्यू कल्चर लैब, नर्सरी की स्थापना केंद्र सरकार यहां करेगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा। ‘राष्ट्रीय केसर मिशन’ में जम्मू कश्मीर की विशिष्टताओं को देखते हुए संशोधन की आवश्यकता है। उत्पादकता बढ़ाने और नुकसान कम करने के लिए हम वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम का गठन करेंगे। श्री सिंह ने कहा कि मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता के इनपुट विनियमन के लिए क्वालिटी कंट्रोल लैब जरूरी है, इसलिए कठुआ, बारामूला, अनंतनाग में क्वालिटी कंट्रोल लैब स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि आरकेवीवाई के अंतर्गत डेडीकेटेड इरिगेशन प्रोजेक्ट कमांड एरिया पर भी हम काम करेंगे। केनल से खेत तक पानी पहुंचाने के अंतर को कम करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यहां दौरा हुआ था, जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में 4,200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि का आवंटन किया जाएगा, जिससे ग्रामीण बसाहटों को रोड कनेक्टिविटी मिलेगी। प्रसन्नता की बात है कि इस दिशा में जम्मू-कश्मीर सरकार ने तेजी से काम किया है, उन बाकी सड़कों के निर्माण का कार्य भी जल्द ही प्रारंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पीएम आवास योजना में 93 प्रतिशत आवास बन चुके हैं और जो बच गए हैं, उन्हें भी मकान दिए जाएंगे। 5 लाख लोगों के नाम आए हैं, वेरीफिकेशन के बाद पात्र हितग्राहियों को मकान दिए जाएंगे। ग्रामीण गरीबी दूर करने के लिए माताओं-बहनों को एनआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूह के माध्यम से लखपति दीदी बनाने का काम किया जा रहा है। केवल लखपति दीदी नहीं, मिलियन दीदी भी यहां बन रही हैं, जिनकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये से ज्यादा है।

श्री सिंह ने कहा कि इस साल मनरेगा में मजदूरों को काम मिल सके, इसके टारगेट दिए हैं, इस पर काम हो रहा है। युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण भी अब शुरू किया जाएगा। ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ में भी कोई शेष रह गया हो, तो उन्हें भी जोड़ने का काम किया जाएगा।

अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान ने कहा कि उपलब्धियों पर हमें गर्व है, केंद्र की योजनाओं का क्रियान्वयन भी बेहतर ढंग से हो रहा है। प्रधानमंत्री जी के संकल्प और यहां की टीम की मंशा के अनुरूप हम जम्मू-कश्मीर को पूरी ताकत से विकास की दिशा में ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। श्री चौहान ने मुख्यमंत्री को भी धन्यवाद दिया और आगे भविष्य में भी जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए मिलकर तेजी से काम का आश्वासन दिया।

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