स्कूल शिक्षा के नामांकन में गिरावट, कांग्रेस ने की सीबीआई जांच की मांग 

भोपाल।

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने आरोप लगाया है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के नामांकन की दर लगातार कम हो रही है। हर साल बजट बढ़ने के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम क्यों हो रही है ? इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखा है। श्री पटवारी और श्री सकलेचा ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा प्रदेश किसी भी राज्य के विकास की बुनियाद होती है। स्कूल शिक्षा पर किया गया‌ व्यय‌‌ इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि हम हमारे बच्चों के प्रति कितने संवेदनशील और उत्तरदायी हैं l 

उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा‌ विभाग का बजट वर्ष 2010-11 में 6874.26 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में 36582.00 करोड़ हो गया । परन्तु इस अवधि में प्राथमिक शिक्षा एवं उच्चत्तर माध्यमिक शिक्षा में नामांकन में चौंकाने वाली कमी दर्ज हुई‌ है। विद्यालयों एवं शिक्षकों की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

प्रमुख तथ्य :

शासकीय विद्यालय (कक्षा 1-8)

  • वर्ष  2010-11: 105.30 लाख , वर्ष  2024-25: 57.04 लाख
  • कुल कमी: 48.26 लाख, औसतन प्रतिवर्ष 3.5 लाख बच्चे कम 

निजी विद्यालय (कक्षा 1-8)

  • वर्ष  2011-12: 51.82 लाख, वर्ष  2024-25: 43.39 लाख
  • कुल कमी: 8.43 लाख 

शासकीय + निजी (कक्षा 1- 8)

  • वर्ष  2010-11: 154.24 लाख, वर्ष  2024-25: 100.43 लाख 

14 वर्षों में कुल 53.81 लाख कमी

इस अवधि में जहां बजट में 550% वृद्धि हुई वहीं शासकीय विद्यालयों में नामांकन 54% तक घट गया तथा निजी विद्यालयों में भी नामांकन में लगभग 16% की महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई। 2011 की जनगणना अनुसार प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर 2.4% प्रतिवर्ष थी। अगर‌ वर्तमान अनुमानित वृद्धि दर 2% भी माने तो 15 वर्ष में 30% वृद्धि स्वाभाविक है ।

अतः 2010-11 में कक्षा 1 से 8 के कुल नामांकन‌ 154 लाख में 30% वृद्धि के मान से यह संख्या लगभग 200 लाख होना चाहिए थी ,‌ जबकि‌ यह घटकर मात्र 100 लाख रह गयी। इसका अर्थ यह हुआ कि 1 करोड़ से अधिक 6 से 14 साल के बच्चे विद्यालयों से बाहर‌ हैं । जबकि साक्षरता दर इसी अवधि में 69.03% से बढ़कर लगभग 78% बताई जाती है‌ ।

यदि 2010-11 के नामांकन को सही माने‌‌, तो‌ प्रश्न यह उठता है कि इसमें जनसंख्या वृद्धि (30%) तथा साक्षरता वृद्धि (9%) के अनुसार वृद्धि क्यों नहीं हुई ? क्या 2010-11 के नामांकन आंकड़े संदिग्ध थे ?

उच्चतर माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 9 -12) 

शासकीय विद्यालय 

  • वर्ष 2018-19: 24.62 लाख, वर्ष  2024-25: 21.07 लाख

 निजी विद्यालय

  • वर्ष  2016-17: 15.62 लाख, वर्ष  2024-25: 12.85 लाख  

कुल ( शासकीय + निजी )

  • वर्ष  2017-18: 39.55 लाख, वर्ष  2024-25: 34.12 लाख

इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा मंडल की कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होने‌ वाले परीक्षार्थी‌‌ की संख्या वर्ष 2015-16 के 19.95 लाख से घटकर 2024-25 में 17.07 लाख रह गई ।

वर्ष 2010-11 में जहां प्राथमिक एवं माध्यामिक शासकीय विद्यालय 1.12 लाख थे, वह घटकर 2024-25 में 88 हजार रह‌ गए। शिक्षकों की संख्या 2.7 लाख से घटकर 2.04 लाख‌ रह‌ गयी, तथा नामांकन 105 लाख से घटकर 57 लाख रह गया । लेकिन बजट 6 हजार 800 करोड़ से बढ़कर 36 हजार करोड़ हो गया ? 

बजट में छ: गुना वृद्धि इसलिए की गई थी कि विद्यालयों में नामांकन और उपस्थिति बढ़े। लेकिन परिणाम इसके‌ बिल्कुल विपरीत सामने आए। कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि स्कूल शिक्षा में इस चिन्ताजनक गिरावट‌ तथा‌ बढे‌ हुए बजट की सीबीआई जांच कराई जाए।

– अमिताभ पाण्डेय

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