प्रधानमंत्री को पत्र भेजा, पत्रकारों की समस्याएं हल करने की मांग 

लखनऊ। 

पत्रकार हर परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते हैं किंतु उनके लिए बुनियादी सुविधाएँ जैसे स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, पेंशन और सुरक्षा के उपाय आज भी अधूरे हैं। यदि सरकार वास्तव में लोकतंत्र को मजबूत करना चाहती है तो पत्रकारों की उचित माँगों को पूरा करना जरूरी है।

पत्रकारों की विभिन्न मांगों एवं उचित सुविधाएँ व सुरक्षा दिलाने के उद्देश्य से आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरिंदर सिंह, राष्ट्रीय महासचिव अशोक कुमार नवरत्न एवं उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सुहेब अहमद ने पत्र भेजा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे गये पत्र में अवगत कराया है कि भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथे स्तंभ की संज्ञा दी गई है। जनता की आवाज को सरकार तक पहुँचाने वाले पत्रकार स्वयं असुरक्षित और उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं।

फेडरेशन ने पत्र में अनुरोध किया है कि

  • रेलवे यात्रा में पत्रकारों के लिए छूट की सुविधा को तत्काल बहाल किया जाए । ताकि वे देश भर में समाचार कवरेज के लिए निर्बाध यात्रा कर सकें ।
  • पत्रकारों व उनके परिवार जनों के लिए निजी व सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाए । पत्रकार अपने कार्य में अक्सर जोखिम उठाते हैं ।
  • देश के छोटे और मझौले समाचार पत्र आज आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं । सरकार इन्हें नियमित विज्ञापन दे तो ये न केवल मजबूत होंगे बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करेंगे |
  • 60 वर्ष से अधिक आयु के पत्रकारों को प्रतिमाह 20 हजार रुपये की पेंशन दी जाए, ताकि वृद्धावस्था में उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने में सुविधा हो सके ।
  • पत्रकारों के प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया अकादमी की स्थापना की जाए इससे नई पीढ़ी के पत्रकार अधिक योग्य बन सकेंगे।
  • महानगरों में कार्यरत मान्यता प्राप्त पत्रकारों को नि:शुल्क मेट्रो सुविधा प्रदान की जाए जिससे उनका आवागमन सरल और सुरक्षित हो सके। पत्रकारों को 10 लाख रुपए की राशि का बीमा कवर भी दिया जाना चाहिए ।

फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में यह भीे अनुरोध किया है कि छोटे और मझौले अखबारों को अखबारी कागज खरीदने पर जीएसटी समाप्त की जानी चाहिए। छोटे और मझौले अखबारों के विकास के लिए समाचार पत्र विकास निगम की स्थापना की जानी चाहिए जिससे यह समाचार पत्र आधुनिक मशीन क्रय कर सके।

पत्रकारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। पत्रकारों को रियायती दरों पर आवासीय सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिए। इसके राष्ट्रीय स्तर पर सहकारी समिति का गठन किया जाना चाहिए ।

पत्रकारों को हथियार का लाइसेंस प्राथमिकता के आधार पर दिया जाना चाहिए । पत्रकारों की मूलभूत सुविधाओं और समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तृतीय प्रेस कमीशन का गठन किया जाना चाहिए। साथ ही प्रथम और द्वितीय प्रेस आयोग की अनुशंसाओं को भी तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए।

पत्रकारों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार की आर्थिक सहायता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकार कल्याण कोष की स्थापना भी की जानी चाहिए ।

       आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन ने पत्र में यह भी लिख है कि पत्रकार समाज और सरकार के बीच सेतु का कार्य करते हैं। उनके बिना लोकतंत्र अधूरा है । विडंबना की बात यह है कि पत्रकारों के लिए न्यूनतम सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। सरकार हमारी माँगों को स्वीकार करती है तो इससे पत्रकारों का मनोबल बढ़ेगा और लोकतंत्र को नई मजबूती मिलेगी।

आज जबकि फर्जी खबरों और गैर-पेशेवर पत्रकारिता की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, वहीं जिम्मेदार और मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रोत्साहित करना वर्तमान समय की आवश्यकता है झ। पत्रकारों का मानना है कि यह माँगें न केवल जायज हैं बल्कि व्यावहारिक भी हैं। इन माँगों के पूरा होने से पत्रकारिता पेशे को एक नई दिशा और सम्मान मिलेगा।

  आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन के उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष मुकेश गोयल ने मेरठ में एक विज्ञप्ति जारी करके पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पत्रकारों से अनुरोध किया है कि वह स्वतंत्र रूप से भी प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखें।

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